तटीय सुरक्षा पर केन्द्र सरकार की हाई-स्पीड

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संतोष ठाकुर

नौ राज्यों और चार केन्द्र शासित प्रदेशों की 7516 किमी लंबी तटीय सीमाएं देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए हमेशा से संवेदनशील रही हैं। हाल के वर्षों में जब देश और दुनिया में आतंकी घटनाओं की संख्या में इजाफा होना शुरू हुआ और कई देशों में तटीय इलाकों से घुसपैठ की समस्याएं बढ़ने लगीं तो भारत सरकार ने वर्ष 2005-06 में एक पंचवर्षीय तटीय सुरक्षा योजना का खाका तैयार किया जिसके अंतर्गत केन्द्र सरकार ने तटीय सीमा वाले सभी नौ राज्यों व 4 केन्द्र शासित प्रदेशों को उच्च तकनीक वाली हाईस्पीड इंटरसेप्टर निगरानी नावों के साथ ही अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने का निर्णय किया।

योजना का उद्देश्य यह था कि किसी भी तटीय सीमा से कोई भी अवैध घुसपैठ ना हो और तटीय सीमाएं सभी तरह के मानव-मादक द्रव्य तस्करी से भी मुक्त हों। केन्द्र सरकार ने योजना के तहत व्यय होने वाली सभी तरह की राशि भी स्वयं वहन करने का निर्णय किया जिससे योजना को लेकर किसी  भी राज्य में उदासीनता ना रहे। योजना की निरन्तर निगरानी के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया गया। योजना के अंतर्गत नौ राज्यों में 73 तटीय पुलिस थाने, 97 तटीय चेक पोस्ट, 58 तटीय आउट पोस्ट, 30 बैरकों के साथ ही समुद्री निगरानी के लिए 204 अत्याधुनिक हाई स्पीड बोट के निर्माण खरीद को मंजूरी दी गयी। मंजूर की गयी 204 बोट (नाव) में से 194 नाव त्वरित आधार पर उपलब्ध कराने का निश्चय किया गया। इनमें से 110 नाव 12 टन की और 84 नाव 5 टन की होंगी, यह निश्चय भी किया गया। अलग तरह के भार की नाव खरीदने का उद्देश्य सभी क्षमता की नाव की उपलब्धता को सुनिश्चित करना था। योजना के लिए केन्द्र सरकार ने कुल 52261.15 लाख रुपये (अनावर्ती व आवर्ती) को मंजूरी दी।

 इस बीच, वर्ष 2008 में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्करे ए तैयबा ने भारत में समुद्री मार्ग से हमले की योजना बनाई। उसने कराची बंदरगाह से अपने स्थानीय एजेंटों की मदद से मोहम्मद अजमल आमिर कसाब समेत दस आतंकवादियों को जेहाद के नाम पर मुम्बई पर हमला करने के उद्देश्य से रवाना किया। यह आतंकी कराची बंदरगाह से वाया गुजरात होते हुए समुद्री मार्ग से मुम्बई पहुंचे। जहां इन्होंने 26 नवम्बर को जमकर तबाही मचाई। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, होटल ताज, ओबराय ट्राईडेंट, कामा अस्पताल समेत करीब आधा दर्जन जगहों पर इन आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर करीब डेढ़ सौ से अधिक आम नागरिकों – रेलवे पुलिस के जवानों के साथ मुम्बई पुलिस के जवान-अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में कसाब को छोड़कर अन्य सभी आतंकी ढेर कर दिए गए। कसाब से पूछताछ में पुलिस को मालूम हुआ कि उन्होंने भारत पहुंचने के लिए समुद्री मार्ग अपनाया जिसे भारत सरकार संवेदनशील मानती रही है।

इस घटना के बाद सरकार ने तटीय सुरक्षा योजना के लिए हासिल की जाने वाली नावों की आपूर्ति के लिए अंतिम तिथि को अप्रैल 2011 से घटाकर 2010 कर दिया। जिससे योजना को तीव्र गति से आगे बढाया जा सके। योजना को लेकर केन्द्र सरकार किस कदर संजीदा है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि स्वयं केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने पिछले दिनों जून महीने में नाव सप्लाई करने वाली दोनों कंपनियों गोवा शिपयार्ड लिमिटेड व गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड के साथ ही तटरक्षक बल, जहाजरानी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर योजना में गति लाने का निर्देश दिया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने दोनों कंपनियों को, जो नाव उपलब्ध कराने के साथ ही उनकी मरम्मत आदि के लिए भी जिम्मेदार हैं, को निर्देश दिए कि वह हर महीने कम से कम दो नाव राज्यों को उपलब्ध कराए जिससे तटीय सुरक्षा योजना में नाव की कमी बाधक न बनने पाए।
 
 मुम्बई हमले के बाद सरकार ने इस योजना की गति को किस तरह बढ़ाया और वह इस योजना को लेकर किस तरह कार्य कर रही है, इसका एक प्रमाण यह भी है कि 30 जून 2009 तक 73 तटीय सुरक्षा थानों में से 59 ने कार्य करना शुरू कर दिया है। इनमें गुजरात के सभी 10 थानों के साथ ही महाराष्ट्र के सभी 12, गोवा के सभी 3, कर्नाटक के सभी 5, आन्ध्र प्रदेश के सभी 6 व तमिलनाडु के सभी 12 मंजूर तटीय थाने शामिल हैं। इसके अलावा केन्द्र शासित पांडिचेरी के मंजूर 1, लक्षद्वीप के 4, दमन द्वीव के 1 मंजूर तटीय थानों ने भी कार्य करना शुरू कर दिया। इनके अलावा मंजूर 97 जांच चौकियों में से 25 ने भी कार्य करना शुरू कर दिया है। गृह मंत्रालय ने योजना के अंतर्गत गोवा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, लक्षदीव को 5 टन की नाव उपलब्ध कराने के साथ ही गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र व दमन-दीव को 12 टन की नाव भी उपलब्ध कराई है। इन नावों की स्पीड 25 समुद्री मील है। एक समुद्री मील में करीब 1.8 किमी. की दूरी होती है। इस रपऊतार से ये नाव किसी भी नाव को समुद्र में पकड़ने में कामयाब होगी। पूर्व में ऐसी नाव का निर्माण देश में नहीं होता था। इसको ध्यान में रखकर योजना की शुरूआत में नाव डिलीवरी के लिए चुनी गयी दोनों कंपनियों को जर्मनी से इस तरह की आठ नाव लाकर दी गयीं थीं जिन्हें नमूने के रूप में रखकर उन्होंने अन्य नावों का निर्माण किया। मंत्रालय अधिकारियों के अनुसार इन नावों की कीमत की बात करें तो 12 टन की एक नाव की कीमत 215 लाख रुपये व 5 टन की एक नाव की कीमत 105 लाख रुपये है।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक बार फिर से सभी राज्यों को कहा है कि वे तटीय सुरक्षा योजना के तैनात किए जाने वाले कर्मियों को लेकर दिशा-निर्देश बनाएं जिससे उनकी तैनाती जल्द हो। नाव चलाने, कर्मियों को विभिन्न तरह की समुद्री लड़ाई-हमले से बचने या उसे जीतने के लिए प्रशिक्षण का कार्य तटरक्षक बल को सौंपा गया है। इसके अलावा तटीय सीमाओं को और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने तटीय सीमा वाले सभी 3331 गांवों के निवासियों व मछुआरों को वर्ष 2009-10 की जनगणना के साथ ही बहुउद्देश्यीय पहचान पत्र उपलब्ध कराने का भी निर्णय किया है जिससे इन सभी गांवों में किसी भी अवांछित व्यक्ति की पहचान मुश्किल ना रहे। तटीय सीमा वाले सभी गांवों के मछुआरों के लिए समुद्र में नाव उतारने से पहले उनके लिए तय रंग-व्यवस्था मानने का भी नियम बनाया गया है। सभी तटीय राज्यों में समुद्र में नाव उतारने के लिए राज्य के लिहाज से अलग रंग होगा। इसका उद्देश्य किसी भी बाहरी नाव को चिन्हित करना और उसे समय रहते घेरना है जिससे हर कोई आतंकी संगठन समुद्री मार्ग का उपयोग कर भारत पर मुम्बई हमले जैसे कृत्य को अंजाम न देने पाए। 

(लेखक दैनिक भास्कर से जुड़े हैं)

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