ताज महल के कुछ अनजाने और दर्दनाक सच

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taj mahalभूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी**,,
मेरे मोबाइल के इनबाक्स में एक मैसेज आया मैं लिखने में तल्लीन था, उस समय एस.एम.एस. पर ध्यान नहीं दिया। लेखन पश्चात् मोबाइल का इन बाक्स ओपेन किया तो एक एस.एम.एस. मिला। उसे पढ़कर बड़ा अजीब सा लगा। चूँकि मुझे इतिहास की कत्तई जानकारी नहीं है इसलिए सोचने लगा कि कोई ऐसा व्यक्ति (स्त्री-पुरूष) याद आ जाता तो एल.एम.एस. का मजमून बताकर उसकी राय प्राप्त करता। यही सोच रहा था, तभी सुलेमान भाई का आगमन हुआ। मुझे सोचता देखकर वह बोल उठे अमाँ मियाँ कलम घसीट आज गहन चिन्तन मुद्रा में क्यों बैठे हो? मैंने इशारे से उन्हें सामने रखी पुरानी कुर्सी पर विराजने के लिए कहा। वह बोले देखो डियर तकल्लुफ मत करो मूड में आएगा तो बगैर तुम्हारी इजाजत के बैठूँगा वर्ना खड़ा रहूँगा। इतना कहकर सुलेमान ने खैनी ठोंककर मुँह में डाल लिया और बैठ गए। फिर बोले मियाँ कलमघसीट किस सोच में डूबे हो? क्या मुझसे शेयर नहीं करोगे? मैंने उनकी बात सुनकर चुप्पी तोड़ते हुए कहा डियर! आज ताजमहल और शाहजहाँ के बारे में एक एल.एम.एस. मिला उसे पढ़कर मन खिन्न हो गया। सुलेमान ने कहा लाओ अपना मोबाइल मुझे दिखावो देखूँ क्या लिखा है उस एल.एम.एस. में। मैंने मोबाइल सुलेमान भाई को पकड़ा दिया। वह इनबॉक्स को खोलकर मैसेज का मैटर पढ़ने लगे। जिसमें कुछ इस प्रकार लिखा था-

‘‘ताज महल के कुछ अनजाने और दर्दनाक सच’’

  1. मुमताज शाहजहाँ की 7 बीबियों में से चौथी बीवी थी।
  2. शाहजहाँ ने मुमताज से शादी करने के लिए उसके पहले पति की हत्या कर दी थी।
  3. मुमताज की मौत उसकी 14वीं बार प्रसव के कारण हुई।
  4. मुमताज की मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने उसकी बहन से शादी कर ली थी।
  5. ताजमहल बनाने वाले सारे कारीगरों को शाहजहाँ ने मरवा दिया था।

क्या अब भी आप को लगता है कि ताजमहल सच्चे प्यार की निशानी है? ताज महल सिर्फ भारतीय कला का एक अजूबा है। खुद सोचो और फारवर्ड करके दूसरों को भी सोचने पर मजबूर कर दो। यह 100 फीसद सत्य है। इतना पढ़कर सुलेमान भाई ने कहा कि डियर कलम घसीट सोचना बन्द कर इसे किसी अपने खास को फारवर्ड कर दो। मैंने कहा डियर ब्रदर तुमसे खास कौन है और इतना कहकर मैं मोबाइल सेट सुलेमान के हाथों से झपट लेता हूँ और उस एल.एम.एस. को उसके नम्बर पर फारवर्ड कर देता हूँ। हम दोनों मित्र इस कार्य उपरान्त रिलैक्स महसूस करते हैं और राम भरोस चाय वाले की दुकान की तरफ चल पड़ते हैं। रास्ते में सुलेमान ने कहा कि यह सब बातें हमारे सोचने की नहीं हैं। इतिहासकार सोंचे और उस पर शोध करें। मैं चुप्पी साध लेता हूँ।

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Bhupendra_Singh_Gargvanshi भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी**

*लेखक  भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी अकबरपुर अम्बेडकरनगर (उ.प्र.) के निवासी एवं पत्रकार हैं।

**भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
मो.नं. 9454908400
*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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