कोलकाता आने वाले कवियों, लेखकों और आगुंतकों के मन में उसकी विशेषताएं हमेशा से बसती रही है – एम.हामिद अंसारी

0
33
The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari addressing at the release of a book entitled “Resurgent China: South Asian Perspective” edited by Dr. S.D. Muni and Dr. Tantaiyong in New Delhi.
The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari addressing at the release of a book entitled “Resurgent China: South Asian Perspective” edited by Dr. S.D. Muni and Dr. Tantaiyong in New Delhi.

आई.एन.वी.सी,,

दिल्ली,,

              उपराष्‍ट्रपति श्री एम.हामिद अंसारी ने कहा है कि कोलकाता आने वाले कवियों, लेखकों और आगुंतकों के मन में उसकी विशेषताएं हमेशा से बसती रही है। 1857 में भारत में आजादी की पहली लड़ाई के बाद 1862 में कलकत्‍ता में पहले उच्‍च न्‍यायालय की स्‍थापना की गई। तब से उच्‍च न्‍यायालय ने निष्‍पक्ष होकर और गरिमा के साथ अपना दायित्‍व निभाया है। यहां से महान विधिवेत्‍ता, जाने-माने न्‍यायाघीश और बार के प्रतिभावान सदस्‍य निकले है जिन्‍होंने देश-विदेश में नाम कमाया है।

श्री अंसारी ने शनिवार को कलकत्‍ता उच्‍च न्‍यायालय के 150वें शताब्‍दी समारोह का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्‍होंने कहा कि न्‍यायपालिका ने मौलिक अधिकारों के जरिए लोगों के मान-सम्‍मान की रक्षा की है और वह दिशासूचक सिद्धांतों से निर्देशित है।

श्री अंसारी ने कहा कि कानून के पेशे की वही प्रतिष्‍ठा बना कर रखनी चाहिए जो उसने स्‍वतंत्रता संग्राम और गणतंत्र बनने के शुरूआाती वर्षों में अर्जित की थी। आत्‍ममंथन करना जरूरी है क्‍योंकि इससे न्‍यायिक नीति शास्‍त्र के सिद्धांतों का वास्‍तव में पालन करने में मदद मिलती है। उन्‍होंने कहा है कि न्‍यायिक प्रक्रिया को मजबूत करने और इसमें नई जान डालने की जरूरत है। उन्‍होंने न्‍यायालयों में जरूरत से ज्‍यादा तारीख पर तारीख लगने, वकीलों द्वारा लम्‍बे समय तक दलीलों में उलझाने, न्‍यायाधीशों की जगहों को भरने में होने वाली देरी को खत्‍म करने का आह्वान किया। उन्‍होंने अनावश्‍यक मुकदमेबाजी की प्रवृति को हतोत्‍साहित करने की बात कही।

श्री अंसारी ने कहा कि कलकत्‍ता उच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीशों ने न केवल आजादी की अवधारणा तैयार की बल्कि अपने फैसलों में भी इसके सिद्धांतों को निष्‍पक्ष होकर लागू किया। यह इस न्‍यायालय का ही प्रभाव था कि उपनिवेशी शासन के यु्ग में सामाजिक और राज‍नीतिक प्रगतिशील भारतीयों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना। हमारे पहले राष्‍ट्र‍पति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसी न्‍यायालय में वकालत की प्रैक्टिस करके अपने कैरियर की शुरुआत की थी।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि आज उच्‍चतम न्‍यायालय में 56 हजार मामले लम्बित है जिसमें से 36 हजार मामले एक साल से ज्‍यादा पुराने है। उच्‍च न्‍यायालयों और अधीनस्‍थ अदालतों में 31 दिसंबर, 2010 तक करीब 3.2 करोड़ मामले थे जिनमें से करीब 85 लाख मामले 5 साल से ज्‍यादा पुराने है। इसका मुख्‍य कारण बार-बार तारीखें लगना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here