दाढ़ी व बाल कटवाने वाले सिखों को आरक्षण का लाभ नहीं : हाईकोर्ट

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विक्रांत राजपूत

चंडीगढ़.  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि जो सिख अपने बाल काटता है व ट्रिमिंग करता वह अल्पसंख्यक संस्थान में प्रवेश के लिए किसी विशेष लाभ का अधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट का कहना है कि बाल ही सिख समुदाय की मुख्य पहचान है.  

हाईकोर्ट ने छात्रा गुरलीन कौर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने 1925 के सिख गुरुद्वारा कानून में दर्ज ‘सिख’  की परिभाषा की संवैधानिकता को चुनौती दी थी. छात्र गुरलीन कौर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की निगरानी में संचालित अमृतसर स्थित श्री गुरू रामदास इस्टीच्यूट आफ मेडिकल एजूकेशन एंड रिसर्च में एमबीबीएस कोर्स में सिक्खों के लिए आरक्षित सीटों के अधीन यह कहते हुए दाखिला नहीं दिया गया कि वह अपनी भवें बनवाती है और बाल काटती है, इसलिए सिख की परिभाषा में नहीं आती और वह दाखिले की अधिकारी नहीं है.

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