जेनेटिक इंजीनियरिंग भविष्य में किसी भी रोग का ईलाज करने में सक्षम होगा – डॉ धनीराम बरुआ

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आई.एन.वी.वी.,,
दिल्ली,,

एक  हैं डॉ धनीराम बरुआ, मजाकिया , पल में गुस्सेल यानि- पल में माशा, पल में तोला, विवादों से उनका चोली दामन का साथ  रहा है. उन्होंने हाल ही में जेनेटिक इंजीनियरिंग पर ९ मोटी – मोटी किताबें लिख डाली हैं. इतनी मोटी की विज्ञान के छात्रो को ही नहीं वरन डॉक्टरों को भी पढ़ने में पसीना आ जाये. मैं उन्हें बहुत पहले से जानता हूँ और मुझे लगता है कि कहीं तो कोई सच्चाई है उनमें.
इस बार उन्होंने दावा किया है कि जेनेटिक मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग भविष्य में किसी भी रोग का ईलाज करने में सक्षम होगा . वह मानते हैं कि आज मेरी बात लोगो के गले नहीं उतर रही है, क्योंकि मेरी बात मानने से करोड़ो – अरबों के मेडिकल व्यवसाय पर असर पड़ेगा. लिहाजा मुझे अपनी बात मनवाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ेगें, लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा. उनका कहना है कि मैं विश्व प्रसिद्ध मेडिकल एक्सपर्ट को आमंत्रित करता हूँ कि वह आयें मेरे द्वारा ईलाज किये गये मरीजों से बात करे या जिनका मैं ईलाज कर रहा हूँ उन पर रिसर्च करें .
डॉ बरुआ के अनुसार ,”मैंने ऐसे ऐसे डॉ, जज और पड़े लिखे लोगों का ईलाज किया है, जो हताश हो गये थे , बड़े  बड़े डॉ व अस्पतालों ने उम्मीद की किरन छोड़ दी थी ऐसे में वह मेरे पास आये मैंने उनका ईलाज किया हार्ट का. जिन लोगो को मरा हुआ मान लिया गया था उन्हें मेरे ५- ६  जेनेटिक माध्यम ने नया जीवन दिया और वह लोग आज पिछले ४-५ वर्षों से बिना किसी दवा के  जिन्दा ही नहीं आम आदमी जैसे स्वस्थ्य है.
डॉ बरुआ का कहना है कि हार्ट की कैसी भी समस्या को मैं ठीक वैसे ही सही करता हूँ जैसे आम डॉ खांसी, जुकाम को ठीक करते हैं. हार्ट के अलावा बेक पैन, जोड़ों का दर्द, हाई और लो बी पी, शुगर जैसी बीमारियों  का आसान ईलाज है  जेनेटिक इंजीनियरिंग.
असम में गोहाटी के पास सोनापुर में उनका अस्पताल है और सरल भाषा में कहा जाये तो ऐसे खेत हैं जहाँ सालों साल रिसर्च करने के बाद वह ऐसे प्लांट  उगाते हैं जिनसे वह ईलाज कर पाते हैं. डॉ बरुआ के अनुसार उनके पास कैंसर जैसे असाध्य बिमारी का ईलाज भी है लेकिन मेरे पास ज्यादातर मरीज तब आते हैं जब कैंसर की आखिरी स्टेज होती है और सारे डॉ हाथ खड़े कर चुके होते हैं. तब भी मैं चुनौती के तौर पर ऐसे मरीजों का ईलाज करता हूँ और जो मरीज तथाकथित कैंसर विशेषज्ञ के अनुसार  ३-६ महीने का मेहमान होता है. मैं उसे अपने ईलाज से ३-६ साल तक जिन्दा रखता हूँ. यदि यही मरीज मेरे पास आखिरी समय  से कुछ पहले आ जाये तो मैं कैंसर को भी जड़ से उखाड़ फेंकू.
मैं कहता हूँ कि सभी ईलाज कहने भर को है तो क्यों न पत्रकारों को जो मेडिकल पर लिखते रहे हैं जाकर रिसर्च करे कि क्या सच है क्या झूठ. डॉ बरुआ यदि १० बीमारियों को जड़ से ठीक करने का दावा करते हैं यदि उनमें  से 9 न सही होते  हो लेकिन यदि एक भी बिमारी का ईलाज होता हो  तो क्या यह जेनेटिक  इंजीनियरिंग में एक नये अध्याय के जुड़ने जैसा नहीं होगा.
मेरा अपना मानना है कि किसी भी तरह खोज करने वाले को पहले बेवकूफ और मिराकी  ही समझा जाता है और ऐसे में डॉ बरुआ को भी पागल समझा जाना उनकी खोज या उपलब्धि को कम नहीं कर सकता .मैं यह बात इसलिए इतने  ठोस शब्दों में कह सकता हूँ कि मैं मुंबई के एक एम बी बी एस डॉ. दीपक शाह और जज डब्ल्यू. एस. राणे से मिला हूँ जिन्हें हार्ट की समस्या थी और उन्हें तमाम डॉ ने थैंक्यू कह दिया था. ऐसे में डॉ बरुआ भगवान् बन कर आये, ऐसा मैं नहीं ये दोनों कह रहें हैं. अब मैं ऐसा तो नहीं मान नहीं सकता की इन दोनों उच्च शिक्षा प्राप्त डॉ. दीपक शाह और जज डब्ल्यू. एस. राणे को डॉ बरूआ ने खरीद लिया हो कि भैय्या वही बोलना जो मैं चाहूँ क्योंकि बात करने से इतना तो महसूस हो ही जाता है कि सामने वाला कितना सच बोल रहा है और कितना झूठ .
दोनों के अनुसार हार्ट की समस्या के चलते हमारा उठना बैठना यहाँ तक कि बोलना भी बंद हो गया था. जज डब्ल्यू. एस. राणे के अनुसार, ”डॉ ने कहा कि बाई पास सर्जरी करवानी पड़ेगी, लेंकिन  इसके बावजूद जरुरी नहीं कि आप स्थायी तौर पर सही हो जाये. मेरी हालत ऐसी हो गयी थी कि मुझे अपना पेशा छोड़ना पड़ा, क्योंकि न मैं चल सकता था, मेरे हाथों ने काम करना बंद कर दिया था, मैं बोल भी नहीं पाता था, ऐसे हालात में मुझे डॉ बरुआ का पता चला. लिहाजा मरना तो तय था सोचा क्यों न एक चांस ले लूं. जब मैं उनके गोहाटी के पास स्थित अस्पताल में गया तो उन्होंने मुझे ३-४ इंजेक्शन लगाये यह चार साल पहले कि बात है. क्या आप यकीन करेगें कि मैं करीब एक सप्ताह बाद अस्पताल के सामने वाली पहाड़ी पर २-३ किलोमीटर चढ़ गया और तब से अब तक न तो डॉ बरुआ की या अन्य किसी डॉ की कैसी भी दवा मैं खाता हूँ. मेरे पहले के डॉ अब यह मानने को तैयार ही नहीं हैं कि मुझे हार्ट की बिमारी थी.
ऐसे ही एम बी बी एस डॉ दीपक शाह का कहना है कि  मैं बाई  पास करवा  चुका  था और कुछ  महीने ठीक रहने के बाद  मुझे हार्ट की समस्या फिर से शुरू  हो  गयी तब डॉ बरुआ ने गोहाटी  स्थित अस्पताल  में रख कर मेरा ईलाज किया और आज ४-५ साल के बाद मैं बिल्कुल भला चंगा हूँ.
हो सकता है मेरे लिखने से पहले पाठको को यह लगता हो जैसे विभिन्न चैनलों पर पैसा देकर स्लाट खरीद कर वैध जी, डॉ, ज्योतिषियों ने अपनी दुकानदारी चला रखी है वैसा ही गुणगान मैं कर रहा हूँ ऐसा सोचना बिल्कुल गलत होगा. क्योंकि मैं वहीँ लिख रहा हूँ जैसा मैंने महसूस किया या मैंने लोगों से बात की. यह ठीक है कि में उन्हें बहुत पहले से जानता हूँ लेकिन आँख मूँद कर नहीं. लिहाजा मैं चाहूँगा कि सिर्फ और सिर्फ कुछ डॉ  विशेषज्ञ, मेडिकल  के पत्रकार  आगे आये और सच्चाई का पता लगाये कि  डॉ बरुआ  के दावों में कितनी सच्चाई है तो उनकी बात कलम के माध्यम से आम आदमी तक पंहुचाये, जिससे समाज का भला हो और उनके दावों में सच्चाई नहीं है तो उसे भी दुनियां के सामने उजागर करें लेकिन ठोस सबूत के साथ.
डॉ बरुआ रेखा के अभिनय को बहुत पसंद करते हैं और सनी देओल के अभिनय को भी,उन्हें जब से पता चला है कि    संनी को स्पोंडलाइटिस यानि बैक की प्रोब्लम है तब से डॉ सनी से एक बार मिलना चाहते है उनका कहना है कि मैं सनी को १० दिन मैं बिल्कुल ठीक कर सकता हूँ . अब यदि सनी देओल पढ़ रहे हों तो उन्हें डॉ बरुआ से मिलने में कोई हर्ज नहीं है क्योंकि डॉ का  कहना है कि ऐसे पॉवर फुल हीरो को पॉवर फुल ही रहना चाहिए
वैसे डॉ.बरुआ को पुराने हीरो राजकुमार का अभिनय और व्यक्तित्व बहुत पसंद था और नाना पाटेकर के बारें में उनका कहना है कि वह तो बहुत मिराकी लगता है लेकिन अभिनय कमाल का करता है,  तो अब राजकुमार और नाना पाटेकर डॉ बरूआ  की पसंद हैं तो कुछ कहने की गुंजाइश कहाँ बचती है.

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