देश बलात्कारियों के समर्थकों को भी पहचाने

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–  तनवीर जाफरी –

पिछले दिनों जोधपुर की एक अदालत ने भक्तों का भारी जनाधार रखने वाले एवं देश के एक प्रसिद्ध तथाकथित स्वयंभू संत बापू आसाराम को उसी के अपने एक शिष्य की नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार किए जाने जैसे घिनौने कृत्य का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई। इतने प्रतिष्ठा प्राप्त बुज़ुर्ग तथा सम्मानित एवं राजनैतिक हल्कों में अपनी भारी घुसपैठ रखने वाले किसी भारतीय कथित संत के विरुद्ध सुनाया गया अब तक का यह सबसे महत्वपूर्ण फैसला है। इस फैसले के बाद एक बार फिर यह साबित हो गया है कि साधू-संतों तथा धार्मिक वेशभूषा की आड़ में धर्म व अध्यात्म को बदनाम करने की एक बड़ी साजि़श ऐसे संतों के दुष्कर्र्मो के द्वारा रची जा रही है। प्रशंसा के पात्र हैं इस मामले के वे नौ गवाह जिन्होंने अपने ऊपर होने वाले जानलेवा हमलों के बावजूद अपनी जान को खतरे में डालकर बलात्कारी स्वयंभू संत आसाराम के चेहरे पर पड़ा पर्दा हटाने व उसकी वास्तविकता को बेनकाब करने का काम किया। इस मामले में तीन गवाह ऐसे भी थे जिनकी मुकद्दमे के दौरान गत् चार वर्षों के भीतर हत्या कर दी गई। इनका ‘दोष’ यही था कि इन्होंने आसाराम जैसे ‘महान अध्यात्मवादी गुरू’ एवं स्वयं को भगवान का अवतार समझने वाले किसी तथाकथित ‘महासंत’ के काले कारनामों को उजागर करने का साहस दिखाया था।

निश्चित रूप से किसी भी धर्म में इस प्रकार के दुराचारी,बलात्कारी व अधर्मी िकस्म के लोग पाए जा सकते हैं। बेशक अधर्म का किसी भी धर्म से अथवा धार्मिक शिक्षाओं से कोई वास्ता नहीं होता। किसी व्यक्ति का चरित्र,चाल-चलन व उसके आचार-विचार आदि प्राय: उसकी सोच तथा निजी जीवन से संबंधित होते हैं। यदि आसाराम या उसका पुत्र दुराचारी हैं तो इसमें न तो किसी धर्म का दोष है न ही उसने इस प्रकार के दुष्कर्म किसी धार्मिक प्रेरणा से हासिल किए हैं। आसाराम  अपने चातुर्य के बल पर एवं धर्म की आड़ में व्यवसायिक मानसिकता का प्रयोग करते हुए उन्हीं के सूत्रों के अनुसार विश्व भर में अपने चार करोड़  अनुयायी बना चुके हैं तथा देश-विदेश में उसके 4 सौ आश्रमों का साम्राज्य स्थापित हो चुका है। आम जनता ही नहीं बल्कि देश के बड़े से बड़े राजनैतिक दिग्गज जैसे अटल बिहारी वाजपेयी,लालकृष्ण अडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,नरेंद्र मोदी,राजनाथ सिंह,नितिन गडकरी,शिवराज सिंह चौहान,डा० रमन सिंह,दिग्वििजय सिंह,कमलनाथ तथा मोतीलाल वोरा जैसे राजनेता भी आसाराम का कसीदा पढ़ते तथा उसके प्रवचनों की शोभा बढ़ाते रहे हैं तथा ‘बापू का शुभाशीष’ इन्हें प्राप्त होता रहा है। यही वजह है कि आसाराम की ऊंची पहुंच व उसके राजनैतिक प्रभाव के चलते उसके विरुद्ध अभी तक न तो कोई मामला दर्ज हो सका था न ही किसी ने उसके विरुद्ध आवाज़ उठाने की कोशिश की थी। अफसोसनाक बात यह भी है कि बहला-फुसलाकर,डरा-धमकाकर अथवा स्वयं को भगवान का रूप बताकर बलात्कार करने के आरोप केवल आसाराम पर ही नहीं बल्कि उसके कुपुत्र तथा आसाराम की धर्म सत्ता के उत्तराधिकारी नारायण साईं पर भी लग चुके हैं और वे भी अदालत में विचाराधीन हैं।

आश्चर्य की बात है कि धर्म को बदनाम करने वाले तथा साधू-संतों की मर्यादा को तार-तार करने वाले आसाराम को बेनकाब करने वाले गवाहों,पीडि़त लडक़ी व उसके परिवार तथा जोधपुर के जज माननीय मधुसूदन शर्मा जैसे लोगों की हौसला अफज़ाई करने के बजाए अभी भी कुछ गिनी-चुनी एवं पूर्वाग्रही ताकतें ऐसी भी हैं जिन्हें 79 वर्षीय आसाराम को बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाया जाना रास नहीं आ रहा है। आसाराम के बचाव में कुछ तथाकथित लेखकों,विचारकों व धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों यहां तक कि स्वयं अपराधी के रूप में लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहने वाले लोग भी उतर आए हैं। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि आसाराम को सज़ा देकर केवल हिंदू धर्म के संतों को ही क्यों निशाना बनाया गया है। अन्य धर्मों के इसी प्रकार के धर्मगुरुओं के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं होती? इनका तर्क बिल्कुल सही है। परंतु साथ ही साथ इन्हें यह भी ज़रूर बताना चाहिए कि आसाराम जैसा प्रतिष्ठि संत दूसरे किसी धर्म में कौन है जिसके चार करोड़ अनुयायी हों,चार सौ आश्रम हों और उसने किसी नाबाल्रि़ लडक़ी से बलात्कार किया हो तथा अपने विरुद्ध गवाही देने वालों की हत्याएं करवाता रहा हो? यदि किसी भी धर्म में इस प्रकार के दुष्ट ‘धर्माधिकारी’ हों तो निश्चित रूप से उन्हें उम्रकैद नहीं बल्कि फांसी की सज़ा सुनाई जानी चाहिए।

आसाराम को सज़ा सुनाए जाने से गुजरात के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा भी बेहद दु:खी दिखाई दिए। बंजारा वही विवादित पुलिस अधिकारी है जिसे सीबीआई ने सोहरााबुद्दीन,तुलसी प्रजापति तथा इशरत जहां की फजऱ्ी मुठभेड़ों के मामले में आरोपी बनाया था और इसी आरोप में कई वर्षों तक उसे जेल में भी रहना पड़ा था। ऐसे विवादित अधिकारी भी आसाराम के भक्तों में एक प्रमुख हैं। वंजारा ने अदालत के फैसले,गवाहों के बयान तथा अदालत में पेश किए गए सुबूत व पीडि़ता व उसके परिजनों के बयानों को ही खारिज करते हुए यह फरमाया है कि-‘इस पूरे मामले का मकसद आसाराम जैसे महान संतों की छवि खराब करने का था। उसने कहा कि आसाराम ने कभी भी लडक़ी के साथ बलात्कार नहीं किया बल्कि प्राथमिकी के अनुसार केवल उसे गलत तरीके से छुआ गया था। बंजारा अपने गुरू के बचाव में अपना ब्रहमास्त्र चलाते हुए यह भी कहते हैं कि-‘इस प्रकार के मामलों के द्वारा आसाराम जैसे संतों कीछवि को नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं जो देश,हिंदू या सनातन धर्म के हित में नहीं हैं। आसाराम को यह प्रमाणपत्र डीजी वंजारा नामक उनके शिष्य तथा उस पुलिस अधिकारी द्वारा दिया जा रहा है जिसकी सेवाएं तथा कार्यकाल व कारनामे खुद ही विवादित रहे हैं। विभिन्न राजनैतिक दलों के और भी कई लोगों को जोकि स्वयं को आसाराम का शिष्य बताते हैं या जिनके स्वार्थ आसाराम या उनके सम्राज्य से जुड़े हुए हैं वे भी उसे बेगुनाह बताने की  कोशिश कर रहे हैं।

आसाराम के विरुद्ध सुनाए गए इस फैसले के बाद किसी भी धर्म के धर्मगुरुओं के प्रति अंधश्रद्धा रखने वाले भक्तजनों को अपनी आंखें खोल लेनी चाहिए। यह समझना होगा कि कोई भी व्यक्ति जिसने साधू-सतों,पादरियों या मौलवी-मौलानाओं जैसा लिबास यदि धारण कर रखा है तो उसका यह अर्थ नहीं कि वह व्यक्ेित अपनी अंर्तात्मा या अपने आचार-विचार व चरित्र से भी धर्मात्मा ही हो। आसाराम के समर्थकों या शिष्यों का यह कहना कि उनके विरुद्ध फैसला सुनाकर देश,हिंदू धर्म या सनातन धर्म को बदनाम किया जा रहा है,यह गलत है। बल्कि सच तो यह है कि आसाराम जैसे दोहरा चेहरा,चरित्र व आचरण रखने वाले स्वयंभू संतों द्वारा ही न केवल देश,हिंदू धर्म व सनातन धर्म को बल्कि पूरी मानवता को बदनाम व शर्मसार किया जा रहा है। इन जैसे लोगों की काली करतूतें भक्तजनों व शिष्यों तथा असंख्य अनुयाईयों की आस्था तथा विश्वास पर गहरी ठेस पहुंचाने वाली हैं। इसलिए न केवल ऐसे स्वयंभू धर्मगुरुओं से बचने की बल्कि उन लोगों से भी सचेत रहने व उनके इरादों को भांपने की आवश्यकता है जो ऐसे ढोंगी दुराचारियों के पक्ष में खड़े होकर तरह-तरह के अनर्गल तर्क देकर अपराध व अपराधी को संरक्षण देने की कोशिशों में लगे हैं।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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