ग्रीन ट्रिब्यूनल बेंच ने लगाई फटकार कहा – अवैध हैं सिद्दीक हसन तालाब में मकान

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Latest Green Tribunal news in Bhopal, Green Tribunal news  Bhopalहेमंत पटेल ,
आई एन  वी सी ,
भोपाल,
नगर निगम ने दी रिपोर्ट, जिला पंजीयक को दो सप्ताह में पेश करनी हैं रजिस्ट्रियां
ग्रीन ट्रिब्यूनल बेंच ने नवाब सिद्दीक हसन तालाब में बने सारे मकानों अवैध करार दिया है। बेंच ने कहा, यहां निर्माण के लिए नगर निगम से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई। बावजूद इसके शातिरों ने अवैध निर्माण को वैध बतलाने रजिस्ट्रियां भी करवा लीं। इसका खुलासा सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बेंच के समक्ष पेश नगर निगम की स्टेटस रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों से हुआ है।
बैंच ने 23 मई को नगर निगम, कलेक्टर और जिला पंजीयक को फटकार लगाते हुए तालाब में अतिक्रमण रोकने को कहा था। साथ ही कहा था, यदि ऐसा नहीं होता है तो बेंच सीधे अवैध निर्माण तोडऩे के आदेश जारी करेगी। इस पर सोमवार को नगर निगम ने बताया कि बीती 25 मई को तालाब को भरने के बाद मकान बनाने की कोशिश को नाकाम करते हुए चार हजार वर्ग फुट पर बने स्ट्रक्चर को तोड़ दिया है। वहीं अवैध निर्माण हटाया जा रहा है। अब इसकी अगली सुनवाई 12 जुलाई, 2013 को है।
-दो सप्ताह में मांगी सारी रजिस्ट्रियां
तालाब में प्लाटों और अवैध बने मकानों की रजिस्ट्रियां कैसे हो गर्इं? अभी तक कितनी रजिस्ट्रियां की गई हैं? जैसे बेंच के तीखे सवालों का जवाब देने में नाकाम रहे जिला पंजीयक ने दो हफ्ते की मोहलत मांगी है। बेंच ने चेतावनी के साथ अब तक तालाब में प्लाट और मकानों की रजिस्ट्रियां पेश करने के आदेश दिए हैं।
…और लगाई फटकार
तालाब में बने मकानों की रजिस्ट्रियां लेकर कुछ लोग अपने अधिवक्ता के साथ बेंच के सामने पेश हुए। इन लोगों ने रजिस्ट्री के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई को गलत बताया। इसके साथ ही 1950 से कब्जा और उर्दू में लिखा पढ़ी पेश की गई। इस पर बेंच ने लताड़ लगाते हुए कहा कि, रजिस्ट्री के आधार पर किसी का मालिकाना हक या कब्जा करने का आधार नहीं बनता है। भरे हुए तालाब में प्लाट की रजिस्ट्री करवाने या फिर तालाब में बने मकान की रजिस्ट्री करवाने से वैध नहीं हो जाएगा। इसके साथ ही पुराने दस्तावेजों को मान्य करने से भी दो टूक मना कर दिया।
प्लाटिंग और अवैध निर्माण को रोकने की मांग
गौरतलब होगा कि, राष्ट्रहित जागृति गांधीवादी प्रयास के अध्यक्ष श्याम नारायण चौकसे ने याचिका पेश की है। इसमें नवाब सिद्दीक हसन तालाब में हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए प्लाटिंग और अवैध निर्माण को रोकने की मांग की गई है। बेंच ने इसे गंभीरता से लेते हुए 7 मई,2013 को दो महत्वपूर्ण आदेश दिए थे। इनमें से पहला आदेश था कि, कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर को आदेशित किया था कि तालाब को मलबा से भरकर प्लाटिंग और अवैध निर्माण रोका जाए। इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट अगली सुनवाई दिनांक यानि 23 मई,2013 को पेश करें। दूसरा आदेश था कि, तालाब में बनाए गए मकानों और प्लॉटों की रजिस्ट्रियों का विवरण जिला रजिस्ट्रार पेश करें। इन दोनों ही आदेशों का पालन नहीं होने पर बेंच ने अल्टीमेटम दिया था कि, अगर 27 मई तक आदेशों का पालन करके स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो फिर बेंच ही तालाब में बने मकान को तोडऩे का आदेश दे सकती है।
सिद्दीक हसन तालाब की प्लाटिंग
स्विटजरलैंड के बाद पूरी दुनिया में सिर्फ भोपाल में ही वॉटर मैनेजमेंट का अनूठा उदाहरण खात्मे की कगार पर है, जोकि एक साथ तीन तालाबों की शक्ल में है। इनमें से ताजुल मसाजिद के पीछे मोतिया तालाब है, इसके बाद नवाब सिद्दीक हसन तालाब और फिर मुंशी हुसैन खां तालाब है। सिद्दीक हसन तालाब को दो तिहाई से ज्यादा मलबा भरने के बाद प्लॉटिंग करके मकान बनाए जा रहे हैं। तालाब के कुल रकबा 11.88 डेसीमल में से करीब 3.99 डेसीमल ही जगह बची है, जिसमें मलबा और जलकुंभी भरी है। ऊपर की ओर ठेले वाली सड़क किनारे दर्जनभर से ज्यादा अस्पताल, लैब और मकान बन चुके हैं। इसके चलते मोतिया तालाब से सिद्दीक हसन खां तालाब में पानी जाने के लिए बनाए गए तीन टनल में से दो टनल एलबीएस अस्पताल एवं अन्य अस्पतालों के नीचे दबकर बंद हो चुके हैं। गौरतलब होगा कि, हाईकोर्ट में तालाब के  संबंध में तीन याचिकाएं विचाराधीन हैं। इनमें से एक याचिका की सुनवाई करते हुए 2005 में आदेशित किया था कि तालाब में बढते अतिक्रमण को रोकने के लिए फेंसिंग करवाई जाकर सुरक्षा की जाए। नगर निगम ने इस आदेश का पालन नहीं किया है। नतीजे में खुलेआम तालाब में डंपरों के जरिए मलबा और मिट्टी भरने के बाद प्लाट बनाकर बिना नगर निगम की परमीशन के धडल्ले से मकान बनाए जा रहे हैं

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