“अंधकार अब भी घनघोर है चारों ओर”
हल्ला बहुत हुआ
दीये भी बुझ गये
उधर घाटी में हिमपात जारी है
कंबल से बाहर आइये
देखिये गौर से उन चेहरों को
और पढ़िए ध्यान से उनका दर्द
संवेदनाएं काँप उठेगी
जब सुनोगे उनकी व्यथा
कोई नही बांटता दर्द किसी का
मालूम है उन्हें ,
फिर भी हम पहाड़ तो नही
ये तो याद है ?कितने लाख जलाया हमने कल रात
मिटा पाये किसी की भूख ?
मुझे याद आ रहा है उस मजदूर का चेहरा
जो ताक रहा है हर चमकते चेहरे को
उसकी आस में ही मेरी आस छिपी है
कि कोई तो आयेगा, जो देगा उसे कोई काम
नून -तेल का दाम ,अंधकार अब भी घनघोर है चारों ओर
और रौशनी की जरुरत है।
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नित्यानन्द गायेन
20 अगस्त 1981 को पश्चिम बंगाल के बारुइपुर , दक्षिण चौबीस परगना के शिखरबाली गांव में जन्मे नित्यानंद गायेन की कवितायेँ और लेख सर्वनाम, कृतिओर ,समयांतर , हंस, जनसत्ता, अविराम ,दुनिया इनदिनों ,अलाव,जिन्दा लोग, नई धारा , हिंदी मिलाप ,स्वाधीनता, स्वतंत्र वार्ता , छपते –छपते ,वागर्थ, लोकमत, जनपक्ष, समकालीन तीसरी दुनिया , अक्षर पर्व, हमारा प्रदेश , ‘संवदिया’ युवा कविता विशेषांक, ‘हिंदी चेतना’ ‘समावर्तन’ आकंठ, परिंदे, समय के साखी, आकंठ, धरती, प्रेरणा, जनपथ, मार्ग दर्शक, कृषि जागरण आदि पत्र –पत्रिकाओं में प्रकशित . इसके अलावा पहलीबार , फर्गुदिया , अनुभूति , अनुनाद और सिताब दियारा जैसे चर्चित ब्लॉगों पर भी इनकी कविताएँ प्रकाशित |
इनका काव्य संग्रह ‘अपने हिस्से का प्रेम’ (२०११) में संकल्प प्रकशन से प्रकाशित .कविता केंद्रित पत्रिका ‘संकेत’ का नौवां अंक इनकी कवितायों पर केंद्रित .इनकी कुछ कविताओं का नेपाली, अंग्रेजी,मैथली तथा फ्रेंच भाषाओँ में अनुवाद भी हुआ है . फ़िलहाल हैदराबाद के एक निजी संस्थान में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन.
संपर्क – :
+91-9030895116
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e-mail :- nityanand.gayen@gmail.com
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शानदार कविता ,पढ़ने के बाद दिमाग बहुत कुछ कह रहा हैं
शानदार…. दिल के पास जो ज़ख्म हैं उनको कहीं और कुरेदती कविता
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