**नमन : गणतंत्र दिवस

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**अनीता सहगल

हमारे देश में रा”ट्रीय तथा धार्मिक त्योहारों का विशे”ा महत्व होता है। त्योहारों से ही हमें पता चलता है कि जाति, धर्म,संप्रदाय, भा”ाा आदि की विभिन्नताओं के बावजूद भी हम एक हैं। गणतंत्र-दिवस भारत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण रा”ट्रीय पर्व है। इस दिन आजाद भारत सही अर्थों में `स्वतंत्र´ हुआ था। इसलिए यह किसी एक धर्म या जाति के लोगों द्वारा नहीं बल्कि पूरे भारत के लोगों द्वारा मनाया जाता है। हमारा देश आपसी फूट, कलह तथा एकता के अभाव में सैकड़ों व”ाोzं तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा, स्वंतंत्रता सभी को अच्छी लगती है, क्योंकि पराधीनता का जीवन अपमान और शो”ाण से भरा होता है, इसीलिए भारत ने एक लंबे समय तक संघ”ाz करने के बाद गुलामी की जंजीरों को तोड़ा और 15 अगस्त, 1947 को आजाद भारत में चैन की सांस ली, परंतु उस समय भारत का अपना कोई संविधान नहीं था जिससे भारत को विधिवत् रूप से चलाया जाए।
भारत को पूर्ण प्रभुता संपन्न गणतंत्र बनाने के लिए संविधान के निर्माण में ढाई व”ाz लगे। नए संविधान को 26 जनवरी 1950 को भारत में लागू कर दिया गया। `गणतंत्र-दिवस´ दो ‘ाब्दों से मिलकर बना है- `गण´ और  `तंत्र´ । `गण´ का अर्थ है `प्रजा´ तथा `तंत्र´ का अर्थ है `शासन व्यवस्था´। अत: गणतंत्र का अर्थ है-`प्रजा द्वारा स्थापित ‘ाासन व्यवस्था´। भारत का संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी का ही दिन क्यों चुना गया, इसके पीेछे स्वतंत्रता प्राप्ति की एक ऐतिहासिक भावना छुपी हुई है। इस दिन का एक ऐतिहासिक महत्व भी है। 26 जनवरी, 1929 के दिन पवित्र सलिला रावी नदी के तट पर लाहौर में संपन्न हुए कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर भारत के लोकप्रिय नेता एवं कांग्रेस नेता पं0 जवाहर लाल नेहरू जी के सभापतित्व में पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पारित किया गया कि पूर्ण स्वराज प्राप्त करना ही अब हमारा परम लक्षय है। जब तक हम पूर्ण स्वराज प्राप्त नहीं कर लेगें तब तक चैन से नहीं बैठेगें। ब्रिटि’ा सरकार की कठोर कार्यवाही, अनेक नेता बंदी, भारतीयों पर अत्याचार, अंग्रेजों के दमनचक्र के उपरांत भी इस अधिवेशन के बाद 26 जनवरी, 1930 को सारे देश में विभिन्न स्थानों पर सभाएं हुई तथा पूर्ण स्वराज की मांग दोहराई गई तथा गोरी सरकार का दमन चक्र चलता रहा। जब तक स्वराज्य नहीं मिलता, विदेशी सत्ता में संध”ाz जारी रहेगा। यह प्रतिज्ञा आज भी हमें आज़ादी के लिए संघ”ाz करने की प्रेरणा देती है। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया, लाहौर अधिवेशन की याद में भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
इस प्रकार अपना संविधान लागू हो जाने पर इस दिन हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गए और भारत को एक गणतंत्र राज्य घोि”ात कर दिया गया। भारत के पूर्ण गणतंत्र घोि”ात हो जाने की खु’ाी में ही प्रत्येक व”ाz गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। अत: उसी दिन सेे प्रति व”ाz 26 जनवरी हमारे लिए रा”ट्रीय पर्व का रूप धारण कर चुका है। डॉ0 राजेंद्र प्रसाद को भारत के प्रथम राश्ट्रपति के रूप में ‘ापथ दिलाई गई तथा पं0 जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। गणतंत्र दिवस का रा”ट्रीय पर्व भारतव”ाz के कोने-कोने में बड़े उत्साह तथा हशोzल्लास के साथ मनाया जाता है। प्रति व”ाz इस दिन प्रभात फेरियां निकाली जाती है। भारत के प्रत्येक राज्य तथा विदेशों के भारतीय राजदूतावासों में भी यह त्योहार उल्लास व गर्व से मनाया जाता है। यह दिन बलिदानों की पावन स्मृति लेकर हमारे सामने उपस्थित होता है। कितने सपूतों ने देश की बliveेदी पर अपने प्राणों को हंसते-हंसते बलिदान कर दिया, कितनी बहनों ने अपने भाईयों को अर्पित किया, कितनी स्त्रियों ने अपना सुहाग न्योछावर कर दिया तथा न जाने कितनी माताओं ने अपनी गोदी की ‘ाोभा को कुबाzन कर दिया, तब जाकर हमें इस स्विर्णम दिन के दशzन हुए। इस दिन हम सब उन अमर ‘ाहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
गणतंत्र दिवस समस्त देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। सभी नागरिक इसे उत्साह से मनाते हैं। ‘ाासन/प्रशासन की ओर से इसकी तैयाारियां महीनों पहले से ही प्रारंभ हो जाती हैं। इस दिन पूरे रा”ट्र में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली में रा”ट्रपति और राज्यों की राजधानियों में राज्यपाल तिरंगा फहराकर उसका अभिवादन करते हैं। समूचे देश में अनेकानेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रदेशों की सरकारें सरकारी स्तर पर अपनी-अपनी राजधानियों में तथा जिला स्तर पर रा”ट्रीय ध्वज फहराने का तथा कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। विद्यालयों में भी यह पर्व हशोzल्लास के साथ मनाया जाता है।
26 जनवरी का मुख्य समारोह भारत की राजधानी दिल्ली में किया जाता है, जिसकी ‘ाोभा अद्भुत एवं भव्यता देख़ते ही बनती है। महिनों पहले से इस समारोह की तैयारियां प्रारंभ हो जाती हैं। देश के विभिन्न भागों से असंख्य व्यक्ति इस समारोह में सम्मिलित होने तथा इसकी ‘ाोभा देखने के लिए आते हैं। इस अवसर पर एक ‘ाानदार परेड का आयोजन किया जाता है। परेड विजय चौक से प्रारंभ होकर राजपथ एवं दिल्ली के अनेक क्षेत्रों से गुजरती हुयी लाल किले पर जाकर समाप्त हो जाती है। परेड ‘ाुरू होने से पहले प्रधानमंत्री`अमर जवान ज्योति´ ‘ाहीदों को श्रंद्धांजलि अर्पित करते हैं, फिर रा”ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ 14 घोड़ों की बग्धी में बैठकर आते हैं, जहां प्रधानमंत्री उनका स्वागत करते हैं। रा”ट्रीय धुन के साथ ध्वजारोहण करते हैंं, उन्हें 31 तोपों की सलामी दी जाती है, हवाई जहाजों द्वारा पुश्पव”ााz की जाती है। आकाश में तिरंगे गुब्बारे और सफेद कबूतर छोड़े जाते हैं। जल, थल, वायु तीनों सेनाओं की टुकड़ियांं, बैंडो की धुनों पर मार्च करते हुए सैनिक एवं पुलिस के जवान, विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों, मिसाइलों, टैंको, वायुयानो आदि का प्रदशzन करते हुए देश के रा”ट्रपति को सलामी देते हैं। सैनिकों का सीना तानकर अपनी साफ़-सुथरी वेशभू”ाा में कदम से कदम मिलाकर चलने का दृश्य बड़ा मनोहारी होता है। यह भव्य दृश्य को देखकर मन में रा”ट्र के प्रति असीम भक्ति तथा ºृदय में असीम उत्साह का संचार होने लगता है। school, कालेज की छात्र-छात्राएं, एन.सी.सी. की वे’ाभू”ाा में सुसज्जित कदम से कदम मिलाकर चलते हुए यह विश्वास उत्पन्न करते हैं कि हमारी दूसरी सुरक्षा पंक्ति अपने कर्तव्य से भलीभांति परिचित हैं। मिलेट्री तथा schools के अनेक बैंड सारे वातावरण को देश-भक्ति तथा रा”ट्र-प्रेम की भावना से गुंजायमान कर देते हैं। विभिन्न प्रदेशों की झांकियां वहां के सांस्कृतिक जीवन, वेशभूशा, रीति-रिवाजों, औद्योगिक तथा सामाजिक क्षेत्र में आए परिवर्तनों का चित्र प्रस्तुत करने में पूरी तरह समर्थ होती हैं। झांकियों की कला तथा ‘ाोभा को देखकर दशzक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। झांकियों से पहले विभिन्न प्रांतों से कई नृत्य-मंडलियां समस्त वातावरण को उल्लास से भर देती हैं। उन्हें देखकर भारत का बहुरंगी रूप  सामने आ जाता है। यह पर्व अतीव प्रेरणादायी होता है। गणतंत्र दिवस की संध्या पर रा”ट्रपति भवन, संसद भवन तथा अन्य सरकारी कार्यालयों पर रौशनी की जाती है।
26 जनवरी का पर्व अपने में भारतीय आत्माओं के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी समेटे हुए है, जो भारतीय जन्मानस को प्रेरित करती रहेगी कि उन्हें देश की स्वतंत्रता एवं एकता के लिए कटिबद्ध रहना चाहिए। आज की परिस्थितियों में प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है कि आपसी भेदभाव एवं वैमनस्य को भुलाकर देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखें तथा देश के सम्मान की रक्षा के लिए सदैव तन-मन-धन अर्पित करने के लिए तैयार रहें।
*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC

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