चकल्लस

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chakallsआई एन वी सी,
लखनऊ,
राजधानी मंे अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाला कवि सम्मेलन ‘चकल्लस’ का आयोजन मंगलवार को चौक के खुन-खुन जी रोड पर हुआ। सहित्य सूर्य अमृतलाल नगर की स्मृति मंे आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारम्भ महापौर डा0 दिनेश शर्मा, सांसद लालजी टण्डन व प्रख्यात शायर मुनव्वर राना ने दीप जला कर किया।
इस अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले महानुभावों को सम्मानित किया गया। संस्था ने इस वर्ष अमृतलाल नगर सम्मान प्रख्यात शायर मुनव्वर राना, राज्य सूचना आयुक्त स्वदेश कुमार, मुख्य स्थायी अधिवक्ता आई0पी0 सिंह, वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्र, प्रख्यात चिकित्सक डा0 अभिजीत चन्द्रा, डा0 अविनाश अग्रवाल, डा0 मंजू शुक्ला, शिक्षक नेता महेन्द्र नाथ राय को प्रदान किया। शिक्षाविद जयपाल सिंह , वरिष्ठ अधिवक्ता डा0 एल0पी0 मिश्र व समिति के संरक्षक आशुतोष टण्डन ‘गोपाल’ व भाजपा के महानगर मनोहर सिंह, समिति के अध्यक्ष गोविन्द शर्मा, ओम दीक्षित, डा0 राजकुमार वर्मा, भोलानाथ कपूर, श्री शीश्रन्द्र बेदी व महामंत्री अनुराग मिश्रा, अन्नू मिश्रा ने किया।
 
लाफ्टर चैम्पियन प्रताप फौजदार (आगरा): –

यदि बढ़ाना चाहते हो, भारत माता के सम्मान को, 
एक बार गुजरात बना दो पूरे हिन्दुस्तान को।
 
एक नंगा आदमी भगा जा रहा था,
उसके पीछे एक कच्छा पहने चला आ रहा था।
मेरे मित्र ने कहा प्रताप यह क्या कलेश है, यह कैसाभेष है
मैने कहा आगे वाला विकसित, और पीछे वाला विकासशील देश है।।
 
शशिकान्त यादव:- देवास, मध्य प्रदेश (संचालन)
दिल्ली उत्तर देना होगा, जो भी तुझसे करू सवाल,
मेहनत कश हो भूखा नंगा, चोर उच्चके माला-माल।
 
गौरव चौहान:- इटावा
न तो किसी मजहब न खुदाओं पे टिका है,
न तो ये सियासत की हवाओं पे टिका है।
संसद के लुटेरो में कहा दम जो हिला दें,
ये मुल्क शहीदों की चिताओं पे टिका है।।
 
आसमा सर पे उठाने की जरूरत क्या थी,
हमको अब और सताने की जरूरत क्या थी।
अपनी अय्याशियों में थोड़ी कमी कर लेते,
तेल के दाम बढ़ाने की जरूरत क्या थी।।

के0डी0 हाहाकारी:- (उन्नाव)

न पायी हमका अमरीका, न पायी पाकिस्तान।
मुर्दा तक जहाँ पेशन पॉव यो है हिन्दुस्तान।।
दस बीस दुकाने है जिनकी बम्बई और कलकता में।
उनके लड़का लाइन लगाये बेरोजगारी भत्ता में।।
अमित जनपद:- लखनऊ
कहता है बेटा, पापा से हैण्डिल सभालिये 
यू0पी0 में हमसे अब नही साइकिल संभल रही।।
राकेश बाजपेयी:-
चुनाव आ गया, लोगो में बदलाव आ गया,
चुनाव क्या आया, नेताओं ने फिर से दूल्हा बनने का अवसर पाया।
मनुवत्र बाजपेयी:-
देश से महान देश के दलाल हो गये
इस लिए शहीद माँ के लाल हो गये।।
भीष्म कुर्सियों पर मुठ्ठी को भी चंते रहे, और दुष्ट दोपर्दी का चीर खीचते रहे।
भष्ट्राचार का समुन्दर कोई सोखता नही, कोई चक्रधारी पाँजन्य फूकताँ नही।।
राम बाबू सिकवार (राजस्थान):-
घर का गुजारा कैसे हो मैडम, मँहगाई के मारे निकला जाय दम।
कन्ट्रोल करना होगा अब इस भ्रष्टाचार पै, बढती ही जा रहा है नही उतार पे।
सभी भष्ट्रो को भेज दो तिहाड़, दिलवा के सजा लोकपाल से।।
मीरादीक्षित (हाथरस):-
प्रभु हम पर तुम कर दो करम, ऐसे हो हमारे खसम,
रोटी भी करें, पानी भी करें, ताकि घर बैठ कर खाँय हम, 
खुशबू तेरी ही आती है, अब तो बहार में, पागल सी हो गयी हँू तेरे ही प्यार में,
वादा भी करके आया नही, झूठा कही का, पलके भीगा रही तेरे इंतजार मंे।
 

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