नित्यानंद गायेन की कविता – मीडिया मायाजाल है

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मीडिया दूर-दर्शन है

सरकारी वाचक है

मीडिया प्रभु है

बरखा है

वीर है

मीडिया–

दिशाहीन योद्धा का

छोड़ा हुआ तीर है

मीडिया–

सत्ता है

राडिया है

बहुत बढिया है

नोट के बदले

खबर है मीडिया

स्टिंग आपरेशन है

शोषण है

बार-बार एक ही समाचार

लगता है लूज मोशन है

मीडिया राखी सावंत है

मुठभेड़ है

मीडिया मतभेद है

हमें इसका बेहद खेद है

मीडिया डांस-डांस-डांस है

सास-बहू और साज़िश है

अपवाद है

अवसाद है

मीडिया अवसरवाद है

कुछ एकदम बर्बाद है

सबसे आगे

सबसे तेज़ है

सनसनी है

मीडिया वारदात है

यह सर-देसाई है

ज्ञानियों का

दबंगों का हक़ है

गुड लक है

मीडिया इनदिनों

आम-आम-आम है

केजरीवाल है

बहुत बवाल है |

मीडिया जानती है

जनता अनपढ़ है

भुलक्कड़ है

यह टी.आर.पी. की होड़ है

भ्रष्टाचार का नया पेड है

अदालत है

मीडिया कुछ लोगों की वकालत है

नेता-उद्योगपतियों का

पूंजी निवेश कुञ्ज है

यह हाथी का सूंड है

मीडिया –

तुलसी-मिहिर का

प्रेम प्रसंग है

खली है

महाबली है

मीडिया ख़बरों की उछाल है

देश में भूचाल है

मीडिया मायाजाल है …

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images-नित्यानन्द गायेन

परिचय –

20 अगस्त 1981 को पश्चिम बंगाल के बारुइपुर , दक्षिण चौबीस परगना के शिखरबाली गांव में जन्मे नित्यानंद गायेन की कवितायेँ और लेख सर्वनाम, कृतिओर ,समयांतर , हंस, जनसत्ता, अविराम ,दुनिया इनदिनों ,अलाव,जिन्दा लोग, नई धारा , हिंदी मिलाप ,स्वाधीनता, स्वतंत्र वार्ता , छपते –छपते ,वागर्थ, लोकमत, जनपक्ष, समकालीन तीसरी दुनिया , अक्षर पर्व, हमारा प्रदेश , ‘संवदिया’ युवा कविता विशेषांक, ‘हिंदी चेतना’ ‘समावर्तन’ आकंठ, परिंदे, समय के साखी, आकंठ, धरती, प्रेरणा, जनपथ, मार्ग दर्शक, कृषि जागरण आदि पत्र –पत्रिकाओं में प्रकशित . इसके अलावा पहलीबार , फर्गुदिया , अनुभूति , अनुनाद और सिताब दियारा जैसे चर्चित ब्लॉगों पर भी इनकी कविताएँ प्रकाशित |

इनका काव्य संग्रह ‘अपने हिस्से का प्रेम’ (२०११) में संकल्प प्रकशन से प्रकाशित .कविता केंद्रित पत्रिका ‘संकेत’ का नौवां अंक इनकी कवितायों पर केंद्रित .इनकी कुछ कविताओं का नेपाली, अंग्रेजी,मैथली तथा फ्रेंच भाषाओँ में अनुवाद भी हुआ है . फ़िलहाल  हैदराबाद के एक निजी संस्थान में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन.

7 COMMENTS

  1. मीडिया की आपने बाल और खाल दोनों अलग अलग कर दिए

  2. आपने दिल खुश कर दिया ! अब आगे कब पढ़ने को मिलेंगे

  3. बेहद उम्दा भाई
    नित्यानद जी हमेशा समाज कि सच्चाई शब्दों के ज़रिये एक नयी तरह से पेश करते हैं!
    Salman Rizvi

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