गुरू गोविंद के बिना जीवन दिशाहीन : स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती

0
32

Swami-Nischalananda-Saraswaआई एन वी सी न्यूज़
देहरादून ,

अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के द्वारा पुरीपीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज के लखनऊ शुभ आगमन पर जोरदार स्वागत किया गया। डालीगंज स्थित उमराव सिंह धर्मशाला में कार्यक्रम संयोजक डा. नीरज बोरा, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के प्रान्तीय अध्यक्ष सुधीर एस. हलवासिया एवं महामंत्री भारत भूषण गुप्ता ने भारी-भरकम माला पहनाकर शंकराचार्य महाराज जी का स्वागत किया। प्रान्तीय अध्यक्ष सुधीर एस. हलवासिया ने बताया कि वर्तमान जगद्गुरू शंकराचार्य महाराज पुरी पीठ के 145वें शंकराचार्य हैं। गोवर्धन मठ ने हमेशा से विश्व को नई दिशा प्रदान की है, और विद्या की दृष्टि से अत्यन्त सम्पन्न रहा है। जगद्गुरू शंकराचार्य महाराज की उत्कृष्ट मेधा शक्ति से सम्पूर्ण विश्व चमत्कृत है।

आप अभिनव शंकर सर्वभूतहृदय धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य हैं। आपने 0 व 1 पर 12 पुस्तकें लिखी हैं लगभग 140 से अधिक ग्रन्थ आप लिख चुके हैं। कार्यक्रम संयोजक डा. नीरज बोरा ने बताया कि गोवर्धन मठ के पूर्व शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ जी महाराज ने जीवित रहते हुए ही शंकराचार्य के पद पर आपका अभिषेक किया। यह पहली इस प्रकार की घटना थी कि किसी शंकराचार्य जी ने जीवित रहते हुए किसी को अपने पद पर प्रतिष्ठित किया। आप 1992 से इस पद पर अभिषिक्त हैं। सम्मेलन के महामंत्री भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि अभिनंदन समारोह मंे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि पूरा डालीगंज ही शंकराचार्यमय हो गया हो। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही महाराज जी का स्वागत बैंड-बाजे एवं चन्दन लगाकर किया गया। तत्पश्चात् श्रीमती पूजा गोयल एवं 11 बच्चों द्वारा तोटा-अष्टक मंत्र तथा शंकराचार्य जी का स्वागत एवं पादुका पूजन किया गया। स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज ने श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन भक्तों को सुनाया। आर्शीवचन एवं मार्गदर्शन भक्तों को देते हुए कहा कि गुरू गोविंद के बिना जीवन दिशाहीन होता है जीवन को सार्थक करने का गुरू गोविन्द ग्रन्थ है इनसे दूर जाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए मेरी दृष्टि में गुरू गोविंद ग्रन्थ का प्रभाव है।

मातृशक्ति जगतजननी जगदीश्वर को जन्म देने में समर्थ है। भारत में चमत्कार से परिपूर्ण संस्थाएं हैं। उन्होने कहा कि मन, बुद्धि और अहंकार की उपयोगिता पूर्व में थी अब भी है। हमारी उपयोगिता पहले थी आज है यह कल्पना नहीं कर सकते हैं। सबसे प्राचीन तो परमात्मा है। करोड़ों साल पूर्व हम नेत्रों से दर्शन करते थे आज भी करते हैं। कार्यक्रम में सुनील अग्रवाल, आशुतोष तुलसीयान, अनिल अग्रवाल, सुनील तुलसीयान, जगदीश जिन्दल, लोकराम अग्रवाल, नवनीत अग्रवाल, बिन्दु बोरा, नीलम तिवारी, उमा मिश्रा, महेश सोनी, भारती गुप्ता, रीता मित्तल, आशीष अग्रवाल, अवधेश अग्रवाल, सुधीर गर्ग, मनाज अग्रवाल, श्रवण अग्रवाल, गोविन्द साहू, सतीश अग्रवाल, घनश्याम अग्रवाल, महेश गोयल, दाऊ दयाल अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, श्रीनिवास अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल, राजू जैन, रमेश अग्रवाल, शरद अग्रवाल, बीना अग्रवाल, अंजू गुप्ता के अतिरिक्त भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here