अभिनेत्री व निर्देशिका नंदिता दास अपने अभिनय व फिल्मों के लिए तो सदा चर्चा में रहती ही हैं, इसके अलावा अभी वो इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि उनको पिछले ही दिनों इंटरनेशनल वोमन फ़ोरम की तरफ से अवार्ड मिला है, फिल्मों में उनके योगदान के लिए. नंदिता अभिनय तो सशक्त करती ही हैं इसके अलावा जब भी वो किसी भी अन्य क्षेत्र से जुडती हैं उसमें भी वो कुछ नया लाने की कोशिश करती हैं.
नंदिता चिल्ड्रेन फ़िल्म सोसायटी की चेयर पर्सन भी हैं. पिछले दिनों दिल्ली में ३ दिन का बाल फ़िल्म समारोह हुआ इस अवसर पर भी वो उपस्थित रही उन्होंने बताया कि,” इस फ़िल्म समारोह में बच्चों को बेहतरीन फ़िल्में दिखाई गयी व साथ ही बच्चों के लिए अनेक विषयों पर ज्ञान वर्धक वर्कशाप भी आयोजित किये गये . इस बाल फ़िल्म समारोह के अलावा जल्दी ही हैदराबाद में अंतराष्ट्रीय बाल फ़िल्म समारोह भी होने जा रहा है जो की १४ नवम्बर से २० नवम्बर तक चलने वाला है. इस १७ वें अन्तराष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह जो कि हैदराबाद के शिल्परामम में हो रहा है और इसमें ८६ देशों की ७४१ फ़िल्में प्रतियोगिता में आयी और जिनमे से हमने ४४ देशों की १७० फिल्मों का चुनाव किया. पहली ही बार ऐसा हुआ है कि इतनी संख्यां में फ़िल्में प्रतियोगिता के लिए इस फिल्म समारोह में शामिल हुई हैं.अन्तराष्ट्रीय स्तर की १५ फिल्मे, राष्ट्रीय स्तर में ११ फ़िल्में हम बच्चों को दिखा रहे है. पहली ही बार बच्चों (६ से १६ वर्ष) द्वारा निर्देशित फ़िल्में भी इसमें शामिल की गयी हैं और इन फिल्मों के लिए ज्यूरी भी अलग ही है.”
उन्होंने बताया कि, ” ६ से १६ साल तक के बच्चों के लिए होने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह में ईरान की “द अदर”, फ़्रांस की टेल्स ऑफ द नाईट, चीन की द स्टार एंड द सी, डेनमार्क की द ग्रेट बीयर, भारत की चिल्लर पार्टी, स्टेनले का डिब्बा और आय एम कलाम जैसी लोकप्रिय फिल्मों के साथ-साथ आस्ट्रेलिया के निर्देशक ऐन्ड्रू रूहेमनन की फिल्म “द लोस्ट थिंग” जो की बहुत ही बेहतरीन एनीमेशन फिल्म है. इस फिल्म को सन २०११ के ऑस्कर अवार्ड भी मिला है. इस फिल्म के अलावा दो बड़ी फ़िल्में और भी हैं “द अगली डकलिंग” और “टेल्स ऑफ द नाईट ”. इन सभी फिल्मों को दिखाने के लिए हैदराबाद के शिल्परामम में ३ आर्टिफिशियल ए सी थियेटर भी बनाए हैं. फीचर फिल्मों के साथ साथ अनेकों देशो की बहुत ही अच्छी-अच्छी लघु फ़िल्में भी बच्चों के लिए हैं.”
उनसे पूछने पर कि इस बाल समारोह से क्या वास्तव में बच्चों को कुछ हासिल होता है? उन्होंने कहा कि, ” निस्संदेह बच्चों को कुछ अच्छी फ़िल्में देखने का अवसर मिलता है ऐसे फ़िल्म समारोह से. हम कोशिश कर रहे हैं कि उनको बेहतरीन से बेहतरीन फ़िल्में दिखा सके. इस तरह हम एक सप्ताह तक हम बच्चों का भरपूर मनोरंजन करेगें. इसके अलावा मैं आपको कश्मीर के बच्चों का एक अनुभव बताना चाहती हूँ वहां हमने जब बच्चों को फ़िल्में दिखाई तो वो बहुत ही खुश हुये इस वजह से नही की उन्हें हमने फ़िल्में दिखाई बल्कि इसलिए कि उन्होंने पहली ही बार थियेटर में किसी फ़िल्म को देखा. तो आप ही बताइए कि बाल फ़िल्म समारोह से कुछ फायदा होता है कि नही.”
नंदिता से पूछने पर कि, आप भी तो अच्छी फ़िल्में बनाती है तो बच्चों के लिए क्यों नही फ़िल्में बनाती? के जवाब में उन्होंने कहा कि, ” अभी तो चिल्ड्रेन फ़िल्म सोसायटी की चेयरपर्सन हूँ इसलिए अभी नही बना सकती लेकिन जरुर बनाऊँगी बच्चों के लिए फ़िल्में. मेरा भी बेटा बड़ा हो रहा है मै भी सोचती हूँ कि वो क्या देखेगा बडा होकर.”
अंतराष्ट्रीय बाल फ़िल्म समारोह हैदराबाद में ही क्यों होता है? पूछने पर उन्होंने कहा कि, “मेरी पूरी कोशिश है कि यह फ़िल्म समारोह हर प्रदेश में हो जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे इसमें शामिल हो सकें. हैदराबाद में इस समारोह के होने की वजह बस इतनी है की यहाँ की सरकार हमें भरपूर मदद करती है समारोह को आयोजित करने में.” इस सबके अलावा नया क्या हो रहा है इस फ़िल्म समारोह में ? के जवाब में उन्होंने कहा कि ,” हमने कोशिश की है की हिंदी फ़िल्मी दुनिया से भी कुछ अच्छे निर्माता निर्देशक इसमें शामिल हो. हमारी कोशिश रंग लायी निर्देशक लेखक व गीतकार गुलज़ार फ़िल्म समारोह के लिए गीत लिख रहे हैं व विशाल भारद्वाज इसकी धुन बना रहे हैं. इसके साथ मोहन अगाशे, बुद्धदेव दासगुप्ता के अलावा अनेकों फ़िल्म निर्माता निर्देशक हमारे साथ हैं.”