गिरीश कर्नाड के निधन से साहित्य जगत में शोक

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वयोवृद्ध नाटककार और अभिनेता गिरीश कर्नाड के निधन से पूरे साहित्य जगत में शोक व्याप्त है। इस दुख की घड़ी में उनके महाराष्ट्र के कुछ पुराने मित्रों और सहयोगियों ने उनके जीवन के कुछ खास पहलुओं को खुलासा करते हुए कहा कि इतना प्रतिभाशाली होने के बावजूद भी उन्होंने कभी घमंड नहीं किया और हमेशा विनम्र बने रहे।

पुणे के कॉलेज में गिरीश कर्नाड के मित्र अशोक कुलकर्णी ने बताया कि किताबों से उन्हें बहुत प्यार था। इसके अलावा वह हम सिनेमा, थियेटर और साहित्य के अन्य रूपों पर चर्चा करते थे, लेकिन कर्नाड ने कभी भी अपने ज्ञान को सामान्य बातचीत पर हावी नहीं होने दिया। 

कई भाषाओं पर कर्नाड की कमान और साहित्यिक और रचनात्मक दुनिया की उनकी गहरी समझ ने उन्हें पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का पहला गैर-सिविल सेवक निदेशक बनाया। एफटीआईआई के निदेशक भी रहे। अधिकाारिक सूत्रों के अनुसार वह 1 जनवरी, 1974 से 31 दिसंबर, 1975 तक वह एफटीआईआई के निदेशक रहे और बाद में फरवरी 1999 से अक्टूबर 2001 तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने बताया कि कर्नाड एफटीआईआई के सबसे कम उम्र के निदेशक थे, जब उन्होंने इस पद का कार्यभार संभाला उस समय उनकी आयु 35 वर्ष थी।  PLC

 

 

 

गौरतलब है कि 81 वर्षीय कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। वह एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे उन्होंने कई नाटकों और फिल्मों में अभिनय किया उन्हें आलोचकों की भी प्रशंसा मिली कन्नड़ में लिखे गए उनके नाटकों का अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।

 




 

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