{संजय राय**}
- मीडिया टीआरपी का खेल – रहा हैखेल
- धर्म के नाम पर राजनीति —यात्रा फिक्स
84 कौसी परिक्रमा को लेकर संतों ने जो घोषणा की है एवं उत्तर प्रदेश सरकार से जिस प्रकार उनका तालमेल हुआ है, उसको देखकर कांगे्रस के नेताओं का यह बयान उचित लगता है जिसमें कि उन्होंने कहा है कि यह यात्रा फिक्स है, क्योंकि 17 अगस्त को विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल द्वारा मुलायम सिंह से मुलाकात व भाजपा को अनदेखा करना, मोदी के खिलाफ बयानबाजी से मुलायम व विश्व हिंदू परिषद का आपसी तालमेल पूरे हिंदुस्तान को मालूम हो चुका है। आज धर्म के नाम पर राजनीति करना समाजवादी पार्टी व हिंदूवादी पार्टियों, जिनमें विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस सभी शामिल हैं, इनकी परदे के पीछे किस तरह की बातचीत होती है, व तालमेल है, इसको हिंदुस्तान की अवाम को समझना होगा। जिसको लेकर आपसी भाईचारा सामंजस्य, तालमेल और गंगा-जमुनी तहजीब को बचाए रखना सभी नागरिकों का कर्तव्य बन जाता है। साथ ही यह भी समझना होगा कि इन धर्म गुरुओं, चाहे वह हिंदुओं में हों या मुसलमानों में, इनको इनके चरित्र से आंकना होगा। यहां पर मैं जिक्र करना चाहूंगा कुछ हिंदू महात्माओं का, जिसमें उन्होंने अपने चेलों के बीच आस्था के नाम पर उनकी आस्थाओं की हत्या की है। वे अपना सर्वस्व धर्म व आस्था के नाम पर इनके कहने पर सभी कुछ न्यौछावर करने को तैयार होते हैं, क्योंकि हमारा देश धर्म और संस्कृति की विरासत को आगे बढ़ा रहा है तथा यहां के नागरिक सीधे व भोले हैं। इनको ये अपनी लच्छेदार भाषणों व चर्चाओं में उलझाकर इनकी आस्था से खिलवाड़ करते हैं। आज ताजा-तरीन उदाहरण संत आसाराम का आया है जिससे पूरा जनमानस संत नाम से चिढऩे लगा है। इससे पूर्व संत नित्यानंद, निर्मल बाबा, राम रहीम और अन्य बहुत से संत हैं जो संत कम और व्यापारी व धंधेबाज ज्यादा हैं। ऐसे संतों के कारण सनातन हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा को नुक्सान पहुंचता है। इससे इन जैसे बाबाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता। ये अपने आपको प्रचारित करने के लिए अपने इस धंधे में मीडिया को भी विज्ञापन के रूप में या अपने प्रवचन को दिखाने के नाम पर स्लॉट बुकिंग के तहत भारी रकम चुकाते हैं तो मीडिया भी इनके व्यापार को बढ़ाने में, इनकी मार्केटिंग करने में क्यों पीछे रहे? ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनमानस की भावनाओं से खेलते हैं। ऐसे बाबाओं को राजनीतिक संरक्षण भी मिलता है। नेता लोग इनके सम्मुख जाते हैं। उसका कारण यह है कि इन से यह समर्थन व अपनी सुरक्षा लेते हैं। साथ ही इन बाबाओं को समर्थन व उनका संरक्षण करने के लिए नेता लोग मोटी रकम चंदे के रूप में वसूलते हैं। फोटो खिंचवाकर बाबा अपने समर्थकों के बीच यह घोषित करता है कि देखो फलां नेता मेरे पास घुटनों के बल आया था। जबकि इन लोगों का आपसी सेङ्क्षटग, आपसी मार्केटिंग व नेताजी को कुछ समर्थक भी इन बाबाओं के चेलों के रूप में मिल जाते हैं तथा इनके कथित भक्तों के वोट भी मिल जाते हैं।
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**संजय राय वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक ईशान टाइम्स समाचार पत्र समूह
फोन:-9953138266,9814826555
**लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं।
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आप कुरान में एक भी ऐसी आयत बता दीजिये जिसमे सेकुलरिज्म या धर्मनिरपेक्षता की बात कही गयी हो .अप केवल भारत को सेकुलर क्यों बनाना चाहते हैं .अरब या पाकिस्तान को क्यों नहीं .?कुरान के अनुसार सेकुलर मुनाफिक यानि पाखंडी हैं . इन्हें अल्लाह माफ़ नहीं करेगा .देखिये सूरा -मुनाफ़िकून 63 :6
They are the ones who say, “Do not spend on those who are with the Messenger of Allah until they disband.” And to Allah belongs the depositories of the heavens and the earth, but the hypocrites do not understand.
Surha : Munafiqoon 63:6
AAp Galat Ho…..Bhai…..aap sakratmkta ki or badhiye….apke man ko jaroor shanti milegi…….