जावेद सिद्दीकी हकीकत को फिक्शन और फिक्शन को हकीकत बनाने के हुनर से वाकिफ हैं : आबिद सुहेल

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penआई एन वी सी,
लखनऊ,
हिन्दी उर्दू साहित्य एवार्ड कमेटी के तत्वाधान में उसने अपनी 24वें अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक समारोह का आयोजन किया। इसके सिलसिले में पहला समारोह जावेद सिद्दीकी के व्यक्तित्व से सम्बन्धित था, जिसकी अध्यक्षता लेखक व पत्रकार आबिद सुहेल की। उन्होने जावेद सिद्दीकी के व्यक्तित्व और कृतत्व पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला उन्होने कहा कि जावेद सिद्दीकी हकीकत को फिक्शन और फिक्शन को हकीकत बनाने के हुनर से वाकिफ हैं और वे इसमें महारत रखते हैं। डा0 अनीस अन्सारी उपसचिव, उर्दू अरबी फारसी विश्वविद्यालय में विशिष्ट अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए। इस अवसर पर आये हुए अतिथियों का स्वागत अतहर नवी एडवोकेट, जियाउल्ला सिद्दीकी, डा0 मसीउद्दीन और रफी अहमद ने गुलदस्ता पेश करके किया। अनीस अंसारी ने कहा कि इस बात को स्वीकार करने की जरूरत है कि मदरसे और फिल्में न होते तो उर्दू के मुखालिफ इसको बहुत पहले मुल्क बदर कर चुके होते। इस मौके पर हिन्दुस्तान के विभिन्न प्रदेशों से आये पत्र लेखकों ने भाग लिया और जावेद सिद्दीकी से सम्बन्धित अपने पत्रों को सेमीनार में पढ़ा। प्रोफेसर सगीर इफराहिम ने रोशनदान के विषय में एक लम्बा लेख पेश किया, जिसमें उनके खाकों में मनुष्य के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को बहुत ही बेहतर तरीके से पेश किया गया है। प्रोफेसर साहिब अली के पत्र का विषय जावेद सिद्दीकी की खाकानिगारी था। उन्होने उनकी नसरी विशेषता के विषय में कहा कि उनका लेखन चुम्बकीय शक्ति रखता है जो पढ़ने वालों को उसके प्रति आकर्षित रखता है। डा0 सीमा सगीर ने अपने लेख ‘‘रोशनदान एक अध्ययन’’ में कहा कि जावेद सिद्दीकी के यहां पत्रकारिता की छवि साफ तौर पर नजर आती है और उनके लेखन मे थियेटर के ड्रामाई तत्व भी मिलते हैं। डा0 सबीहा अनवर ने ‘‘आईना और जाविये’’ के विषय से एक पत्र पेश किया। जावेद सिद्दीकी हसमुख स्वभाव के मालिक हैं। इलियास शौकी ने कहा कि उनके लेख रसीद अहमद सिद्दीकी की याद दिलाते हैं। शेख अब्दुल्ला (मुम्बई) ने जावेद सिद्दीकी को एक मशहूर खाकानिगार कहा। प्रोफेसर अली अहमद फातिमी ने जावेद सिद्दीकी के लेखों को इंसानी लेख का नाम दिया। डा0 असलम परवेज ने कहा कि जावेद सिद्दीकी अपने आप में बेमिसाल है। प्रोफेसर वहाजुद्दीन अलवी ने रोशनदान को एक साहित्यिक विरासत करार दिया। शमा जैदी ने कहा कि जावेद सिद्दीकी की किताब रोशनदान विश्वविद्यालय के कोर्स में शामिल कर ली गई है। प्रोफेसर इरतिजा करीम ने जावेद सिद्दीकी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जावेद सिद्दीकी मृदुभाषी, अच्छे लेखक हैं और बहुत सोच समझकर कलम उठाते हैं। ‘‘रोशनदान के द्वारा पढ़ने वालों पर उनके विषय में कई रोशनदान खुलते हैं। उन्होने सोसायटी के महासचिव अतहर नबी के विषय में बात करते हुए कहा कि उन्होने साहित्य के विषय से एक ऐसे व्यक्ति पर सेमिनार का आयोजन करके उर्दू दुनिया पर एहसान किया। इस मौके पर जावेद सिद्दीकी पर बनाई गई एक दस्तावेजी फिल्म भी पेश की गई। इस अवसर पर जावेद सिद्दीकी ने सभी पत्र लेखकों और अतहर नबी एडवोकेट का विशेष रूप से शुक्रिया अदा किया। सेमिनार में हिन्दी और उर्दू के विख्यात लेखकों ने भाग लिया, जिनमें प्रोफेसर नसीर अहमद खान, प्रो0 मलिकजादा मंजूर अहमद, प्रो0 गंगाप्रसाद विमल, प्रो0 साहा, प्रो0 तुलसीदास, इलियास शौकी, असलम परवेज, जियाउल्ला सिद्दीकी, रफी अहमद, डा0 मसीउद्दीन, सलमा हिजाब, गजाला अनवर सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे। अन्त में सोसायटी के सेक्रेटरी अतहर नबी एडवोकेट ने सेमिनार में आये अतिथियों को धन्यवाद दिया।

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