देश में आग लगाने वाली यह शक्तियां

1
36


– निर्मल रानी –

ऋषियों-मुनियों,संतों,पीरों-फकीरों व औलियाओं के देश भारत वर्ष को दुनिया जहां अनेकता में एकता की मिसाल पेश करने वाले विश्व के एक सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में जानती है वहीं इसी देश में ऐसी शक्तियां भी काफी तेज़ी से सक्रिय हो उठी हैं जिन्हें देश की सांझी संस्कृति नहीं भाती। एक-दूसरे धर्मों व समुदायों के लोग सदियों से इस देश में मिलजुल कर रहते तथा एक-दूसरे के त्यौहारों,खुुशियों व सुख-दु:ख में शरीक होते आ रहे हैं। यह हमारे देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र के फलते-फूलते वातावरण की ही देन है कि भारतीय समाज में दो अलग-अलग धर्मों व जातियों के लोगों के मध्य रोटी-बेटी के रिश्ते कायम होने लगे हैं। निश्चित रूप से देश की विभिन्न सरकारों द्वारा ऐसे संबंधों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कार स्वरूप राशि भी निर्धारित की गई है ताकि ऐसे युगल की हौसला अफज़ाई की जा सके और इनसे प्रेरित होकर और भी लोग अंतर्जातीय व अंतर्धार्मिक रिश्ते स्थापित कर सकें। परंतु बड़े अफसोस की बात है कि देश की एकता और अखंडता तथा सांप्रदायिक सद्भाव के इस माहौल में कुछ सांप्रदायिक ताकतें हर वक्त पलीता लगाने की िफराक में लगी रहती है।

भीष्म साहनी द्वारा लिखे नाटक तमस में जो दृश्य दिखाया गया था कि किस प्रकार सांप्रदायिक दंगे फैलाने हेतु किराए के टट्टुओं के माध्यम से राजनीतिज्ञ लोग स्वयं दंगा फैलाने हेतु किसी मुसलमान से ही सुअर कटवा कर मस्जिद में फेंकवाते हैं और किसी हिंदू के हाथों गाय कटवा कर गौहत्या का आरोप मुसलमानों पर मढक़र सांप्रदायिकता के शोले बुलंद करना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनाएं केवल भीष्म साहनी के तमस के अनुसार केवल 1947 में ही घटी हों। आज भी हमारे देश में ऐसे राक्षसी किरदार निभाने वाले दुष्ट लोग मिल जाएंगे जो गौमाता की पूजा भी दिखावे मात्र के लिए शायद ज़रूर करते हों परंतु इन्हें सांप्रदायिक दंगे भडक़ाने के लिए उसी गौमाता का वध करने में भी कोई एतराज़ नहीं है। गत् दिनों उत्तर प्रदेश के गोंडा जि़ले में कटरा बाज़ार के भटपुरवा गांव में एक ब्राह्मण परिवार के घर से कुछ लोग एक गाय की बछिया चुरा कर ले गए और पास के खेतों में ले जाकर उसकी हत्या कर दी तथा बछिया के सिर को धड़ से अलग कर दिया। यह तो महज़ एक इत्तेफाक था कि उसी गांव के हिंदू समुदाय के लोगों ने ही घटनास्थल से रामसेवक और मंगल नाम के दो व्यक्तियों को भागते हुए देख लिया। पुलिस ने नामज़द रिपोर्ट होने के आधार पर इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया और इन अभियुक्तों ने अपना जुर्म भी स्वीकार कर लिया है।

जिस समय ब्राह्मण बंधुओं की बछिया गायब हुई थी उसके फौरन बाद क्षेत्र में काफी तनाव फैल गया था। यह खबर पूरे जि़ले में आग की तरह फैल गई थी। यहां यह भी गौरतलब है कि गोंडा सहित पूर्वांचल के कई जि़लों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित हिंदू वाहिनी का अच्छा-खासा प्रभाव है। आक्रामक राजनीति पर विश्वास रखने वाला यह संगठन अपने नेता योगी की ही तरह प्राय: आक्रामक मुद्रा में ही रहता है। लिहाज़ा यह तो महज़ एक इत्तेफाक था कि गांव वालों ने जिन दो लोगों को गाय की बछिया की हत्या कर भागते हुए देखा वे हत्यारे भी हिंदू थे और उन्हें भागते हुए देखने वाले गवाह भी हिंदू ही थे। दूसरी ओर गोंडा की पुलिस ने भी अत्यंत प्रशंसनीय कार्य करते हुए पूरी तत्परता दिखाकर न केवल उपरोक्त दोनों अभियुक्तों को              तत्काल धर दबोचा बल्कि उनकी गिरफ्तारी से पूर्व इलाके में फैले सांप्रदायिक तनाव को भी नियंत्रित रखा तथा इसे आगे और नहीं फैलने दिया। अन्यथा यदि इस घटना को लेकर अफवाहों का बाज़ार गर्म हो जाता तो उत्तर प्रदेश का यह संवेदनशील क्षेत्र पूर्वांचल निश्चित रूप से आग की लपटों में घिर जाता और शातिर राजनीतिज्ञों की मतों के धर्म आधारित ध्रुवीकरण की मंशा आसानी से पूरी होती।

ऐसे खतरनाक वातावरण में एक बार फिर यह समझना बेहद ज़रूरी हो गया है कि देश के लोग यह अच्छी तरह से समझने की कोशिश करें कि कौन सी ताकतें हमारे देश के सांप्रदायिक सौहाद्र्र के मज़बूत ढांचे को तहस-नहस करना चाह रही हैं? हमें यह समझना भी बहुत ज़रूरी है कि रामसेवक और मंगल जैसे गौ हत्यारों को आिखर ऐसे जघन्य अपराध करने की प्रेरणा कहां से मिलती है और वे निर्भय होकर इतना घिनौना काम क्यों और किस के इशारे पर कर डालते हैं? हमें यह समझना भी बहुत ज़रूरी है कि जो लोग गाय को माता बता कर मात्र उसकी हत्या का संदेह जताकर उसे लाने-ले जाने वाले गौ व्यापारियों पर केवल इसलिए हमला कर देते हैं कि वे लोग मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं उनकी नज़रों में हिंदू धर्म से संबंधित यह गौ हत्यारे आिखर सामाजिक व धार्मिक रूप में क्या स्थान रखते हैं? बेशक आज योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान क्यों न हों परंतु हकीकत तो यही है कि मुख्यमंत्री बनने की उनकी यात्रा तक में उन्होंने समाज में सांप्रदायिकता का ज़हर घोलने के सिवा और किया ही क्या है? वे प्राय: कहते रहते हैं कि हिंदू व मुस्लिम दो अलग-अलग संस्कृति के धर्म हैं और यह दोनों एक साथ नहीं रह सकते। ज़ाहिर है जब ऐसे विचार किसी संगठन व सत्ता के मुखिया के हों तो उसके अनुयायी इन विचारों से असहमत कैसे हो सकते हैं?

अभी गत् वर्ष मुरादाबाद में एक भाजपाई सभासद ने एक मुस्लिम परिवार को उसके द्वारा खरीदे गए मकान में प्रवेश करने से सिर्फ इसलिए रोक दिया क्योंकि उस मोहल्ले में अधिकांश मकान हिंदू धर्म के लोगों के थे। टेलीविज़न चैनल्स में वह भाजपाई पार्षद चीख़-चीख़ कर यह कह  रहा था कि हिंदुओं के मोहल्ले में किसी मुसलमान परिवार के रहने का आिखर मतलब ही क्या है? यहां अफसोस केवल इस बात का नहीं कि सीमित,संकीर्ण व संकुचित सोच रखने वाले दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग अपने राजनैतिक स्वार्थ हेतु समाज को बांटने में लगे रहते हैं। बल्कि इससे अधिक अफसोस की बात यह है कि देश का आम नागरिक भी कभी-कभी इनके बहकावे में आकर भावनाओं का शिकार हो जाता है तथा देश के व्यापक राष्ट्रहित तथा राष्ट्रीय स्तर के सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण की चिंता किए बिना उन्हीं भडक़ाऊ व ज़हरीले नेताओं द्वारा बुने गए जाल में फंस जाता है। इस प्रकार की तमाम शक्तियां विभिन्न रूपों में सक्रिय हैं। कोई अपने हाथों से गौहत्या कर दंगे भडक़ाना चाहता है तो अनेक लोग फेसबुक,व्हाटसएप जैसे सोशल नेटवर्कस का सहारा लेकर अफवाहें फैलाने में जुटे हुए हैं। देश का पढ़ा-लिखा व समझदार कहलाने वाला वर्ग दिन-रात अपने कंप्यूटर,लैपटॉप अथवा स्मार्ट फोन में उलझा हुए एक-दूसरे के धर्म व जाति को नीचा दिखाने में लगा हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि इन लोगों द्वारा विचलित कर देने वाली किसी दूसरे देशों की अनेक फोटो भी शेयर की जाती हैं ताकि लोगों में भय व गुस्सा फैल सके और आम लोग मानसिक रूप से एक-दूसरे धर्म व समुदाय के प्रति नफरत का शिकार हो सकें।

यदि हम भारत माता के सच्चे सुपूत हैं तो हमें इस देश में एकता,अखंडता,शांति,सौहाद्र्र तथा देश के बहुमुखी विकास के लिए सबसे पहले सोचने की ज़रूरत है। हमें यह भलीभांति समझ लेना होगा कि गाय जैसी भावनात्मक चीज़ का प्रयोग नेताओं द्वारा केवल और केवल आम लोगों के जज़्बातों को भडक़ाने के लिए किया जाता है। वास्तव में यह लोग स्वयं गाय से कितना लगाव रखते हैं यह गोंडा में घटी घटना से आसानी से समझा जा सकता है।

___________

परिचय –:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

   संपर्क -:
Nirmal Rani  :Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar, Ambala City(Haryana)  Pin. 134003
Email :nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

1 COMMENT

  1. बहुत जरूरी है अपनी आँखें और अपनी सोच को खुला रखना अगर रोज का रोज नहीं मरना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here