गुरू घासीदास जी के उपदेश सर्वसमाज के लिए

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आई एन वी सी न्यूज़
रायपुर,
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि सभी मनुष्यों के खून का रंग लाल है। इसलिए जांत-पांत और ऊंच-नीच की भावनाओं से मानव समाज को विभाजित नही किया जाना चाहिए। गुरू बाबा घासीदास ने पूरी दुनिया को यह प्रेरक संदेश दिया था। डॉ. सिंह ने कहा-गुरू घासीदास जी ने पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का मार्ग दिखाया। उनके उपदेश सर्वसमाज के लिए है।

मुख्यमंत्री ने आज जिला मुख्यालय कोरबा के टी.पी. नगर स्थित सतनाम भवन प्रांगण में गुरू बाबा घासीदास की जयंती की पूर्व संध्या पर तीन दिवसीय ‘गुरू पर्व’ का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने गुरू घासीदास जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद लिया। डॉ. सिंह ने सभी लोगों को गुरू घासीदास जयंती की बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा – छत्तीसगढ़ में अगर शांति, प्रेम और सद्भावना का वातावरण है तो यह गुरू बाबा घासीदास जी की प्रेरणा से ही संभव हुआ है। उनके आशीर्वाद से राज्य विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। डॉ. सिंह ने समारोह स्थल (मेला ग्राउंड) के विकास के लिए 15 लाख रूपए तत्काल मंजूर करने की घोषणा की और आयोजकों से आग्रह किया कि वे इस राशि से कौन से कार्य करवाना चाहते हैं उसका प्रस्ताव जिला कलेक्टर को जल्द भेजें। डॉ. सिंह ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा यहां तक कि उन्होंने लोगों को पशु-पक्षियों से भी प्रेम व्यवहार करने की शिक्षा दी। उन्होंने ही कहा था कि भरी दोपहरी खेतों में बैलों को हल में नहीं जोतना चाहिए। उन्होंने सम्पूर्ण मानव समाज को ’मनखे-मनखे एक समान’ के प्रेरक वाक्य के साथ यह संदेश दिया कि सभी मनुष्य एक समान हैं। इसलिए ऊंच-नीच का भेद नही करना चाहिए।

डॉ. रमन सिंह ने कहा-गुरू बाबा घासीदास की जन्म स्थली और तपोभूमि गिरौदपुरी जाने पर उनके महान जीवनदर्शन की व्यापकता का अनुभव होता है। उन्होंने पंथी गीतों के माध्यम से अपने प्रेरणादायक विचारों को जन-जन तक पहुंचाया। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की गिरौदपुरी प्रवास का उल्लेख करते हुए कहा कि श्री कोविंद ने पहले बिहार के राज्यपाल के रूप में और उसके छह महीने बाद देश के राष्ट्रपति के रूप में गिरौदपुरी आकर बाबा का आशीर्वाद लिया। अनुसूचित जाति के एक गरीब परिवार में जन्म लेकर और झोपड़ी में पढ़ाई कर श्री कोविंद देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा-गुरू बाबा घासीदास के आशीर्वाद से सतनामी समाज लगातार शिक्षित और जागरूक होकर प्रगतिशील विचारों के साथ आज तेजी से तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। डॉ. सिंह ने कहा – राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में नई पीढ़ी के लिए शिक्षा और रोजगारमूलक प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था की है। विभिन्न व्यवसायों के लिए युवाओं को प्रशिक्षण देने राज्य में विगत 14 वर्ष में आईटीआई की संख्या 61 से बढ़कर 176 हो गई है। उन्होंने कहा सभी 27 जिलों में युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए लाइवलीहुड कॉलेज खोले जा चुके हैं। अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण द्वारा नौजवानों को छोटे-छोटे व्यवसायों से जोड़ने के लिए मिनी माता स्वावलंबन भी चलाई जा रही है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए युवाओं को आवासीय सुविधा देने नई दिल्ली में ट्राइबल यूथ हॉस्टल भी बनाया गया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए डॉ. रमन सिंह ने कहा-गरीब परिवारों की महिलाओं को उज्ज्वला योजना के माध्यम से रसोई गैस कनेक्शन दिए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की गई है, जिसके तहत हर गरीब परिवार को पक्का मकान बनाने के लिए सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा-छत्तीसगढ़ में आज लगभग सात लाख परिवार ऐसे हैं जिनके यहां बिजली का कनेक्शन नही है। ऐसे शत्-प्रतिशत घरों में अगले छह माह के भीतर मई 2018 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। इस दौरान सभी हर विद्युत विहीन बस्ती का भी शत्-प्रतिशत विद्युतीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा- सतनामी समाज की तरक्की के लिए राज्य सरकार बेहतर से बेहतर प्रयास कर रही है।

अध्यक्षीय आसंदी से प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले ने भी समारोह को संबोधित किया। संसदीय सचिव श्री लखन लाल देवांगन और विधायक श्री जय सिंह अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सतनामी कल्याण समिति कोरबा के अध्यक्ष श्री एस.के. बंजारा ने स्वागत भाषण दिया। आयोजन में छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष श्री ज्योतिनंद दुबे, छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष श्री बनवारी लाल, राज्य हस्तशिल्प विकास बोर्ड की सदस्य सुश्री मीना लहरे, नगर निगम के पूर्व सभापति श्री अशोक चावलानी सहित जिला कलेक्टर मोहम्मद कैसर अब्दुल हक और प्रशासन के अन्य अनेक अधिकारी उपस्थित थे।

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