कोरोना संबंधी ज्ञान वर्षा से भ्रमित होता आम आदमी

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– तनवीर जाफ़री –                                                

 
कोरोना महामारी का क़हर लगभग पूरे विश्व में अपना रौद्र रूप धारण किये हुए है। सुखद समाचार यह है कि जहाँ न्यूज़ीलैंड,तंज़ानिया,वेटिकन,फ़िज़ी,मोंटेनेग्रो, सेंट किट्स-नेविस , सेशल्स, तिमोर- लेस्त तथा पापुआ न्यू गिनी जैसे कई देशों ने कोरोना पर क़ाबू पाकर स्वयं को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया है वहीं उत्तर कोरिया,तुर्कमेनिस्तान, माइक्रोनेशिया, तुवालु,किरिबाती, नाउरु, मार्शल आइलैंड्, पलाउ,  वनुआटू,सोलोमन आइलैंड्स, टोंग जैसे अनेक छोटे परन्तु सौभाग्यशाली देश ऐसे भी हैं जो अभी तक कोरोना वायरस की पहुँच से दूर हैं। परन्तु दुनिया का जो बड़ा हिस्सा इस महामारी की चपेट में है उनमें से अधिकांश देशों में कोरोना ने तबाही मचा रखी है। अर्थव्यवस्था चौपट होने से लेकर लोगों की मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि दुनिया के अनेक देश इस महामारी से निजात दिलाने वाली औषधि के शोध कार्यों में दिन रात लगे हुए हैं परन्तु जब तक उपयुक्त औषधि का आविष्कार नहीं हो जाता तब तक या तो लोग स्वयं अपनी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity ) के बल पर कोरोना के आक्रमण के बावजूद स्वस्थ हो रहे हैं या फिर इससे बचाव के रास्ते अपनाते हुए स्वयं को अपने अपने घरों में सुरक्षित रखे हुए हैं अर्थात अधिकांश समय तन्हाई में रहकर कोरोना से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इस महामारी के क़हर का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारत सहित दुनिया के अनेक प्रमुख देशों में अस्पतालों में कोरोना मरीज़ों को भर्ती करने के लिए बेड व अन्य स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की कमी पड़ गयी है। और दुर्भाग्यवश मृतकों की संख्या भी विश्व स्तर पर इस क़द्र बढ़ चुकी है कि अनेक देशों में क़ब्रिस्तान व शमशान घाट में भी मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए या तो जगह कम पड़ गयी है,या नए प्लेटफ़ॉर्म बनाए जा रहे हैं या फिर अंतिम संस्कार हेतु प्रतीक्षा सूची बना दी गयी है। गोया आधुनिकता व विकसित होने का दावा करने वाला विश्व एक बार फिर क़ुदरत के इस प्रकोप के आगे असहाय नज़र आ रहा है।
                                               ज़ाहिर है इस महामारी के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर स्वास्थ्य संबंधी अनेकानेक संस्थाएं तथा इससे जुड़े विशेषज्ञ आम लोगों को अपनी राय,सलाह तथा इससे बचाव के अनेक उपायों से अवगत करा रहे हैं। और दुनिया यथासंभव इन उपायों का पालन भी कर रही है। उदाहरण के तौर पर एक दूसरे से दूरी बना कर रखना जिसे सोशल डिस्टेंसिंग भी कहा जा रहा है,मुंह पर मास्क लगाना,दिन में कई बार हाथ धोना,सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करना,केवल अतिआवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलना,शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity )बढ़ाने  हेतु विशेष खान पान सामग्री का नियमानुसार प्रयोग करना,कुछ विशेष व्यायाम करना,खांसने व छींकने के समय विशेष सावधानी बरतना जैसे अनेक उपायों पर अमल करने की सलाह दी जा रही है। दुनिया के अनेक देश इन्हीं उपायों के मद्देनज़र लॉक डाउन  का सामना भी कर चुके हैं या कर रहे हैं। निश्चित रूप से यह सब केवल इसी लिए किया जा रहा है ताकि दुनिया में लोगों की मौत की संख्या कम से कम हो सके। दुनिया के अनेक देशों ने जनहानि कम से कम होने के उद्देश्य के लिए ही लॉक डाउन कर अपने अपने देश की अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर दिया है।
                                              परन्तु इसी दौरान कोरोना से बचाव के उपायों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित अनेक चिकित्सा विशेषज्ञों अथवा शोधकर्ताओं द्वारा ऐसी अनेक बातें भी की जा रही हैं अथवा ऐसी अनेक सलाहें भी दी जा रही हैं जो परस्पर विरोधी होने के चलते आम लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा कर रही हैं। ऐसी परस्पर विरोधाभासी सलाहों से आम आदमी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाता कि आख़िर इसमें से कौन सी सलाह सही है कौन सी ग़लत। किस सलाह का पालन किया जाना चाहिए किस का नहीं। मिसाल के तौर पर सिनेटाइज़र के प्रयोग को ही लेलें। इसका इस्तेमाल इन दिनों सरकारी व ग़ैर सरकारी स्तर पर लगभग हर जगह किया जा रहा है। अनेक स्थानों पर यह अनिवार्य भी है। परन्तु दूसरी ओर इसके प्रयोग के अनेक नुक़्सान भी बताए जा रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों द्वारा कहा जा रहा है कि हाथों में सेनिटाइज़र लगा होने पर यदि उसी हाथ से धोखे से कुछ खाया गया या वही हाथ आँख या मुंह में लग गया तो शरीर के रोग प्रतिरोधक कीटाणु मर सकते हैं। इसके ज्वलनशील होने के चलते अतिरिक्त सावधानियां भी बरतनी ज़रूरी है। यह ज्ञान भी दिया जा रहा है कि  सेनिटाइज़र के इस्तेमाल से त्वचा भी ख़राब हो सकती है। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी मानना है कि सेनिटाइज़र का प्रयोग ही बेमानी है क्योंकि यह कोरोना के कीटाणु को मारने में सक्षम है ही नहीं। अब आम आदमी इनमें से किस सलाह को सही माने और किस पर अमल करे ?
                                             इसी तरह मास्क के प्रयोग को लेकर भी कई अंतर्विरोधी मत हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने मास्क लगाने को ज़रूरी बताया है परन्तु कुछ विशेषज्ञ यह ज्ञान भी दे रहे हैं कि मास्क भीड़ वाली जगहों में कुछ समय के लिए तो लगाया जा सकता है परन्तु लम्बे समय तक अकेले ही मास्क लगाकर घूमने का कोई औचित्य नहीं है। यहाँ तक कि देर तक मास्क लगाने के अनेक नुक़्सान भी वर्णित किये जा रहे हैं। सुबह शाम की सैर करने को लेकर भी विरोधाभासी सलाहें दी जा रही हैं। कुछ की सलाह है कि कोरोना कीटाणु कुछ घंटों तक हवा में भी जीवित रहते हैं इसलिए सैर करना उचित नहीं  जबकि डॉक्टर्स का ही एक वर्ग ऐसा भी है जो सैर को बढ़ावा देते हुए सलाह दे रहा है कि चूंकि कोरोना वायुमंडल में नहीं होता इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता ( immunity) बढ़ाने के लिए सैर का समय और अधिक बढ़ा देना चाहिए। ग़ौर तलब है कि इसी विरोधाभासी व अस्पष्ट सलाह के चलते अनेकानेक लोगों ने कोरोना के भय वश सैर करनी भी बंद कर दी है नतीजतन उनको शारीरिक रूप से असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। अनेक लोग लॉक डाउन में घर बैठे बैठे मोटे भी होते जा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी आम आदमी इसलिए भी भ्रमित है कि एक तो घनी आबादी वाले देशों में इस व्यवस्था पर अमल कर पाना लगभग संभव भी नहीं नहीं दूसरे यह भी कि जब यही आम आदमी शादी विवाह,जन्म दिवस समारोहों,अनेक राजनैतिक व धार्मिक समारोहों तथा नेताओं के निजी कार्यक्रमों में अपने ‘मार्ग दर्शकों’ को सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाते देखता है या बिना मास्क लगाए देखता है तो भी उसे महसूस होता है कि जब इन क़ानूनों पर नीति निर्माता ही अमल नहीं कर रहे तो यह नियम केवल आम आदमी के लिए ही क्यों ? इसी तरह की और भी अनेक विरोधाभासी ‘ज्ञान वर्षा’ कोरोना के संबंध में की जा रही हैं जिन्हें लेकर आम आदमी भ्रमित हो रहा है।  
 

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – : Email – tjafri1@gmail.com

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