धार्मिक संपत्तियों के यह लुटेरे…

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–  तनवीर जाफरी –

Muzaffarpur-incidentहमारे देश में ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ जैसी प्राचीन कहावत का अस्तित्व में आना तथा आज भी इसका प्रचलित व लोकप्रिय होना अपने-आप में इस बात का सुबूत है कि हमारा समाज प्राय: शताब्दियों से दोहरे चरित्र के साथ जीता आ रहा है। यानी दूसरों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाना और खुद भ्रष्ट व बेईमान बने रहना,दूसरों को धर्म व नैतिकता की सीख देना और खुद अनैतिकता व अधर्म के रास्ते पर चलना,खुद झूठ बोलना और दूसरों को सत्य बोलने की हिदायत देना जैसी अनेक बातें हमारे समाज में आमतौर पर देखी जा सकती हैं। हद तो यह है कि  कई धार्मिक ठेकेदारों,प्रवचनकर्ताओं तथा कथित धर्म रक्षकों को भी अधर्म व अनैतिकता के रास्ते पर चलते हुए देखा जा सकता है। परिणामस्वरूप सामाजिक व नैतिक मूल्यों का तेज़ी से ह्रास होता जा रहा है। निश्चित रूप से एक सच्चा,सीधा,गरीब तथा धर्म के मार्ग पर चलने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसी विसंगतियों से दुष्प्रभावित होता है। यह स्थिति किसी एक धर्म या जाति के लोगों से जुड़ी हुई नहीं है बल्कि यह हमारे समाज की एक हकीकत है। जब और जिसे जहां कहीं मौका मिला उसने धन-संपत्ति कमाने की लालच में भ्रष्टाचार,अधर्म या अनैतिकता से समझौता करने में कोई देर नहीं की।

हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर अनेकानेक बहुमूल्य वक़्फ संपत्तियां मौजूद हैं। यह संपत्तियां समय-समय पर दान दाताओं द्वारा धार्मिक कार्यों,धर्म संबंधी कार्यों को बढ़ावा देने तथा उसे संरक्षण देने,गरीबों की सहायता करने,शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा देने,स्कूल व अस्पताल आदि खोलने तथा यतीमों व लावारिस लोगों की मदद करने जैसे पवित्र मकसद से वक़्फ की गई हैं। अर्थात् ऐसी संपत्तियां अल्लाह के नाम पर लोकोपकारार्थ दान की गई हैं। इन समस्त वक्फ संपत्तियों की देख-रेख राज्य स्तरीय वक्फ बोर्ड द्वारा की जाती है। विभिन्न राज्यों में धर्म व समुदाय के आधार पर अलग-अलग वक्फ बोर्ड भी गठित किए गए हैं जो इन संपत्तियों की निगरानी करते हैं। देश के अनेक राज्यों में जहां राज्य स्तरीय वक्फ बोर्ड गठित किए गए वहीं उत्तर प्रदेश तथा बिहार जैसे कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां सुन्नी व शिया समुदाय के अलग-अलग वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्त्यिों की निगरानी की जा रही है। इन वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय का प्रयोग भले ही दोनों समुदायों के लोग अपने मतानुसार अलग-अलग तरीके से क्यों न करते हों परंतु लूट व भ्रष्टाचार जैसे विषय को लेकर प्राय: इनके रखवालों में कोई मतांतर नहीं होता। पूरे देश में वक्फ बोर्ड के अधिकांश अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक यहां तक कि राजनैतिक तौर पर नियुक्त किए गए इसके विभिन्न अध्यक्ष व चेयरमैन सभी इन संपत्तियों की बंदरबांट में शामिल रहते हैं। यह और बात है कि धार्मिक संपत्तियों के इन्हीं लुटेरों को धार्मिक वेशभूषा में लिपटा हुआ तथा धार्मिकता का पूरा ढोंग करते हुए यहां तक कि नमाज़-रोज़ा जैसी इस्लामी बुनियादी शिक्षाओं का अमल करते हुए भी देखा जा सकता है।

हालांकि वक्फ की संपत्तियों की लूट,इसका दुरुपयोग,अपने चहेतों में इन संपत्तियों की बंदरबांट करना अथवा राजनैतिक दबाव में आकर रसूखदार लोगों को वक्फ से संबंधित संपत्तियां अवैध रूप से गैर कानूनी तरीके से आबंटित कर देना कोई नई बात नहीं है। दशकों से यह सिलसिला देश की राजधानी दिल्ली से लेकर लगभग पूरे देश में जारी है। परंतु जुलाई 2014 में इस प्रकार के विषय देश की आम जनता के संज्ञान में उस समय आए जब लखनऊ के प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के नेतृत्व में शिया समुदाय के लोग जोकि कथित रूप से उत्तर प्रदेश के तत्कालीन वक्फ मंत्री मोहम्मद आज़म खां के सरकारी आवास का घेराव करने जा रहे थे उन पर पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्वक लाठी चार्ज किया गया। परिणामस्वरूप एक शिया नौजवान की मौत हो गई। इस प्रदर्शन में मौलान कल्बे जव्वाद सहित कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। मौलाना कल्बे जव्वाद तथा उनके साथियों का आरोप था कि उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन प्रदेश सरकार के संरक्षण में शिया वक्फ संपत्तियों को लूट रहे हैं तथा इसे बरबाद कर रहे हैं। मौलाना के इन विरोध प्रदर्शनों को उनके विरोधियों द्वारा राजनैतिक रंग देने की कोशिश भी की गई। परंतु वक्फ संपत्तियों की रक्षा तथा भ्रष्टाचारियों व वक्फ संपत्तियों के लुटेरों को हटाने तथा उनके विरुद्ध कार्रवाई करने हेतु उनका विरोध लंबे समय तक जारी रहा। अब उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार उपरोक्त विषय पर कई कार्रवाईयां भी कर रही है।

उत्तर प्रदेश की ही तजऱ् पर पिछले दिनों बिहार में भी मुज़फ्फरपुर स्थित शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्यद काजि़म शबीब द्वारा प्रदेश की अनेक शिया वक्फ संपत्तियों की लूट-खसोट तथा उसके दुरुपयोग का मामला उठाया गया। इस विषय पर पटना से लेकर मुज़फ्फपुर तक कई बार प्रदर्शन किए गए तथा मुख्यमंत्री,राज्यपाल व जि़ला प्रशासन को इन अनियमितताओं से अवगत कराया गया। परंतु भू मािफया के दबाव में आकर तथा शिया वक्फ बोर्ड में मौजूद अनेक ‘विभीषणों’ के प्रभाव के चलते मौलाना काजि़म तथा उनके समर्थकों की बातों को नज़रअंदाज़ किया जाता रहा। यहां तक कि गत् 21 जुलाई को मौलाना काजि़म तथा उनके परिवार के सदस्यों यहां तक कि महिलाओं व बच्चों को भी बिहार पुलिस द्वारा बुरी तरह पीटा गया। लखनऊ से लेकर मुज़फ्फरपुर तक होने वाले इस प्रकार के लाठी चार्ज जिसमें उन धर्मगुरुओं के साथ भी शारीरिक हिंसा की जाती है जिनका समाज बेहद आदर व सम्मान करता है,यह घटनाएं इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए काफी हैं कि अधार्मिक,भ्रष्ट,धार्मिक संपत्तियों के लुटेरों तथा इन सबसे मिले भू मािफयाओं के हाथ इतने लंबे हैं कि पुलिस व प्रशासन धर्म व सत्य का साथ देने के बजाए भू मािफयाओं तथा भ्रष्टाचारियों के पक्ष में खड़ा नज़र आता है।

इस संबंध में एक कड़वा सच यह भी है कि भले ही शिया वक्फ बोर्ड की संपत्ति की लूट हो या सुन्नी वक्फ बोर्डसंपत्यिों की बंदरबांट हो हर जगह इन संपत्तियों के नियुक्त किए गए सरकारी व गैर सरकारी संरक्षक अथवा मुत्तवल्लियान की भी सबसे प्रमुख भूमिका होती है। सवाल यह है कि हमारे ही समाज के इन लोगों को यह संस्कार कहां से प्राप्त होते हैं कि धार्मिेकता का ढोंग करने के बावजूद यही लोग अधर्म के रास्ते पर चलते हुए वक्फ संपत्तियों की लूट-खसोट में मसरूफ हो जाते हैं। हमारे समाज में नैतिकता का निरंतर गिरता जा रहा स्तर इसके लिए सबसे अधिक जि़म्मेदार है। जिस समाज में दहेज लेना हराम हो आज उसी समाज में मुंह खोलकर लोगों द्वारा दहेज मांगा जा रहा है। और यदि दहेज में मुंह मांगी रकम या मुंह मांगी संपत्ति न मिले तो ऐसे ही पाखंडी धार्मिक दिखाई देने वाले लोग रिश्ता तक तोडऩे को तैयार रहते हैं। आज हमारे ही समाज में अनेकानेक लोग एक-दूसरे,पड़ोसियों व कमज़ोरों की ज़मीनों पर कब्ज़े जमाए बैठे हैं। इसी समाज के लोग धार्मिक गतिविधियों के नाम चंदा उगाही करते हैं व इसी से अपना जीवनयापन करते देखे जा सकते हैं। अनेक लोग ऐसे भी हैं जिनके पास गरीबों की मदद करने हेतु दान की रकम या सामग्री आती रहती है परंतु वे गरीबों की इस रकम व सामग्री की भी बंदरबांट कर लेते हैं। हमें शासन या प्रशासन पर निशाना साधने से पहले अपने ही समाज के ऐसे अधर्मियों व तथाकथित धार्मिक पाखंडियों को भी बेनकाब करने व उनका सामाजिक बहिष्कार करने की सख्त ज़रूरत है।

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Tanveer-Jafari1About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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