राजेन्द्र सिंह**,,
प्यासे को पानी पिलाये। पैसा नही दिया जाये। पानी बादल पिलाता है। सूरज भाप से उडाता है। भाप फिर बादल बनकर जल वर्षाता है। यही जल हमारे दुष्यकर्मो से दूर्षित बनकर जहर के नाले बनाता है। नदियो को भ्रस्ट्राचार ही नालो में बदलता है। सदाचार से नालो को नदियां बनाने हेतू जल, जन जोडो अभियान 19 अप्रेल 2013 को नई दिल्ली में शुरू हो रहा है। यह अभियान भ्रस्ट्राचार के नालो को सदाचार में बदलकर नदियां बनाने की चेतना जगायेगा। पानी के नाम पर हो रहे भ्रस्ट्राचार को रोकेगा। सदाचारी ताल, पाल, झालों को जिन्दा करेगा। आजादी के समय से ही भारत सरकार में अधिकतर कृषी मंत्री महाराष्ट्र के रहे है। पहले तो जल का बजट इसी मत्रालय के आधीन था। कृषि मंत्रीयों ने महाराष्ट्र मे ही सबसे ज्यादा बांध बनाये। एक समय था, जब अकेले महाराष्ट्र में पूरे देश के 40 प्रतिशत बांध थे। सबसे ज्यादा जल संग्रह करने के नाम पर सबसे ज्यादा खर्चा करने वाला यह राज्य विकास दर में सबसे ऊपर पहुँच गया था। पानी पर खरबो खर्चने वाला महाराष्ट्र आज बेपानी होकर तडफ रहा है। अब यह राज्य बेपानी बन गया है। यहाँ आत्म हत्याये हो रही है। गाँव के गाँव उजड़ रहे है। गाँवो से शहरो में पलायन बढ रहा है। गाँवो मे चारो तरफ लाचारी है। बेकारी और बीमारी बढ़ रही है। अजीब बात है। टैंकर के आने चारो तरफ पीने के पानी हेतू मारा-मारी है। दुसरी तरफ अब भी गन्ने के खेतों की बुआई और हरियाली है। महाराष्ट्र में जलस्त्रो पर अतिक्रमण करने वालो के पास आज भी पानी है। यहाँ के बाँधो में भरा जल लोगो की पीने के लिए नही हैं। बल्कि बडे़ उधोगपत्त्यिों, राजनेताओ के कब्जे में है। ये अपने मनमाने दामों पर पानी की ’जलबाजारी’ और दलाली करके माला-माल बन रहे है। यह विधि यहाँ के नेताओ को आती हैं। उन्होने दुसरो को भी यह काम बडी संख्या में सिखा दिया है। अब कुछ चन्द लोग ही यह सब करने में जूट गये है। ज्यादा तर लोग इस मार के शिकार हो रहे हैं। शिकारी से बडी़ संख्या में शिकार संगठित होकर लड़ता है। वैसा ही अब पानी के शिकारी और पानी के शिकार के बीच लड़ाई शुरू होने वाली है। मै जानता हुँ जब भी बाघ गायो के झून्ड़ पर हमला करता है, तो कभी-कभी गाय संगठित होकर सामना करती है। तब बाघ बिना शिकार किये ही वापस चला जाता हैं। लेकिन ज्यादातर समय गायें डर कर भागती है, तो बाघ जवान गाय को भी मार गिराता है। अभी हमारे देश के राजनेता भारतीय जनता को इसी प्रकार ड़रा कर भगा रहे है। वे जब चहाते है तभी शिकार को मार गिराते है। यही मारना, गिराना, भगाना अब पानी के लिए महाराष्ट्र में चल रहा है। पानी पीलाने के नाम पर चल रहे टेंकर जब भी गंाव में पहुचते है तो टैंकरें के पास इसी प्रकार की मार-दहाड, गिराना, भगाना चलता है। पानी के टैंकरो के मालिक यहाँ के नेता है। नेता सब तरफ मजा कर रहे है। पहले तो बांध बनाने की ठेकेदारी में कमा लिया। फिर बाँध पानी से भरा तो पानी उधोगपतियो को देदिया। समुदायो के जलाधिकार छीन कर, उधोगपतियो को माला-माल बनाकर उन से लूटा। अब गरीबो के पास पानी नही है, तो उन्हे पानी पिलाने के नाम पर पानी के टैंकर और पानी का बजार बनाकर वाही-वाही भी और माला-माल भी बन रहे है। चुनाव 2014 मै है। अकाल राहत, जलापूर्ति के बदले वोट मांगना सरल है। यह वोटरों की बुद्धि पर अकाल है। यह अकाल नेताओ के लिए लाभदायी है। लोगों के लिए ’मार’ है। चुनाव में पानी पर अतिक्रमण, प्रदुषण और शोषण करने वाला जीतकर आयेगा ? किसी भी पार्टी के धोषणा पत्र में अकाल बाढ मुक्ती नही होती। केवल केन्द्र सरकार से अधिक पैसा लाकर राज्य में लगाना नेताओं के लिए बडी उपल्बधि माना जाता है। अब चुनौति है, ’’लूटने वाला जल लूटेगा या बचाने वाला जल पायेगा। अब समय है, जल बचाने वाला ही जल पायेगा। जल लूटने वाला जायेगा। अब जल का जमाना आयेगा। सूखे अकाल का जमााना जायेगा। सूखा और अकाल लाने वाला नेता अब नही रहेगे। जल बचाने वाले ही धरती की हरियाली और खुशहाली ला सकते है। खरबो खर्च करने वाले नेता विदर्भ और महाराष्ट्र को बेपानी बना रहे है। अजादी के बाद के जल खर्चो का हिसाब देकर महाराष्ट्र सरकार आगे अकाल को राष्ट्रीय आपदा था। दुसरी दुहाई देकर भी आगे मद्द पाने की हकदार नही है। जिसने आजतक पानी के नाम पर भारत का 40 प्रतिशत खर्च किया है। अब दुसरो को वैसी राह पर चलना नही सिखाये। अब महाराष्ट्र अकाल राहत हेतू केन्द्र से नैतिक सहायता पाने का हकदार नही है। खरबो का पानी खाने और मजा उड़ाने की आदत छोडे़। सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबन्धन कार्य को ईमानदारी से शुरू करें। यह कार्य समय रहते शुरू नही हुआ तो। महाराष्ट्र के समुदाय ही आगे आकर नेता को सिखायेगें। पुराने तालो, पालो, झालो को अतिक्रमण-प्रदुषण, शोषण मुक्त बनाने वाला कार्य करने हेतू 18-19 अप्रेल को दिल्ली के सम्मेलन में शामिल होवे। देश भर में जल भ्रस्ट्राचार रोकने की जलजुम्बिश शुरू होगी। जल अधिकार व जल सुरक्षा प्रदान कराने की जुम्बिश की तैयारी हैं।
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राजेन्द्र सिंह, अध्यक्ष
तरुण भारत संघ, भीकमपूरा, अलवर, (राज)