दो कब्रें

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munshi prem chandआई एन वी सी,
चंडीगढ़,
संवाद थियेटर ग्रुप चंडीगढ़ द्वारा प्रस्तुत दो कब्रें एक इंसान के दोहरे व्यक्तित्व का खूबसूरत चित्रण है।  यह नाटक विश्वविख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘दो कब्रें’ पर आधारित है जिसकी पटकथा बहुत ही सुन्दर तरीके से श्री मुकेश शर्मा ने लिखी है। कहानी एक ऐसे प्रोफेसर के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक ओर तो अच्छे कार्यों और असाधारण गतिविधियों के माध्यम से समाज में आकर्षण का केंद्र बनना चाहता है लेकिन दूसरी ओर अपनी प्राकृतिक पुरुष प्रवृत्ति पर विजय नहीं प्राप्त कर सकता।  वह एक ऐसी लडक़ी की भावनाओं के साथ खेलता है जिसका अतीत स्वीकार्य नहीं होता।  कहानी के प्रारंभ में प्रोफेसर एक ऐसी लडक़ी को स्वीकार करता है जिसका अतीत अच्छा नहीं रहता (यद्यपि इसमें उस लडक़ी की कोई गलती नहीं होती)।  लेकिन जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है प्रोफेसर के अंदर की पुरुष प्रवृत्ति जोर मारने लगती है।  लडक़ी का पिता प्रोफेसर को शांत करने की भरपूर कोशिश करता है परंतु कोई लाभ नहीं होता।  कहानी का यह भाग स्पष्ट रूप से समाज के बदसूरत चेहरे तथा एवं तथाकथित पुरुष प्रभुत्व समाज के महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाता है। नाटक में हर इंसान को स्वीकार करने का स्पष्ट संदेश दिया गया है, विशेषत: महिलाओं को उनके वर्तमान के साथ स्वीकार करने न कि उनके अतीत के साथ स्वीकार करने की बात कही गई है।  नाटक में महिला की दुविधा को बहुत ही खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया गया है। आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री अजोय शर्मा (आई.ए.एस., सैकेट्री कलचर) उपस्थित रहे और उन्होने अपने कर कमलों द्वारा विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविख्यात क्लासिकल डांसर श्रीमती शोभा कौसर को भी मंच पर सम्मानित किया। वहीं इस अवसर पर शहर के जाने माने रंगकर्मी परवेश सेठी को भी रंगमंच में उनके बहुमुल्य योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

लेखक:  मुंशी प्रेम चन्द
अनुवाद:  मुकेश शर्मा
निर्देशन:  कुलदीप शर्मा
प्रस्तुति:  संवाद थिएटर ग्रुप
मंच के कलाकार
सूत्रधार – सचिन शर्मा
रामेन्द्र  – अभिषेक शर्मा
सुलोचना – सलोनी राणा
रणवीर सिंह – प्रवेश सेठी
गुलनार – मधुबाला
मीना  – नीलम
रूकसाना  – सनाह
दोस्त – विशाल, करण, सूर्य नितिश बेअंत, समीर
लडक़ा  – शिवाये
लडक़ी  – अनंता
संगीत – करूण शर्मा
प्रकाश – व्यवस्था रमेश भारद्वाज

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