नई पीढी को श्रीमदभगवदगीता जैसे प्राचीन ग्रन्थ पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए : जगन्नाथ पहाडि़या

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आई.एन.वी.सी,,
हरयाणा,,
हरियाणा के राज्यपाल एवं कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, करूक्षेत्र के कुलाधिपति जगन्नाथ पहाडि़या ने कहा है कि हमें नई पीढी को श्रीमदभगवदगीता जैसे प्राचीन ग्रन्थ पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वे ऐसे ग्रन्थों का अध्ययन कर जीवन में कर्म के महत्व को जान सकें। वे आज कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्य विद्या संस्थान द्वारा सीनेट हॉल में गीता जयन्ती के उपलक्ष्य में गीता पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। पहाडि़या ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी निरंतर गीता का पाठ करते थे और अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन की समस्याओं का हल गीता में ढूंढते थे। उनके अतिरिक्त असंख्य ऐसे महापुरूष हुए हैं जिन्होंने गीता को मनन कर समाज व दुनिया को एक नई दिशा दी है। आज के जीवन की चुनौतियों व समस्याओं का समाधान भी गीता में ही छिपा है। राज्यपाल ने वर्तमान में गीता की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस महान ग्रंथ में सभी के लिए कुछ न कुछ है, जरुरत सिर्फ हमें पढ़ने की है। उन्होने कहा कि वर्तमान में हमें अपने बच्चों को इस तरह के ग्रंथों को पढने की प्रेरणा देनी चाहिए, जिससे उनका विकास हो सके। उन्होंने बताया कि देश का भविष्य युवा पीढी के हाथों में है जब तक युवाओं को कर्म के महत्व का पता नहीं होगा तब तक इस देश को विकसित राष्ट्र के रूप में देखने का सपना अधूरा रहेगा। इसलिए सामाजिक व शैक्षणिक संस्थानों को चाहिए कि वे ऐसे प्रयास करें कि युवा प्राचीन ग्रन्थों की तरफ अपनी रूचि बढाएं। उन्होंने बताया कि कुरूक्षेत्र में हर वर्ष होने वाले गीता जयन्ती महोत्सव में देश भर के विद्वानों द्वारा कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा गीता की प्रासंगिकता पर विचार मंथन करना इस दिशा में एक अच्छा प्रयास है। विश्वविद्यालय के कुलपति लै जनरल डॉ डीडीएस संधु ने इस संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ऐसे प्राचीन ग्रन्थों को स्कूल व कॉलेजों के पाठयक्रमों का हिस्सा होना चाहिए। चूंकि युवा पीढी इन ग्रन्थों में निहित सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों को पढकर ही अपने जीवन में उतार सकते हैं और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड व जिला प्रशासन के प्रयास से हर वर्ष गीता जयन्ती महोत्सव में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय को इस संगोष्ठी के माध्यम से इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाता है जो विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने आशा जताई कि अगले दो दिनों तक आधुनिक समय में गीता की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में देश भर के विद्वान चर्चा करेंगे और संगोष्ठी के शोध पत्रों के माध्यम से कुछ ऐसे शैक्षणिक सुझाव तैयार होंगे जिसके माध्यम से इस प्राचीन ग्रन्थ को पढने के लिए युवाओं को प्रेरित किया जा सकेगा। डॉ संधु ने कहा कि विश्वविद्यालय श्रीमदभगवदगीता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने व गीता जयन्ती का इसी तरह से महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिए निरंतर प्रयास करता रहेगा। उन्होंने संस्कृत एवं प्राच्य विद्यालय संस्थान के शिक्षकों को इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। इस मौके पर उन्होंने महामहिम राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिया का इस संगोष्ठी में पहुंचने के लिए उनका धन्यवाद किया। संगोष्ठी के मुख्यवक्ता रोहतक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि समाज में निरन्तर विसंगतिया पैदा होती ही रहती हैं। इन विसंगतियों के शोधन की प्रक्रिया भी निरन्तर चलनी चाहिए। लेकिन यह शोधन की प्रक्रिया सांस्कृतिक मूल्यों के संदर्भ में ही चलनी चाहिए। संस्कृति की उपेक्षा की बुराई को दूर करने की कोई भी प्रक्रिया उपयोगी नहीं होगी। दो दिन तक चलने वाली इस संगोष्ठी में गीता मनीषी डॉ सुरेन्द्र कुमार, डॉ. बीएस कुमार, डॉ. जितेन्द्र, डॉ. सहदेव, डॉ. दिनेश चन्द्र, डॉ. प्रतिभा पुरंधी, डॉ. नरेश बत्रा, डॉ. वेद प्रकाश सहित सैंकडों विद्वान श्रीमदभागवतगीता की प्रासंगिकता से जुडे विभिन्न विषयों पर विचार मंथन करेंगे।

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