जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिनूबल मिशन- भृष्टाचार की भेंट चढ़ी सिटी बस योजना

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   = कानपुर में 270 के सापेक्ष 130 बसें सड़कों पर -प्रदेश में सात शहरों में चल रहीं सीएनजी बसें  =

3अनिल सिन्दूर ,
आई एन वी सी ,
कानपुर-
पर्यावरण को दृष्टिगत रख जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिनूबल मिशन योजना अर्न्तगत उ.प्र. के सात बड़े शहरों में सीएनजी से चलने वाली सिटी बस केन्द्र सरकार के आर्थिक सहयोग से संचालित की गयीं यह योजना चार वर्षों मे ंही भृष्टाचार की भेंट चढ़ गयीं।
बसपा शासन काल में 13 अक्टूबर 2009 को नागरिकों को सुगम यातायात ,बिना पर्यावरण को क्षति पहुचाए, उपलब्ध कराने को जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिनूबल मिशन योजना अर्न्तगत उ.प्र. के कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, मेरठ, नोयडा, आगरा तथा वाराणसी शहरों में सीएनजी सिटी बसों को केन्द्र सरकार 50 प्रतिशत अंशदान के आर्थिक सहयोग से संचालित किया गया। 50 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार को शहरों के स्थानीय निकाय नगर निगम, विकास प्राधिकरण, आवास विकास तथा परिवहन निगम के माध्यम से जुटाई जानी थी तथा संचालन की जिम्मेदारी विकास प्राधिकरण तथानगर निगम को उठाना था लेकिन यह दोनो ही कार्य योजना के तहत नहीं हुए।किसी विभाग ने भी धनराशि का हिस्सा नहीं दिया और न ही संचालन की जिम्मेवारी नगरनिगम या विकास प्राधिकरण ने ली।2
प्रदेश सरकार ने बसों के संचालन का कार्य बृहद अनुभव प्राप्त विभाग उ.प्र. राज्य परिवहन निगम को सौंप दिया।राज्य परिवहन निगम ने लाभ का सौदा देखते हुए सिटी बसों के संचालन कार्य की जिम्मेदारी अपने सिर ओढ़ ली।परिवहन निगम ने आनन फानन में 44 करोड़ रुपए हुडको कम् पनी से कर्ज लेकर बसों की खरीद फरोख्त का काम प्रारम्भ कर दिया।बसों की खरीद शहरों की भौगोलिक स्थिति को दृष्टिगत न रख अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों के लाभ को दृष्टिगत रखा गया।
राज्य परिवहन निगम ने स्वाराज माजदा मिनी बस तथा मार्कोपोलो लोफ्लोर बसों को खरीदा।सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार स्वराज माजदा मिनी बस डीसीएम तथा माजदा के सहयोग से बनी वह मिनी बस है जिसमें पावर इंजन के नाम पर स्वाराज टैªक्टर का इंजन प्रयोग किया गया। यह बसें पावर स्टेयरिंग न होकर पुली आधारितहैं।गेयर बदलने का सिस्टम भी तार बेस्डहै।बेयरिंग आयल बेस्ड न होने के कारण तकनी की दृष्टि से ठीक नहीं हैं।बेहद आरामदायक लोफ्लोर बस मार्कोपोलो की कीमत 70 लाख रुपए है।मार्कोवालो बस जितनी महगी है उतना ही मंहगा उसका मेन्टीनेन्स है। यह बस उन शहरों के लिए है ंजिन शहरों की सड़कें गड्ढा मुक्त हैं क्यों कि यह बस कमानी पर नहीं रखी गयी है कमानी की जगह इस बस मे बल्व लगाये गए है जिससे ड्राइवर बस को कितना भी और किसी भी ओर झुका सके।इस बस में 6 प्लग हैं जो 8 हजार किमी. बस के चलने के बाद बदले जाते हैं एक प्लग की कीमत 3500 रुपए है।सिटी बसों का मेन्टीनेन्स गोल्ड रश कम्पनीको 4 रुपए प्रति किमी. के हिसाब से दिया गया जो मंहगा था।सिटी बसा ंको सड़कों पर चलाने का काम संविदा पर रखे गए ड्राइवर तथा कन्डेक्टर को 1 रुपए 70 पैसे पर सौपा गया जब बस 100 किमी. चलेगी तब संविदा पर लगे व्यक्तिको 170 रुपए मिलगें जो उसकी मेहनत को देखते हुए बेहद कम हैं।बसों को मंेन्टीनेंस करने को लगाई गयी कम्पनी गोल्ड रश 12 अगस्त 2012 को ऐसे समय भाग गयी जब मेंन्टीनेंस का काम सबसे ज्यादा बसों में है।बसों में इजंन में खराबी तो है ही टायरों की समस्या बेहद है।
प्रदेश में सात शहरों में यह योजना लागू की गयी थी इन शहरों में कानपुर एक शहर ऐसा था जिसमें सबसे ज्यादा 270 बसें लायी गयीं।इन 270 बसों में 100 टाटा 16ग36 लोफ्लोर बड़ी बस, 150 स्वराज माजदा मिनी बस तथा 20 मार्कोपोलो (10 एसी बस ) लोफ्लोर बसें सड़कों पर उतारी गयीं थीं।आज शहर की सड़कों पर 120-130 बसें ही सड़कों पर हैं।बाकी की सभी बसें विकास नगर तथा फजलगंज डिपो ंमें धूल खा रहीं हैं।बसों का संचालन करने के लिए प्रति दिन 9 लाख रुपए की आमदनी होनी चाहिए लेकिन प्रतिदिन आमदनी 1.5-2.0 लाख रुपए ही हो पा रही है।डिपो में ओपरेटिंग सिस्टम के लिए कोई धन उपलब्ध नहीं है।
1राज्य परिवहन की बसों का सड़को पर न होना निजी बस संचालको के लिए फायदे का सौदा है।सड़कों पर दन दिनों परिमट से ज्यादा गैर परिमट की बसे ंहैं।विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सड़कों पर चलने वाली निजी बसों में सिर्फ एक चौथाई बसें ही परिमट धारी हैं बकाया की सारी बसें डग्गामार बसे ंहैं।जिसकी शिकायत जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिनूबल मिशन बसों के प्रभारी आरटीओ से लिखित में कर चुके हैं।
जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिनूबल मिशन बसों के प्रभारी विकास नगर डिपो एआरएम राजेश कुमार सिंह सीमित संसाधनों के चलत सिटी बसो ंको संचालन भली भांंित किया जा रहा है।स्थानीय निकायों से आर्थिक सहयोग मिला तो कोशिश होगी बेहतर सुविधा नागरिकों को दी जाय।

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