लखनऊ ,
भारतीय जनता पार्टी ने केन्द्र की कांग्रेसी व राज्य की बसपा सरकार पर अघोषित आपात्काल और तानाशाही थोपने का आरोप लगाया और कहा कि दोनो सरकारों के बीच अरबो-खरबों रूपए लूटने की प्रतिस्पर्धा है। प्रदेश प्रवक्ता सदस्य विधान परिषद हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि दोनो सरकारों के आचरण ने 1975 के जून 25 की देर रात आज के ही दिन 26 जून को लगाए गए आपातकाल के अत्याचारों की यादें ताजा कर दी हैं। जैसे श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा थोपे गए आपातकाल में जनतंत्र लहूलुहान हुआ था वैसे ही सोनिया गांधी नियंत्रित वर्तमान केन्द्र सरकार व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के राज में घोर भ्रष्टाचार, जानलेवा महंगाई, जनउत्पीड़न, अराजकता व लूट का बोलबाला है।
दीक्षित ने कहा कि राज्य में बलात्कारों की घटनाएं धारावाहिक हैं। राज्य के कोने-कोने बलात्कार हैं, कल फिर से घटित तीन घटनाओं ने सरकार के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगाए हैं। बाराबंकी, सुलतानपुर, हाथरस में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं घटी हैं। इससे पूर्व गाजियाबाद के पिलखुवा कोतवाली क्षेत्र के गांव अनवरपुर में दस वर्षीय लड़की की बलात्कार के बाद जिंदा जला देने
की भी नृशंस घटना घटी। देवरिया में तीन माह पहले हुई नाबालिग लड़की से बलात्कार
की घटना के संदर्भ में प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने स्थानीय प्रशासन से
कार्रवाई के लिये बातचीत की। श्री शाही के हस्तक्षेप के बाद ही कार्रवाई की गई।
डॉ0 सचान की हत्या की सी0बी0आई0 से जांच से मुंह चुराती सरकार राज्य की सभी
घटनाओं में मुख्य आरोपी हैं। बसपा के विधायक मंत्री भी तमाम आरोपों में फंसे
हुए हैं। राज्य प्रशासन बसपा की ओर से बयानबाजी कर रहा है। श्री दीक्षित ने कहा कि प्रमुख सचिव गृह द्वारा विधायक शाहनवाज राणा के पार्टी से निष्कासन की खबर दिया जाना संविधान और प्रशासन की पवित्रता को नष्ट करने
वाला है। सचिव गृह ने गोण्डा में भरी सभा के बीच हुई बसपा नेता की हत्या के समय
भी पार्टी से जुड़ा बयान दिया था कि मारा गया व्यक्ति बसपा में नहीं था। श्री
दीक्षित ने मुख्यमंत्री से पूंछा कि आखिरकार किसी राजनेता के बसपा से निष्कासन
से राज्य के गृह विभाग का क्या सम्बन्ध है? किसी को पार्टी की सदस्यता देना या
पार्टी से निकालना शुद्ध रूप से राजनैतिक पार्टी का ही काम है। गृह विभाग से
इसका कोई लेना-देना नहीं होता, लेकिन बसपा के तमाम मामलों में गृह विभाग का
बयान आने से संविधान तंत्र का सत्यानाश हुआ है। सरकार ने सत्ता में बने रहने का
नैतिक अधिकार खो दिया है।
भारतीय जनता पार्टी ने केन्द्र की कांग्रेसी व राज्य की बसपा सरकार पर अघोषित आपात्काल और तानाशाही थोपने का आरोप लगाया और कहा कि दोनो सरकारों के बीच अरबो-खरबों रूपए लूटने की प्रतिस्पर्धा है। प्रदेश प्रवक्ता सदस्य विधान परिषद हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि दोनो सरकारों के आचरण ने 1975 के जून 25 की देर रात आज के ही दिन 26 जून को लगाए गए आपातकाल के अत्याचारों की यादें ताजा कर दी हैं। जैसे श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा थोपे गए आपातकाल में जनतंत्र लहूलुहान हुआ था वैसे ही सोनिया गांधी नियंत्रित वर्तमान केन्द्र सरकार व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के राज में घोर भ्रष्टाचार, जानलेवा महंगाई, जनउत्पीड़न, अराजकता व लूट का बोलबाला है।
दीक्षित ने कहा कि राज्य में बलात्कारों की घटनाएं धारावाहिक हैं। राज्य के कोने-कोने बलात्कार हैं, कल फिर से घटित तीन घटनाओं ने सरकार के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगाए हैं। बाराबंकी, सुलतानपुर, हाथरस में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं घटी हैं। इससे पूर्व गाजियाबाद के पिलखुवा कोतवाली क्षेत्र के गांव अनवरपुर में दस वर्षीय लड़की की बलात्कार के बाद जिंदा जला देने
की भी नृशंस घटना घटी। देवरिया में तीन माह पहले हुई नाबालिग लड़की से बलात्कार
की घटना के संदर्भ में प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने स्थानीय प्रशासन से
कार्रवाई के लिये बातचीत की। श्री शाही के हस्तक्षेप के बाद ही कार्रवाई की गई।
डॉ0 सचान की हत्या की सी0बी0आई0 से जांच से मुंह चुराती सरकार राज्य की सभी
घटनाओं में मुख्य आरोपी हैं। बसपा के विधायक मंत्री भी तमाम आरोपों में फंसे
हुए हैं। राज्य प्रशासन बसपा की ओर से बयानबाजी कर रहा है। श्री दीक्षित ने कहा कि प्रमुख सचिव गृह द्वारा विधायक शाहनवाज राणा के पार्टी से निष्कासन की खबर दिया जाना संविधान और प्रशासन की पवित्रता को नष्ट करने
वाला है। सचिव गृह ने गोण्डा में भरी सभा के बीच हुई बसपा नेता की हत्या के समय
भी पार्टी से जुड़ा बयान दिया था कि मारा गया व्यक्ति बसपा में नहीं था। श्री
दीक्षित ने मुख्यमंत्री से पूंछा कि आखिरकार किसी राजनेता के बसपा से निष्कासन
से राज्य के गृह विभाग का क्या सम्बन्ध है? किसी को पार्टी की सदस्यता देना या
पार्टी से निकालना शुद्ध रूप से राजनैतिक पार्टी का ही काम है। गृह विभाग से
इसका कोई लेना-देना नहीं होता, लेकिन बसपा के तमाम मामलों में गृह विभाग का
बयान आने से संविधान तंत्र का सत्यानाश हुआ है। सरकार ने सत्ता में बने रहने का
नैतिक अधिकार खो दिया है।