जज यौन शोषण – मुख्य न्यायाधीश से वकील के महिला विरोधी कथनों पर कार्यवाही की मांग

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लखनऊ ,

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज भारत के मुख्य न्यायाधीश को प्रार्थनापत्र भेज कर दिल्ली स्थित अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा अपने आपराधिक अवमानना वाद में पीडिता विधि छात्रा तथा सम्पूर्ण महिला वर्ग के प्रति प्रयोग किये गए अत्यंत असम्मानजनक, आपराधिक और अनुचित शब्दों के सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही किये जाने की प्रार्थना की है.

श्री शर्मा ने अपनी याचिका में उस युवा विधि छात्रा के विरुद्ध इस आधार पर आपराधिक कार्यवाही की मांग की है कि यह उस लड़की का अन्य षडयंत्रकारियों के साथ मिल कर न्यायपालिका को बदनाम करने का षडयंत्र है. उन्होंने यहाँ तक कहा कि हमारे शास्त्रों में लिखा है कि महिलायें हमेशा असत्य संभाषण करती हैं और अपनी मांग नहीं माने जाने पर किसी भी हद पर गिर सकती हैं.

डॉ ठाकुर ने कहा कि अभी जब इस मामले में जांच और विवेचना की कार्यवाही शुरू तक नहीं हुई है और ना कोई सच्चाई सामने आ सकी है, श्री शर्मा द्वारा इस तरह निर्णयात्मक ढंग से बातें कहा जाना ना सिर्फ अनुचित और महिला-विरोधी है बल्कि यह प्रथमद्रष्टया आपराधिक कृत्य भी है जहां उस लड़की को अपमानित, प्रताड़ित और भयभीत किये जाने का प्रयास किया गया है.

डॉ ठाकुर ने यह भी कहा है कि यदि उस लड़की पर आपराधिक कार्यवाही चलाई जाये तो उन्हें भी प्रतिपक्षी बनाया जाये क्योंकि उन्होंने भी इस मामले में गोमतीनगर थाने में एफआइआर के लिए प्रार्थनापत्र दिया है.

डॉ ठाकुर ने इसके अलावा महिला आयोग कि भी पत्र लिख कर श्री शर्मा के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की मांग की है.

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