*कौन नहीं करता सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग?

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**  निर्मल रानी
हमारे देश की शासन प्रणाली का यदि पोस्टमार्टमं कर उसे बारीकी से देखा जाए तो उसमें कई अजीबो गरीब तथ्य दिखाई देंगे। उदाहरण के तौर पर राजनीति में सक्रिय लोग स्वयं को बड़े गर्व से समाजसेवी बताते हैं। यहां तक कि चुनावों के दौरान उनके द्वारा अपने समर्थन में प्रकाशित किए जाने वाले पोस्टर  व बैनर्स में उन्हें क्वहाथ जोड़े हुएं चित्र के साथ देखा जा सकता है। गोया राजनीतिज्ञ जनता को यह समझाने में अपनी ओर से कोई कसर बाकि  नहीं रख़ते कि वे ही जनता के सच्चे सेवक,हितैषी व शुभचिंतक हैं। यही स्थिति दूसरे प्रतिद्वंद्वी राजनीतिज्ञों की भी रहती है। और क्वसेवां करने के नाम पर कभी-कभी इन दोनों  ही प्रतिद्वंद्वी राजनीतिज्ञों में संघर्ष व मरने-मारने तक की नौबत आ जाती है। क्या आप यह सोच सकते हैं कि मात्र क्वसेवां करने के उद्देश्य से होने वाली प्रतिस्पर्धा  में संघर्ष या हत्या तक की नौबत आ जाए? परंतु राजनीतिज्ञों की कथित क्वसेवां में तो कम से कम यही देखने को मिलता है। भारतीय राजनीति के लिए ही यह कथन कहा गया है कि इसमें साम,दाम, दंड, भेद आदि सब कुछ जायज़ है। यह कथन राज-नीति के लिए तो सही हो सकता है परंतु जन सेवा या लोक सेवा जैसे पवित्र म$कसद के लिए तो कतई नहीं।

इसी प्रकार नौकरशाही में भी यही सब देखने को मिलता है। हमारे देश में सरकार जनता की सेवक कहलाती है। जनप्रतिनिधि किसी प्रकार चुनाव जीतकर सरकार के अंग बन जाते हैं और दूसरी ओर नौकरशाही इसी सरकार की मशीनरी कही जाती है। इन्हें सरकारी नौकर भी कहा जाता है। यानी जनता द्वारा,जनता के लिए चुनी गई जनता की सरकार के जनसेवक। परंतु जब यही जनप्रतिनिधि क्वसरकारं बन जाते हैं तथा नौकरशाही स्वयं को क्वअधिकारीं समझने लगती है उस समय इन लोगों  के आसपास न तो कहीं सेवा नज़र आती है न ही सेवा भाव। हां यदि कुछ दिखाई देता है तो वह है अहंकार,अपने पदों का दुरुपयोग, अपने सगे-संबंधियों,परिजनों व $ख़ास सहयोगियों को  फायदा पहुंचाने की कवायद तथा समस्त सरकारी संसाधनों का भरपूर दुरुपयोग। और अपने विरोधियों व प्रतिद्वंद्वियों को नीचा दिखाने के लिए किए जाने वाला सत्ताशक्ति का दुरुपयोग। और यही सब बातें भारत जैसे  गरीब बहुसं य देश को और अधिक कमज़ोर बनाती जा रही हैं। सत्ता के इसी दुरुपयोग व इन्हीं तथाकथित लोकसेवकों के ही कारनामे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले, कोम्मेंवेल्थ  गेम्स , आदर्श सोसायटी घोटाला,यमुना एक्सप्रेस  वे आदि ऐसी तमाम जगहों पर देखने व सुनने को मिल रहे हैं। और इन्हीं अहंकारी,भ्रष्ट तथा बेलगाम कस्म के क्वलोकसेवकोंं ने देश को बदनाम करने में कोई कसर उठा नहीं रखी है।

यही वजह है कि पिछले दिनों विवादित खोजी न्यूज़ वेबसाईट विकीलीक्स द्वारा उत्तर प्रदेश की मु यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती के बारे में कुछ ऐसे खुलासे किए गए जो विकिलीक्स,उसके संस्थापक संपादक जुलियन असांज तथा किसी अन्य विदेशी न्यूज़ एजेंसी  के लिए तो शायद आश्चर्य  करने वाले हो सकते हैं परंतु उन लोगों के लिए तो $कतई नहीं जो भारतीय राजनीति के ऐसे क्वपुरोधाओंं के राजनैतिक अंदाज़ को भलीभांति जानते हैं। मायावती ने विकिलीक्स के खुलासे के मुताबिक़  मुंबई से अपना निजी जेट विमान भेजकर अपनी पसंद की चप्पल मंगवाई या नहीं तथा मायावती के पास अपना निजी जेट विमान है भी या नहीं यह बातें दरअसल अब इतनी सनसनी खेज़ या हैरतअंगेज़ नहीं लगतीं। क्योंकि यह तथाकथित क्वजनसेवकं वास्तव में सत्ता की लड़ाई लड़ते ही इसी म$कसद से हैं ताकि उन्हें सरकारी  खर्चे पर मिलने वाली  सुविधा मिल सके। भारतीय राजव्यवस्था में दिल्ली के मु यमंत्री के अतिरिक्त देश के सभी राज्यों के मु यमंत्रियों को निजी स्टेट प्लेन सुविधा मुहैया कराई गई है। हो सकता है मायावती ने अपने इसी सरकारी विमान से मुंबई से अपनी कोई सैंडिल मंगवा ली हो। परंतु यदि ऐसा हुआ भी होगा तो इस बात के लिए निश्चिंत रहा जा सकता है कि विमान की लॉग बुक  में मुख्यमंत्री की चप्पल लाने का मकसद कहीं भी दर्ज नहीं होगा। यह काम मु यमंत्री के इर्द-गिर्द के अधिकारियों का होता है कि वे इस प्रकार की लिखापढ़ी व प्रविष्टि अपने रिकॉर्ड  में दर्ज करें ताकि माननीय मु यमंत्री पर कोई उंगली उठने न पाए। यानी कि सत्ता प्रमुख तथा नौकरशाही के मिले-जुले नेटवर्क से बड़े से बड़े सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग की लीपापोती की जाती है।

मायावती के विषय में विकीलीक्स ने अहंकारी राजनीतिज्ञ होने की भी बात कही है। यह भी कहा गया है कि मायावती की नज़रें देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर लगी हुई हैं। यह भी कोई नया या चौंकाने वाला खुलासा नहीं है। हमारे देश के तमाम ऐसे नेता जो या तो सत्ता में हों या फिर उनका जनता के मध्य थोड़ा-बहुत भी जनाधार हो उनमें भरपूर अहंकार की बू आती देखी जा सकती है। मायावती जैसे इस देश में कई ऐसे अहंकारी नेता हैं जो अपने अधीनस्थ राजनीतिज्ञों, विधायकों तथा कार्यकर्ताओं से चप्पलें साफ करवाते हैं, कारों के दरवाज़े खुलवाते हैं, अपने घरेलु  काम कराते हैं और  गुस्सा आने पर उन्हें थप्पड़ तक लगा देते हैं। दरअसल जहां यह सब इसलिए घटित होता है क्योंकि यदि एक पक्ष अहंकारी व घमंडी प्रवृति का है तो इसमें भी कोई शक नहीं कि भुक्तभोगी व्यक्ति भी चमचागीरी व  खुशामदपरस्ती की प्रवृति रखने वाला व्यक्ति ही होता है। लिहाज़ा यदि ऐसी अपरिहार्य परिस्थितियों का सामना कभी उसे करना भी पड़ जाए जो इसमें आश्चर्यजनक बात कोई नहीं है। अतज् यह कहना कि हमारे देश में केवल मायावती ही अकेली ऐसी नेता हैं जो अहंकारी हैं, सत्ता का दुरुपयोग करती हैं, धन संग्रह करती हैं या देश की प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं तो यह सही नहीं होगा बल्कि हकीकत  में इस प्रकार के लोगों की लंबी सूची है जो प्रधानमंत्री भी बनना चाहते हैं तथा सत्ता का भरपूर दुरुपयोग भी करते रहते हैं। यहां तक कि सत्ता के दुरुपयोग ने ही आज ऐसे कई नेताओं को अकूत धन-संपçत्त व जायदाद का मालिक बना दिया है।

जहां तक सरकारी विमान के दुरुपयोग का प्रश्र्न है तो अभी कुछ समय पूर्व ही ज मू-कश्मीर के मु यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने सरकारी विमान से पिकनिक मनाते पाए गए। अब ज़रा ज मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में मु यमंत्री को मिलने वाले सरकारी विमान की उपयोगिता के विषय में सोचिए तथा उसके हो रहे उपयोग पर नज़र डालिए। आपको स्वयं यह समझ आ जाएगा कि यह कैसे लोकसेवक हैं और क्योंकर क्वलोकसेवां के लिए इतने उतावले व परेशान रहते हैं। इसी प्रकार 2003 में तत्कालीन मु य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह ने पंजाब के तत्कालीन मु यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को सरकारी विमान के दुरुपयोग का उस समय नोटिस भेजा था जबकि वे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए अपने सरकारी विमान से राजस्थान में 2003 में हो रहे विधानसभा चुनावों में सरकारी विमान से कांग्रेस party का प्रचार करने पहुंचे थे। क्या कैप्टन अमरेंद्र सिंह जैसे तजुबेüकार राजनीतिज्ञ को इस बात का इल्म नहीं था कि वे जो कुछ कर रहे हैं वह गैरकानूनी व अनैतिक है। परंतु यहां फिर वही बात दिखाई देती है कि जब क्वलोकसेवकं सत्ता में आ जाए और स्वयं क्वसरकारं बन जाए फिर आकर  उसे कौन रोकने व टोकने वाला है?

इसी प्रकार की एक घटना देश कभी भूल नहीं सकता जबकि पंजाब के राज्यपाल सुरेंद्रनाथ एक विमान में बैठकर अपने परिवार के साथ हिमाचल प्रदेश की पहाçड़यों का दृश्य देख रहे थे और इžो$फा$क से उनका विमान किसी पहाड़ी से जा टकराया। इस दुर्घटना  में जहां राज्यपाल,उनके परिवार के सदस्य व पायलट सभी मारे गए वहीं इसी विमान के दुघüटनाग्रस्त होने के बाद आसमान से नोटों की बारिश होते हुए भी देखी गई। दुघüटना के बाद पता चला कि क्वराज्यपाल महोदयं अपनी अवैध कमाई को सूटकेस में भरकर अपने साथ विमान में लेकर घूम रहे थे। राज्यपाल के पद पर बैठे व्यक्ति को हमारे देश में महामहिम कहकर संबोधित किया जाता है। तथा मु यमंत्री से लेकर मंत्री,सांसद व विधायक तक सभी माननीय कहे जाते हैं। ज़ाहिर है इस प्रकार के अलंकरण से इन्हें सुशोभित किए जाने का प्रावधान भी कालांतर में इन्हीं राजनीतिज्ञों ने ही स्वयं रखा होगा। परंतु उस समय इन्हें महामहिम या माननीय कहने का सुझाव देने वालों ने इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि आने वाले समय में किसी महामहिम के विमान से अवैध तरी$के से कमाए गए नोटों की बारिश होगी, किसी माननीय का विमान चप्पलें लेने मुंबई जाएगा तो कई माननीयों के विमान सरकारी धन व नियमों का दुरुपयोग करते फिरेंगे और तमाम माननीय भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए जाने पर जेल की सला$खों के पीछे नज़र आएंगे।

इसमें कोई शक नहीं कि देश में अब लाल बहादुर शास्त्री जैसे वास्तविक लोकसेवक व राजनेता नहीं मिल सकते जोकि अपने परिवार के लोगों को gharelu व व्यक्तिगत् कायोz हेतु सरकारी कार का प्रयोग नहीं करने देते थे। देश को अब गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे त्यागी व बलिदानी राजनेता भी नहीं मिल सकते जो अपना ऐशो-आराम, ठाठ-बाठ व धन-संपçत्त आदि बहुत कुछ त्याग कर देश की सेवा में जुट गए। सरदार वल्लभ भाई पटेल,र$फी अहमद कदवई,राधा कृष्णन,मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, डा0 राजेंद्र प्रसाद,  राम मनोहर लोहिया  तथा जयप्रकाश नारायण जैसे तमाम आदर्श महापुरुष थे जिनका व जिनके आचरणों का आज देश अभाव महसूस कर रहा है। अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि देश की अधिकांश राजव्यवस्था प्रायज् ढोंगी, स्वार्थी व सत्ता का दुरुपयोग करने की मानसिकता रखने वाले तथाकथित क्वलोकसेवकोंं के हाथों में जा चुकी है। ऐसे में यह निर्धारित  कर पाना भी बहुत मुश्किल है कि क्या देश का कोई एक व्यक्ति या राजनेता ही ऐसा है जोकि सत्ता के संसाधनों का दुरुपयोग करता है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ऐसे तमाम राजनेता देखे जा सकते हैं जो सरकारी संसाधनों व सत्ताशक्ति का भरपूर दुरुपयोग कर रहे हैं तथा लोकसेवा के नाम पर अपनी मनमानी करने में दिन-रात लगे हैं।

**  निर्मल रानी

 Nirmal Rani (Writer)
1622/11 Mahavir Nagar
Ambala City  134002
Haryana
phone-09729229728

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC

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