चुनाव आयोग के निशाने पर आए भोपाल कलेक्टर – वाह-वाही लूटने अचानक किए थे आरआई के तबादले

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1हेमंत पटेल ,
आई एन वी सी , 
भोपाल,

बीते दिनों भोपाल कलेक्टर निशांत बरबडे ने जिले के सभी सर्किलों में पदस्थ राजस्व परीक्षक (आरआई) के तबादले कर दिए थे। इससे उन्होंने वाह-वाही तो लूटी, लेकिन चुनाव आयोग के निशाने पर भी आ गए। वहीं अब एक खास व्यक्ति को राजस्व मंत्री के स्टॉक में पदस्थ किया जा रहा है। इससे प्रदेश भर के वे राजस्व निरीक्षक और पटवारी परेशान होंगे, जो लोक सभा निर्वाचन में लगे हुए है। उल्लेखनीय है कि 4 अक्टूबर 2013 को लगी आचार संहिता के बाद पूरे जनवरी शुरुआत तक लोगों के सामान्य काम भी नहीं हो पाए थे। हालांकि भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि वह जन सामान्य से संबंधित कोई भी काम को न रोकें। अब राजस्व निरीक्षकों के बदलाव से नामांतर, अविवादित नामंतरण, नप्ती, जैसे काम अटक गए है। एन मौके पर चुनाव के पूर्व आरआई के ताबदलों के निर्णय को वरिष्ठ अफसरों ने अविवेकपूर्ण निर्णय करार दिया था। 
इस तबादले में कई नौसिखिए राजस्व निरीक्षकों को अति महत्वपूर्ण सर्किलों में पदस्थ कर दिया गया जिनको समझ में ही नहीं आ रहा है कि काम कैसे शुरू करे। वहीं दबाव पड़ने से असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। 
… तो ऐसा क्यो?
कलेक्टर द्वारा स्थानांतरण सूची में ऐसे राजस्व निरीक्षकों को स्थानांतरिक करने का तर्क दिया है जिनको एक ही स्थान पर तीन साल से अधिक हो गए थे परंतु उनके इस तर्क पर प्रश्नचिन्ह लग गया जब टीटी नगर में पदस्थ पटवारी अमित दीक्षित एवं बैरागढ़ सर्किल में पदस्थ पटवारी को तीन साल से अधिक समय तक पदस्थ रहने के बाद भी स्थानांतरित नहीं किया गया जबकि अमित दीक्षित तो राजस्व निरीक्षक सर्किल में एनएमएस के रूप में कार्य कर रहे है, जो कि नियम के विरूद्ध है। उक्त स्थानांतरण सूची में जाति विशेष के लोगों को निशाना बनाया गया है ऐसी भी चर्चा जोरों पर है क्योंकि वर्तमान में जिला प्रशासन में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारी आरक्षित वर्ग है।

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