गीतकार राकेश नाज़ुक के गीत

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– गीत –

वो अबला बेचारी है

मुझको भी दिखला दो पापा,
दुनिया कितनी प्यारी है !
माँ का दर्द सहा नहीं जाए,
वो अबला बेचारी है !
***
भैया के आने पर सबने ,
खूब मिठाई खाई थी !
जब-जब मेरी बारी आई,
घर में बिपदा छाई थी !
रोई सिसकी कूड़ेदान में,
कैसी क़िस्मत मारी है !
माँ का दर्द सहा नहीं जाए,
वो अबला बेचारी है !
***
मैँ भारत की शान बनूँगी ,
घर-आँगन महकाऊँगी !
सोन चिरैया बनके पापा,
शोहरत खूब कमाऊँगी !
सबको तुम बतला दो पापा ,
बिटिया मुझको प्यारी है !
माँ का दर्द सहा नहीं जाए,
वो अबला बेचारी है !
***
इक ढोंगी से जंतर पहनी,
झाड़ -फूँक करवाई है !
माँ ने कँगन बेंच बाँच कर,
पूजा पाठ कराई है !
डॉक्टर साब झूठ बोल दो,
सिर पे खड़ी कटारी है !
माँ का दर्द सहा नहीं जाए,
वो अबला बेचारी है !

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बोलो गले लगाऊँ कैसे !!

झूठे ख्वाब दिखाऊँ कैसे !
दिल को मैं समझाऊँ कैसे !!
तुम इतने जो दूर खड़े हो !
बोलो गले लगाऊँ कैसे !!
**
बैरी मौसम बहुत सताए !
हर पल नजरों में तुम छाए !!
कैसे बंद करूँ नयनों को !
हर पल लगता है तुम आए !!
मेरे मन में तुम ही तुम हो !
ये विश्वास दिलाऊँ कैसे !!
झूठे ख्वाब दिखाऊँ कैसे !
दिल को मैं समझाऊँ कैसे !!
**
मन के मोती बिखर गए है !
आओ उनको मिलकर जोड़ें !!
जो रस्ते से भटक गया है !
मिलकर उसके रस्ते मोड़ें !!
जीवन बिल्कुल उलझ गया है !
बिन तेरे सुलझाऊँ कैसे !!
झूठे ख्वाब दिखाऊँ कैसे !
दिल को मैं समझाऊँ कैसे !!
**
आज हुई है मन में हलचल !
छोड़ मुझे अवसाद गया है !!
बिन बारिश मैं भींग गया हूँ !
शायद तुमने याद किया है !!
तुम बिन खाली खाली लगता !
बोलो तुमको पाऊँ कैसे !!
झूठे ख्वाब दिखाऊँ कैसे !
दिल को मैं समझाऊँ कैसे !!
**
अगणित बैर लिए फिरते तुम !
प्यार तुम्हे क्यूँ रास न आया !!
काँटों से है काटी रोटी !
रंग नहीं क्यूँ तुमको भाया !!
तोड़ी सब कंदीले तुमने !
तम है घना मिटाऊँ कैसे !!
झूठे ख्वाब दिखाऊँ कैसे !
दिल को मैं समझाऊँ कैसे !!

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Rakesh-Srivastavaकवि परिचय :

राकेश नाज़ुक

गीतकार ,लेखक व् कवि

कवि का जन्म बिहार के मढ़ौरा चैनपुर घुरना ग्राम में 1977 में हुआ था ।  बहुआयामी प्रतिभा के धनी गीतकार राकेश नाजुक कंप्यूटर से एम सी ए हैं । इन्हें कई विधाओं जैसे ग़ज़ल ,गीत ,कविता ,मुक्तक,दोहे ,निबंध आदी में महारत हासिल है ,साथ ही हिन्दी काव्य सम्मेलन में रामगढ़ के सभी छोटे बड़े गाँवो में काव्य पाठ कर साहित्य का प्रचार कर रहे हैं !

राकेश नाज़ुक गीतों पर ये लगातार काम कर रहें हैं । इनके गीतों में  १ ) प्यार मुझसे अगर है सनम ,फिर मुझे यूँ सताती हो क्यूँ ! २ ) अपने सर से चुनरिया हटाओगे तो , चाँद शरमाएगा, चाँद शरमाएगा । ३)आँखों आँखों  में ही मैंने तुमको अपना मान लिया इत्यादि है ! आज का गीत भ्रूण हत्या (बेटी) पर है ! इंटरनेट पर भी कही से भी इन्हें देखा जा सकता है ! इनके ब्लॉग में इनके मुक्तकों को पढ़ा जा सकता है !  फेसबुक ,ट्विटर इत्यादि पे ये छाये हुए हैं ! इनकी रचनाएँ दिशेरा टाइम्स , दैनिक भास्कर (डी बी स्टार ),इस वीक (साप्ताहिक न्यूज़ पेपर ,रामगढ़ ),नागरिक वाणी (मासिक पत्रिका ), धनबाद  इत्यादि में हर मौके पर छपता है !

संपर्क : –  ईमेल : rakeshnazuk@gmail.com मोबाइल -09835392126

2 COMMENTS

  1. बहुत उम्दा गीत हैं नाज़ुक भाई…वाहःहःहः

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