तू इधर-उधर की बात न कर…

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– तनवीर जाफरी –

गत् 20 जुलाई 2018 को न केवल लोकसभा में विपक्ष द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर ज़ोरदार चर्चा हुई बल्कि उस दिन सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी के भाषणों के मध्य आरोप-प्रत्यारोप,बचाव,आक्रामकता,व्यंग्य,मसखरापन तथा गांधीवादी प्रदर्शन आदि सबकुछ देखने को मिला। खासतौर पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आसन पर जाकर उनसे लिपट कर गले लगना भी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुिर्खयों में रहा। हमारे देश के संविधान के अनुसार देश की लोकसभा व विधानसभाओं में सरकार द्वारा अपने पक्ष में विश्वास प्रस्ताव तथा विपक्ष द्वारा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है तथा ऐसे प्रस्ताव पूर्व में भी आते रहे हैं। चूंकि लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगियों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार चला रही है इसलिए सरकार के विरुद्ध आए अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय था। यही वजह थी कि अविश्वास प्रस्ताप के पक्ष में केवल 126 मत पड़े जबकि उसके विरुद्ध 325 मत आए।

सरकार गिराने के विपक्षी दलों के प्रयास व सत्ता पक्ष द्वारा सरकार बचाने की सफल कोशिश के बीच 20 जुलाई को लोकसभा में बहस के दौरान जो कुछ घटित हुआ और जैसे आरोप लगाए गए तथा सत्ता और विपक्ष के मध्य जिस प्रकार की नोक-झोंक,उत्तेजना तथा छींटाकशी होती देखी गई वह सब अपने-आप में इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पर्याप्त था कि सत्ता पक्ष भले ही अविश्वास प्रस्ताव पर जीत क्यों न हासिल कर चुका हो परंतु उसके पास विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देने के लिए कुछ भी नहीं है। राहुल गांधी के पूरे भाषण के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के बहुसंख्य सांसद राहुल के भाषण के बीच लगातार शोर-शराबा करते दिखाई दिए। वे नहीं चाहते थे कि संसद में राहुल गांधी उन मुद्दों को उठाएं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,उनकी सरकार व भाजपा के लिए परेशानी व बदनामी का कारण बन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर जिस समय राहुल गांधी राफेल विमान सौदे में कथित धांधली का आरोप लगा रहे थे उस समय भाजपाई सांसद अगस्ता वेस्टलैंड हैलीकॉप्टर का नाम लेकर चिल्लाते सुने गए। परंतु कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक मंझे हुए नेता की तरह विपक्षी दल के नेता की पूरी जि़म्मेदारी निभाते हुए अपनी हर बात ज़ोरदार तरीके से पेश की। उन्होंने जितने भी चुभते हुए हर वह सवाल उठाए जिनका जवाब जनता सुनना चाहती है परंतु अफसोस कि उनमें से किसी सवाल या आरोप का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नहीं दिया गया।

राहुल गांधी ने यह सवाल किया कि राफेल विमान की देख-रेख की जि़म्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय उपक्रम एचएएल को देने के बजाए अंबानी की एक ऐसी कंपनी को क्यों दी गई जिसने पहले न कभी विमान बनाया न ही उसका रख-रखाव किया यहां तक कि वह कंपनी अभी अस्तित्व में भी नहीं है? प्रधानमंत्री के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। राहुल गांधी ने एक बार फिर संसद के माध्यम से यह पूछा कि प्रधानमंत्री के मित्र अमित शाह के पुत्र के कारोबार की पूंजी में इतना इज़ाफा कैसे हुआ इसका भी प्रधानमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। राहुल ने सीधेतौर पर इस प्रकार की अनियमितताओं में प्रधानमंत्री को भी घसीटते हुए यह कहना चाहा कि आप चौकीदार नहीं बल्कि ‘भागीदार’ हैं। उनका सीधा सा तात्पर्य था कि यह सब आपके सामने आपकी नाक के नीचे हो रहा है इसका मतलब आप इससे न केवल सहमत हैं बल्कि इसमें आपकी हिस्सेदारी भी है। इस भागीदारी शब्द को मोदी ने अपने भाषण कला कौशल के माध्यम से घुमाते हुए यूं समझा डाला कि- ‘मैं आपकी तरह सौदागर नहीं,ठेकेदार नहीं बल्कि किसानों की पीड़ा के भागीदार हैं,देश के विकास व मेहनतकश मज़दूरों तथा उनके दु:खों को बांटने के भागीदार हैं’। परंतु अपनी इन लच्छेदार बातों में मोदी जी ने यह स्पष्टीकरण बिल्कुल नहीं दिया कि अंबानी व अमित शाह के किसी प्रकार के गलत सौदों या व्यवसाय अथवा उनके किसी अनुबंध में वे कतई भाीगीदार नहीं हैं। यहां तक कि मोदी ने यह भी आश्वासन नहीं दिया कि यदि राफेल सौदे में,इसके रख-रखाव संबंधी अनुबंध में या अमित शाह के पुत्र की कंपनी में किसी प्रकार की गड़बड़ या अनियमितता होगी तो उसकी जांच निष्पक्ष रूप से कराई जाएगी।

राहुल गांधी की आलोचना करने वालों,कांग्रेस के विरोधियों,बिकाऊ व गोदी मीडिया को तथा सत्ता से लाभ उठाने वाले लालची विश£ेषकों को राहुल गांधी के पूरे भाषण के दौरान उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे तो शायद नहीं दिखाई दिए बजाए इसके उन्हें केवल यह नज़र आया कि संसद में प्रधानमंत्री से राहुल का उनके स्थान पर जाकर गले मिलना प्रोटोकॉल के अंतर्गत् था या िखलाफ? उन्हें राहुल गांधी की सत्तापक्ष को ‘घूरने वाली’ आंखें नहीं दिखाई दीं बल्कि उनकी एक आंख बंद ज़रूर दिखाई दी। वे यह विश£ेषण करते ज़रूर दिखाई दिए कि राहुल को कौन सा विषय संसद में उठाना चाहिए और कौन सा संसद के बाहर जनसभा या रैली आदि में? उन्हें राहुल के पूरे भाषण में उनके द्वारा की गई एकाध शब्दिक गलती तो सुनाई दी परंतु उनके पूरे भाषण में छिपी सच्चाई व उसका मर्म तथा उनका संसद में एक सशक्त विपक्ष के नेता का रूप नज़र नहीं आया। हद तो यह है कि स्वयं प्रधानमंत्री भी राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दों तथा 2014 में भाजपा द्वारा किए गए वादों को पूरा न कर पाने जैसे आरोपों का उपयुक्त जवाब देने के बजाए अपनी चिरपरिचित सहानुभूति अर्जित करने वाली मुद्रा में यही कहते सुनाई दिए कि विपक्ष के पास-‘मोदी हटाओ ही एकमात्र मुद्दा है’। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कुछ ऐसी बातें भी कीं जिनका लोकसभा में होने वाली अविश्वास प्रस्ताव की इस बहस से कोई लेना-देना नहीं था। जैसे उन्होंने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए कहा कि-‘अविश्वास प्रस्ताव का बहाना न बनाईए। जितना अविश्वास वह सरकार पर करती है उतना विश्वास अपने साथियों पर तो कीजिए। हम यहां इसलिए हैं कि हमारे पास संख्या बल है। 125 करोड़ देशवासियों का आर्शीवाद हमारे साथ है। सवाल यह है कि विपक्ष में जो सांसद बैठे हुए हैं वह आिखर किस जनता के आर्शीवद से संसद में पहुंचे हैं?

बहरहाल लोकसभा में हुई इस बहस को भले ही मीडिया ने अपने तरीके से क्यों न परिभाषित किया हो परंतु देश की जनता के सामने वर्तमान सरकार बेनकाब हो चुकी है। राहुल गांधी को प्रोटोकाल समझाने या संविधान के नियम समझाने के बजाए उनके द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देश की जनता जानना चाहती थी जो उसे नहीं मिला। परंतु राहुल गांधी के ज़ोरदार भाषण ने जहां सरकार की क़लई खोल कर रख दी वहीं इससे कांग्रेस पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का हौसला भी बहुत बुलंद हुआ। इस बात की पूरी संभावना है कि राहुल गांधी के इस पोल-खोल भाषण का न केवल कुछ राज्यों में निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी इस भाषण की गूंज सुनाई देगी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अपनी सरकार की चार वर्ष की उपलब्धियां तो ज़रूर गिनाईं परंतु वे राहुल गांधी के इस सवाल का सटीक जवाब नहीं दे सके कि…………….

‘तू इधर-उधर की बात न कर यह बता कि कािफला क्यों लुटा।
मुझे रहज़नों से गरज़ नहीं तेरी रहबरी का सवाल है’।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address – Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar,  Ambala City(Haryana)  Pin. 134003

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