डॉक्टर कल्बे सादिक़ को पदम् भूषण से नवाज़े जाने के निहितार्थ ?

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  -तनवीर जाफ़री-

भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के सर्वोच्च समझे जाने वाले पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। आम तौर पर  ऐसी हस्तियों को इन पदम् सम्मानों से नवाज़ा जाता है जिन्होंने कला,संस्कृति,साहित्य,जन सेवा,शिक्षा,व्यापार,धर्म,खेल,आदि अनेक क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाते हुए देश की तरक़्क़ी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हो । सरकार द्वारा जिन्हें भी पदम् सम्मानों से सुशोभित किया जाता है इसका अर्थ यह भी है कि सरकार द्वारा क्षेत्र विशेष में की गयी उसकी कारगुज़ारियों की न केवल सराहना की जा रही है बल्कि उसे मान्यता भी प्रदान की जा रही है। इस वर्ष भी 7 विशिष्ट हस्तियों को जहां पद्म विभूषण से नवाज़ा गया वहीँ 10 विशिष्ट हस्तियों को पद्म भूषण देने की घोषणा की गयी जबकि 102 हस्तियों का नाम पद्मश्री पुरस्कार के लिए घोषित किया गया। पदम् भूषण प्राप्त करने वालों में एक नाम डॉक्टर क्लब-ए-सादिक़ का भी है जिन्हें मरणोपरांत इस अति प्रतिष्ठित सम्मान से नवाज़ा गया। डॉक्टर क्लब-ए-सादिक़ का निधन गत वर्ष 24 नवंबर को 81 वर्ष की आयु में हो गया था। मुस्लिम समुदाय से  संबंध रखने वाले और भी कई लोगों के नाम इन पदम् पुरस्कारों की सूची में शामिल हैं। मिसाल के तौर पर मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान को अध्यात्म के क्षेत्र में पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया है। उन्हें सन 2000 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।धर्म- अध्यात्म के क्षेत्र में मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान का भी महत्वपूर्ण योगदान है। परन्तु जहाँ तक डॉक्टर क्लब-ए-सादिक़ का प्रश्न है तो निश्चित रूप से शिया धर्म गुरु होने के साथ साथ उन्होंने धार्मिक व सामाजिक एकता के क्षेत्र में तथा मानवता की ख़ातिर जो काम किये हैं वे बेमिसाल हैं। 

                                                         डॉक्टर क्लब-ए-सादिक़ मजलिसों (प्रवचन) में कभी भी किसी ऐसे विवादित विषय पर बयान नहीं देते थे जिससे शिया-सुन्नी या हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच फ़ासला पैदा हो । आम तौर पर आज प्रत्येक समाज में आपको ऐसे अनेक तथाकथित ‘धर्म गुरु’ मिलेंगे जो एक दूसरे समाज के विरुद्ध विवादित बातें कर अतिवादी विचारों का प्रसार करते हैं तथा इसी को अपनी लोकप्रियता का मापदंड बनाते हैं। परिणाम स्वरूप विभिन्न समाजों के बीच खाईयां और गहरी होती जाती हैं। और कभी कभी यही फ़ासला संघर्ष व दंगे फ़साद के रूप में भी परिवर्तित हो जाता है। परन्तु डॉक्टर कल्ब-ए-सादिक़ ने कभी भी इन हथकंडों को अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया। वे धर्म और विज्ञान के बीच सामंजस्य स्थापित करने की बातें करते थे। अपने प्रवचनों के माध्यम से वे हमेशा समाज के हर वर्ग को जोड़ने की बातें करते थे। डॉक्टर सादिक़ ने हमेशा मानवता,सद्भाव,भाईचारा को बढ़ावा दिया। वे हर समय ग़रीबों व मज़लूमों की मदद करने को तत्पर रहते थे तथा  हर धर्म व जाति के लोगों को समान रूप से सम्मान देते व हर धर्म का आदर व सत्कार करते थे। शिया समुदाय से संबंध रखने वाले डॉक्टर सादिक़ शिया सुन्नी एकता के इतने बड़े पक्षधर थे कि उन्होंने गत कई वर्षों से दोनों वर्गों के मुसलमानों को एक साथ एक ही मस्जिद में नमाज़ अदा करने की मुहिम चलाई हुई थी । वे केवल सुन्नी शिया एकता के ही नहीं बल्कि हिन्दू मुस्लिम एकता के भी ज़बरदस्त पैरोकार थे। हज को  हालांकि इस्लाम की अनिवार्य कारगुज़ारियों में गिना जाता है। परन्तु डॉक्टर सादिक़ कहते थे कि किसी इंसान की जान बचाना चाहे वह हिन्दू मुस्लिम कोई भी हो, हज से भी अधिक पुण्य कमाने का कारक है। लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के कई शहरों में डॉक्टर क्लब-ए-सादिक़ द्वारा स्थापित अनेक संस्थाएं स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में बख़ूबी अपना काम कर रही हैं।इनमें आधुनिक शिक्षा,चिकित्सा,औद्योगिक शिक्षा व कंप्यूटर जैसी शिक्षा शामिल हैं। 

                                                       इसमें कोई शक नहीं कि डॉक्टर कल्ब-ए-सादिक़ व इन जैसे देश के अन्य समाजसेवी व मानवता की भलाई करने वाले लोग चाहे वे किसी भी धर्म व समुदाय के हों इस तरह के प्रतिष्ठित पुरस्कारों के हक़दार हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार निश्चित रूप से पदम् पुरस्कारों हेतु ऐसे नामों का चयन करने के लिए बधाई की पात्र है। परन्तु भाजपा व उसके संरक्षक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की खांटी हिन्दुत्वाद को बढ़ावा देने की जो नीति रही है उसे देखते हुए पदम् पुरस्कारों हेतु डॉक्टर कल्ब-ए-सादिक़ के नाम का चयन कई सवाल खड़े करता है। याद कीजिये जब यही नरेंद्र मोदी 2002 के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री थे और राज्य में गोधरा कांड के बाद बड़े पैमाने पर और काफ़ी लंबे समय तक मुसलमानों का नरसंहार कथित रूप से राज्य सत्ता  के संरक्षण में हो रहा था उसी दौरान एक अत्यंत भयावह नरोदा पाटिया नरसंहार भी 28 फ़रवरी को हिंदुत्ववादी भीड़ द्वारा अंजाम दिया गया था। इस नरसंहार में 97 मुस्लिम मरे गए थे जिसमें 36 महिलाएं व 35 बच्चे भी शामिल थे। जबकि 30 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। दंगाइयों व हत्यारों की इस भीड़ का नेतृत्व भाजपा नेता व गुजरात की मंत्री रहीं माया कोडनानी कर रही थीं। उनके विरुद्ध नामज़द रिपोर्ट दर्ज हुई थी और बाद में उन्हें सज़ा भी हुई थी। परन्तु तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नरोदा पाटिया सामूहिक नरसंहार में शामिल होने के बावजूद उन्हें न केवल विधान सभा का चुनाव लड़वाया बल्कि उन्हें मंत्रिमंडल में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया। ग़ौरतलब है कि उस दौरान जब अमेरिका ने नरेंद्र मोदी को अमेरिका आने के लिए प्रतिबंधित किया था उसकी एक मुख्य वजह माया कोडनानी जैसी सामूहिक हत्याकांड आरोपी को प्रोत्साहित करना भी था। 

                                                      आज भी संसद से लेकर अनेक विधान सभाओं में अनेकानेक सदस्य मंत्री से लेकर अनेक महत्वपूर्ण व ज़िम्मेदार सरकारी पदों पर ‘सुशोभित’ हैं जिनकी योग्यता केवल यही है कि वे दंगे फ़साद सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के या तो आरोपी हैं या मास्टर माइंड। अनेक नेताओं ने तो अपनी राजनैतिक भविष्य व तरक़्क़ी के लिए इसी नफ़रत के कारोबार को ही ज़रिया बना रखा है। ज़ाहिर है वे भी सरकार के ही चहेते हैं। ऐसे वातावरण में पदम् भूषण पुरस्कार हेतु डॉक्टर कल्ब-ए-सादिक़ के नाम का चयन मोदी सरकार द्वारा किया जाना बेशक यह सोचने के लिए मजबूर करता है कि क्या भाजपा अपने खांटी हिंदुत्ववादी सिद्धांतों से इतर कोई दूसरी राह अख़्तियार करने जा रही है या इस तरह के धर्म गुरुओं को इतने बड़े सम्मान से सुशोभित कर मुस्लिम समाज के उन मतों पर नज़र जमाए हुए है जो आम तौर पर भाजपा के खाते  में नहीं जाते। जो भी हो  डॉक्टर कल्ब-ए-सादिक़ इस पुरस्कार के हक़दार थे।मोदी सरकार उनके नाम के चयन के लिए बधाई की पात्र है।आशा की जानी चाहिए कि भाजपा की मोदी सरकार भविष्य में भी समाज को जोड़ने वाले विभिन्न धर्मों व समुदायों के ऐसे ही लोगों को सम्मानित करती रहेगी।यह देशहित में भी होगा व मानवता के भी पक्ष में ।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – : Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address – Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar,  Ambala City(Haryana)  Pin. 134003

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