झारखंड के पास एग्रीकल्चर की अपार क्षमता

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imagesआई एन वी सी न्यूज़
रांची,
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में खरीफ के मौसम में कुल खेती योग्य भूमि में से 12 लाख हेक्टेयर भूमि में बुआई नहीं होती है। इसे दलहन की खेती से आच्छादित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड के पास दलहन की खेती के माध्यम से खेती योग्य भूमि के विस्तार की अपार क्षमता है, अतः इस मौसम में दालों की खेती कर उपजाऊ भूमि को बढ़ाया जा सकता है साथ ही दाल की उत्पादकता में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पाद एवं सघनता को बढ़ाना है,इस हेतु उन्होंने राज्य में फसलों के अधिक उत्पादन हेतु बुवाई क्षेत्र को बढ़ाने पर जोर दिया। वे आज प्रोजेक्ट भवन में कृषि विभाग के साथ बैठक कर रहे थे।

श्री गौबा ने कृषि निदेशालय के पुर्नगठन हेतु विभाग को एक व्यापक प्रस्ताव बनाने का निदेश दिया। उन्होंने बाजार समिति के पुनःनिर्माण और बुनियादी सुविधाओं के अधिकतम उपयोग हेतु एक दीर्घकालीन योजना बनाने पर जोर दिया। उन्होंने वित्तीय वर्ष 2014-15 में कृषि कार्य में हुए उपलब्धियों की भी समीक्षा की।

कृषि सचिव श्री एन.एम.कुलकर्णी ने विभाग की वर्तमान स्थिति,उपलब्धियां और भविष्य की योजनाओं के लिए रोडमैप पर प्रकाश डाला।

कृषि निदेशक श्री जटाशंकर चौधरी ने कहा कि खरीफ फसलें मॉनसून पर निर्भर होती है।यदि इस वर्ष कम वर्षा हुई तो हमें धान के बजाय दलहन और तिलहन की खेती पर विशेष ध्यान देना होगा। राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2011-12 और 2012-13 में दलहन के उत्पादन में  कृषि कर्मण पुरूस्कार मिला है।

झारखंड राज्य बागवानी मिशन के निदेशक डॉ. प्रभाकर सिंह ने बागवानी के समग्र विकास हेतु रोडमैप की जानकारी दी। उन्होंने कहा वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य के 10 जिलों में 19558 हेक्टेयर बेकार भूमि का उपयोग काजू उत्पादन हेतु किया जा रहा है।

बैठक में विकास आयुक्त श्री आर.एस. पोद्दार, कृषि विभाग की विशेष सचिव श्रीमती पूजा सिंघल सहित संबंधित विभाग के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

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