तो हमारी पार्टी क्या कर सकती थी

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अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू को उस समय बड़ा झटका लगा जब पार्टी के छह विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया। हालांकि इसका असर फिलहार बिहार में जारी गठबंधन पर पड़ता नहीं दिख रहा है। बीजेपी और जेडीयू, दोनों ने ही कहा है कि हमारी सरकार स्थिर और मजबूत है। लेकिन लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को भाजपा के ‘खरीद फरोख्त की नीति’ के प्रति सचेत करते हुए कहा कि अरुणाचल में जो हुआ है उसकी काट के तौर पर वह अपने राज्य में विपक्षी दलों के संपर्क में बने रहें। अरुणाचल प्रदेश में 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में जदयू को सात सीटें मिली थीं और भाजपा (41 सीटें) के बाद वह राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई, लेकिन उसके छह विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गए। गौरतलब है कि थोड़ समय के लिए छोड़कर पिछले करीब 15 साल से बिहार में जदयू-भाजपा गठबंधन सत्ता में है। चौधरी ने ट्वीट किया है, ”प्रिय नीतीश कुमार जी, भाजपा से सावधान रहें, वह पूर्वोत्तर क्षेत्र के बदनाम शिकारियों की तरह ही शिकार अभियान (जनप्रतिनिधियों की खरीद फरोख्त) में माहिर है।” पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी ने बिहार के मुख्यमंत्री को सलाह दिया कि बिहार में वह विपक्षी दलों के संपर्क में रहे क्योंकि वहां भी उन्हें ऐसी स्थित (खरीद-फरोख्त) का सामना करना पड़ सकता है। चौधरी ने ट्वीट किया है, ”जैसा कि अभी आप अरुणाचल प्रदेश में झेल रहे हैं, टुकड़े होकर बिखरने से पहले नीतीश कुमार जी नए रास्ते तलाशें, जो कि संभवत: बिहार में विपक्षी दलों के साथ संपर्क में रहना हो सकता है, ताकि आप अरुणाचल वाली समस्या से बच सकें।”

भाजपा ने शनिवार को जोर दिया कि पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली जदयू के विधायकों को ”अपने पाले” में नहीं किया था। साथ ही कहा कि असंतुष्ट विधायकों ने अपनी इच्छा से अपना पक्ष बदला है। बिहार की उपमुख्यमंत्री और भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु देवी ने कुमार को सत्तारूढ़ गठबंधन का ‘अभिभावक’ करार दिया और विश्वास जताया कि पूर्वोत्तर राज्य के घटनाक्रम का बिहार में कोई प्रभाव नहीं होगा। रेणु देवी ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा, ”हमने अरुणाचल प्रदेश में उन्हें (जदयू विधायकों को) अपने पाले में नहीं किया। अगर कुछ विधायकों ने खुद ही हमारे साथ जुड़ने की इच्छा जताई तो हमारी पार्टी क्या कर सकती थी।” बिहार मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी के कारण जदयू और भाजपा के बीच कटुता की खबरों के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। जदयू के विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद 60 सदस्यीय अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में अब सत्तारूढ़ भाजपा के पास 48 विधायक हैं, जबकि जदयू के पास अब सिर्फ एक विधायक बच गया है। वहीं कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी के चार-चार विधायक हैं।

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