धरती पुत्रों को बंपर सौगात

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– सुरेश हिन्दुस्थानी –

भारत कृषि प्रधान देश है, इसका आशय यह भी है कि भारत में कृषि के विकास के लिए जितने सकारात्मक प्रयास होंगे, भारत उतनी ही तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर होगा। यह बात सही है कि कृषि प्रधान देश होने के बाद भी कृषि विकास के लिए स्वतंत्रता के पश्चात उतने प्रयास नहीं किए गए, जितने होने चाहिए। इस कारण किसान खेती से दूर भागने का प्रयास करने लगा। कृषि के क्षेत्र में वर्तमान सरकार की यह महानतम उपलब्धि कही जा सकती है कि उसने कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त की है, लेकिन किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पर रहा था, जिसके कारण किसान बहुत परेशान था। अब मोदी सरकार ने किसानों की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करके बहुत बड़ी समस्या को निदान करने का बीड़ा उठाया है। केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा। वैसे किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी सरकार लगातार प्रयासरत है। इसके लिए वो अपना कदम दर कदम बढ़ाते जा रही है। ऐसे में उम्मीद यही है कि किसानों से उनकी आय को दोगुना करने का किया गया वादा वो धीरे-धीरे पूरा कर लेगी।
हम जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एप के माध्यम से देशभर के किसानों से बातचीत करते हुए किसानों की आय को दोगुना करने से संबंधित पहलुओं पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि हमारे मेहनती किसानों की आय 2022 तक दोगुना हो जाए। इसके लिए हम जहां भी आवश्यक हो वहां उचित सहायता की सुविधा दे रहे हैं। हमें भारत के किसानों पर विश्वास है। उन्होंने कहा कि जब देश के गांवों का, किसानों का उदय होगा तब ही भारत का भी उदय होगा। जब हमारा किसान सशक्त होगा, तब ही देश सशक्त होगा। इसी से देश के गांवों में विकास का रास्ता तैयार होगा। यह सच है कि ग्रामीण जनजीवन जहां पर्यावरण को ठोस धरातल देने का काम करता है, वहीं जमीन के अंदर जल भंडारण की क्षमता में आशातीत वृद्धि भी करता है। हम जानते हैं कि वर्तमान में पर्यावरण का विनाश और जल संकट बहुत बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हुर्इं हैं। जिनके बारे में सरकार ही नहीं बल्कि समाज को भी चिंतन करने की आवश्यकता है। क्योंकि इन दोनों का प्रभाव सर्वाधिक देश की जनता पर ही पड़ रहा है। पर्यावरण और जल के संवर्धन और संरक्षण के लिए किसानों की दशा और दिशा बदलने की आवश्यकता है। जब देश की खेती में सुधार होगा तो स्वाभाविक रुप से इन दोनों कमियों की पूर्ति करने के लिए रास्ता भी खुल जाएगा।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में न्यूनतम समर्थन मूल्य में इतनी बड़ी वृद्धि की गई। हम यह जानते हैं कि किसान देश का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है, लेकिन उन्हें कभी भी अपने उत्पाद की सही कीमत नहीं मिली। किसानों में हताशा और निराशा थी, इसे प्रधानमंत्री मोदी ने समझा। फसल के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा करना बहुत ही अच्छा कदम माना जा रहा है, लेकिन कृषि भूमि में सुधार के लिए भी व्यापक स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। देश के कई भागों में कृषि भूमि लगातार खराब होती जा रही है, इसके पीछे मूल कारण यही सामने आ रहा है कि किसानों ने अपनी आय बढ़ाने के लिए बेहिसाब रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाना है। यह रासायनिक खाद अंगे्रजी दवा के समान ही कार्य करता है। रासायनिक खाद तत्काल लाभ की दृष्टि से ठीक है, लेकिन उसमें स्थायित्व नहीं है। वह उत्पादन बढ़ाने में तो सहायक हो सकता है, लेकिन कृषि भूमि की शक्ति को क्षीण करने का भी कार्य करता है। इसको पूरी तरह से ठीक करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। जिस प्रकार आयुर्वेदिक दवाई किसी रोग को ठीक करने में समय लेती है, उसी प्रकार का काम खेती के लिए जैविक खाद का है। इसलिए आज तमाम अनुसंधान इस बात को प्रमाणित कर चुके हैं कि जैविक खाद ही खेती की उर्वरा शक्ति को संरक्षित और संवर्धित कर पाने में सक्षम है। आज खेती से अच्छी फसल लेने की आवश्यकता है, जिसके लिए जैविक खाद का प्रयोग करना ही बहुत अच्छा है। केन्द्र सरकार ने किसानों की समस्या को दूर करने की पहल की है, इसे देखकर यही कहा जा सकता है कि सरकार आगे के लिए भी अन्य योजनाओं पर भी गंभीरता से विचार कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो स्वाभाविक रुप से किसानों को तो फायदा मिलेगा ही, साथ ही जो लोग खेती से दूर भागने का प्रयास कर रहे हैं, वह भी अब खेती की ओर ध्यान देने में अपना मन लगाएंगे।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि प्रधान होने का तात्पर्य यही है कि भारत का पूरा जनजीवन कृषि पर ही आधारित है। बात चाहे देश की आर्थिक समृद्धि की हो या फिर ग्रामीण जीवन जीने वाले व्यक्तियों की हो, सब कृषि पर ही आधारित है। लेकिन देश को आजादी मिलने के बाद सरकारों ने कृषि की तरफ ध्यान देना लगभग बंद ही कर दिया था, जिसके कारण कृषि में किसानों को घाटे का सामना करना पड़ा। अब केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कृषि की दशा सुधारने के लिए अभूतपूर्व संकल्प लिया है।
केन्द्र सरकार ने किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए भी योजना बनाने का काम किया है। खेती के अलावा भी नए व्यवसाय करने के लिए भी केन्द्र ने व्यापक रुप से पहल की है। जिसमें पशुपालन, मछली पालन जैसे रोजगार बढ़ाने के साधन भी शामिल हैं। मौसम की मार से हमारा किसान चिंता मुक्त हो, उसका विश्वास बना रहे, इसके लिए केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत न सिर्फ प्रीमियम कम किया बल्कि बीमा राशि का दायरा भी बढ़ा दिया गया। फसल कटाई के बाद जब किसान का उत्पाद बाजार में पहुंचता है, उसमें उसे अपने उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए आॅनलाइन प्लेटफार्म ई-नेम शुरू किया गया है ताकि किसानों को अपनी उपज का पूरा पैसा मिल सके और सबसे बड़ी बात कि अब बिचौलिए किसानों का लाभ नहीं मार पाएंगे।

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परिचय :

सुरेश हिन्दुस्तानी

वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक

राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और सामयिक विषयों पर लेखन करने वाले सुरेश हिन्दुस्थानी विगत 30 वर्षों से लेखन क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनके आलेख देश, विदेश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहे हैं। अमेरिका के हिन्दी समाचार पत्र के अलावा भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों में आलेख प्रकाशित हो रहे हैं।

सुरेश हिन्दुस्थानी को वर्ष 2016 में नई दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ लेखक का भी पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए सम्मानित किया है।

संपर्क -:
सुरेश हिन्दुस्तानी , 102 शुभदीप अपार्टमेंट, कमानी पुल के पास , लक्ष्मीगंज लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश ,मोबाइल-9425101815 , 9770015780 व्हाट्सअप

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