*कैसे लगे मिलावट खोरी पर अंकुश

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**निर्मल रानी

देश का आम आदमी इन दिनों जहां लगातार बढ़ती जा रही महंगाई से बदहाल है वहीं उसी व्यक्ति द्वारा दोगुनी या तीन गुनी कीमत दिए जाने के बावजूद उसे बाज़ार से शुद्ध वस्तु प्राप्त नहीं मिल पा रही है। गत कुछ वषोंü से जिस प्रकार नक़ली व मिलावटी वस्तुओं का  उत्पादन करने तथा उन्हें बाज़ार में बेचने का सिलसिला चल रहा है उसने आम जनता के होश उड़ाकर रख दिए हैं। ख़ासतौर पर त्यौहार के इन दिनों में देश के कई राज्यों में हुई छापामारी के दौरान कहीं नकली खोए के भंडार पकड़े जा रहे हैं तो कहीं रासायनिक तरीके से तैयार की गई  दूध,मक्खन व दही की भारी खेप बरामद की जा रही है। मिलावटखोर माफिया  द्वारा जहां नकली मिठाईयां,नक़ ली देसी घी,डालडा,मक्खन,ज़हरीले नमकीन जैसे खाद्य पदार्थ बाज़ार में उपभोक्ताओं की मौत व बीमारी का सबब बन रहे हैं वहीं साज-सज्जा की नकली सामग्री,नक़ली दवाईयां बनाने का नेटवर्क, ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन लगाकर उगाई जाने वाली सुडौल व आकर्षक सçब्ज़यां,ज़हरीली रासायनिक दवाईयों का प्रयोग कर पकाए जाने वाले आम,सेब व केला आदि फल, शुद्ध जल की नक़ली बोतलें,नकली पेयजल, मनियारी कारोबार वाले सैकड़ों सामान भी बाज़ार से बरामद किए जाने के समाचार प्राप्त होते  रहते हैं। परंतु नक़ ली,शुद्ध तथा मिलावटी वस्तुओं का कारोबार है इन कार्रवाईयों के बावजूद कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। कहना गलत नहीं होगा कि देश में एक बहुत बड़ा माफिया  नेटवर्क बन चुका है जो कम समय में अधिक से अधिक धन कमाए जाने की लालच में आम लोगों की जान से भी खिलवाड़ करने पर पूरी तरह आमादा है।

ऐसी मिलावटी अथवा नकली वस्तुओं के बिकने की संभावना कुछ समय पूर्व तक दूर-दराज़ के पिछड़े हुए गांव देहातों तक में ही हुआ करती थी।  परंतु जैसे-जैसे हमारा देश आधुनिकीकरण की ओर बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे खाद्य सामगि्रयों तथा आम लोगों के दैनिक जीवन में प्रयोग में आने वाली वस्तुओं में मिलावात्खोरी  तथा क्वडुप्लाकेसीं काडाल  भी अत्याधिक तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। हमारे देश में नकली व विषैली शराब पीने से मरने वालों की संख्या  तो अब तक हज़ारों में पहुंच चुकी है। इस प्रकार की घटनाओं  से आम लोगों के प्रभावित होने के तो सैकड़ों उदाहरण पेश किए जा सकते हैं।

राजधानी दिल्ली में देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सालय अखिल भारतीय आयुçर्वज्ञान संस्थान,नई दिल्ली में दो वर्ष पूर्व आयोजित हुए एक समारोह में ए स के शीर्ष डाक्टरों के समक्ष मंच पर शुद्ध जल के वह गिलास परोसे गए जिनमें फफंूद लगा हुआ था। इस ज़हरीले व अतिदूषित जल का प्रयोग कई डॉक्टरों द्वारा किया गया। परिणामस्वरूप कई डॉक्टर बेहोश हो गए तथा उन्हें काफी समय तक उपचाराधीन रहना पड़ा। उनकी जान पर भी आ बनी थी। परंतु उनके  स्वयं डॉक्टर होने तथा ए स में ही इस घटना के घटित होने की वजह से पीçड़त डॉक्टरों के तेज़ी से बिगड़ते स्वास्थय पर तत्काल काबू पा लिया गया। कल्पना कीजिए कि  देश की राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल के campस में जब हमारे स्वास्थय के रक्षक समझे जाने वाले देश के जाने-माने डॉक्टर ऐसी प्रदूषित व ज़हरीली पेय सामगि्रयों से नहीं बच पा रहे हैं तो आम जनता को विषैले पानी पीने से या जगह-जगह बिक रही अन्य नकली खाद्य सामगि्रयों व पेय पदार्थों से आखिरकार   कैसे बचाया जा सकता है? दूसरी घटना भी गत् वर्ष दिल्ली में ही घटी थी। एक वैज्ञानिक तथा उसकी प%ी ने कrailा व लौकी के जूस का सेवन किया। परिणामस्वरूप वैज्ञानिक की तो जूस पीने के  कुछ ही घंटों के उपरांत मौत हो गई जबकि उसकी प%ी को भी अस्वस्थ हालत में अस्पताल में भतीü करवाना पड़ा जोकि भाग्यवश कुछ समय बाद स्वस्थ हो गई। गोया हमारे देश का एक होनहार वैज्ञाानिक भी ज़हरीली सब्ज़ी के प्रकोप का शिकार हो गया।

गोया अब इस प्रकार के  ज़हरीले खाद्य पदार्थों की चपेट में स्वयं को बुद्धिजीवी,जागरुक व सतर्क समझने वाला तबका भी आ चुका है। देश में चारों ओर सुंदर व आकर्षक फल बिकते दिखाई देते हैं। चांदी के नकली वक़ü लगी मिठाईयां बड़े ही संुदर व आकर्षक तरीकांे़ से सजाकर मिष्ठान भंडार के लोग बेच रहे हैं। साज-सज्जा के तमाम सामान जैसे साबुन,लिपस्टिक,पाऊडर, क्रीम,इतर,body लोशन,शेवing क्रीम,पर यूम आदि न जाने कौन-कौन सी वस्तुओं का प्रयोग हम प्रतिदिन करते रहते हैं। परंतु अब निश्चित रूप से आम आदमी इस विषय पर असहाय साबित होने लगा है कि आçखर उसे इस बात की पहचान कैसे हो कि कौन सी वस्तु असली है और कौन सी नकली? इन नकली वस्तुओं ने वस्तुओं की चयन कर पाने की हमारी क्षमता को भी समाप्त कर दिया है। क्योंकि प्रायज् हर जगह पर एक जैसी वस्तुएं ही मिलती नज़र आ रही हैं। पिछले दिनों दिल दहलाने वाला समाचार देश के  ही एक प्रतिष्ठित अस्पताल से प्राप्त हुआ। $खबर आई कि उस अस्पताल में अति सुरक्षित रूप से रखे गए कैंसर के रोग से संबंधित अत्यंत $कीमती इंजेक्शन की शीशीयों में से सीरिंज द्वारा असली दवाई को खींच लिया जाता था तथा उसे चोरी से बाहर भेज दिया जाता था। बाहर बैठा हुआ ड्रग माçफया इन जीवन रक्षक इंजेक्शन को महंगे मूल्यों पर बेच दिया करता था। उधर दूसरी ओर इस मानवता विरोधी काले कारनामे में संलिप्त उसी अस्पताल के कर्मचारी तथा उनसे सांठगांठ बनाने वाले चिकित्सक ़ााली की गई उस इंजेक्शन की शीशीयों में पानी भरकर दवाई के कोटे को पूरा दिखाने की कोशिश करते थे। अब ज़रा सोचिए कि कैंसर पीçड़त किसी मरीज़ को वह नकली इंजेक्शन अर्थात् प्रदूषित पानी का क्वडोज़ं लगाया जाए तो उसके कैंसर जैसे जटिलतम मर्ज़ में सुधार आने की क्या कोई उ मीद बचती है या फिर यह हरामखोर मानवता के दुश्मन मरीज़ों को मरते हुए देखकर ही संतुष्टि प्राप्त करते हैं। ?

खाद्य पदाथांेü व दैनिक उपयोगी वस्तुओं के अतिरिक्त ईंधन संबंधी द्रव्यों में भी राष्ट्रीय स्तर पर मिलावटखोरी का बोलबाला है। इसी वर्ष महाराष्ट्र में नासिक के समीप यशवंत सोनावणे नामक एक अतिरिक्त çज़लाधिकारी को पैट्रोल में मिलावट करने वाले माçफया ने उसपर तेल छिड़क कर दिनदहाड़े çÊंादा जला दिया। यह अधिकारी पैट्रोल में मिट्टी का तेल मिलाए जाने का विरोध कर रहा था। इसी प्रकार अभी कुछ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में इंडियन ऑयल के एक होनहार कर्तव्य निष्ठ व ईमानदार युवा अधिकारी एस. मंजुनाथन को एक पैट्रोल pump के मालिक ने केवल इसलिए गोली मार दी थी क्योंकि मंजुनाथन ने अपने कर्तव्यों की अनुपालना करते हुए पैट्रोल pump के मालिक द्वारा पैट्रोल में लगातार की जा रही मिलावट का सैंपल ले लिया था तथा उसे ऐसे काम बंद करने की स ़त हिदायत दी थी। उस ईमानदार अधिकारी की कर्तव्यपरायणता का अपराधी पैट्रोल pump मालिक ने यह जवाब दिया कि मंजुनाथन को अपनी जान गंवानी पड़ी।

ऐसे हादसे यह समझ पाने के लिए काफी हैं कि मिलावट ़ाोरों के हौसले अब इतने बढ़ चुके हैं कि यदि कोई अधिकारी उनपर नकेल कसने की कोशिश करता है तो या तो यही अपराधी पैसों से उस अधिकारी का ज़मीर खरीदने की कोशिश करते हंै या फिर उसे मिलावटखोर माçफया नेटवर्क के जानलेवा क्रोध का सामना करना पड़ता है। अतज् ऐसे ख़तरनाक वातावरण में जबकि देश का बड़े से बड़ा नेता,मंत्री, अधिकारी कोई भी व्यक्ति ऐसी मिलावटी, नक़ली व विषैली वस्तुओं के प्रयाोग से स्वयं को सुरक्षित नहीं रख पा रहा है फिर आç ़ार देश की आम जनता इस प्रकोप से स्वयं को कैसे सुरक्षित महसूस करे। आज प्रत्येक व्यक्ति किसी भी खाद्य वस्तु अथवा दैनिक जीवन में प्रयोग में आने वाली वस्तुओं के प्रयोग से हिचकिचाता है परंतु उन वस्तुओं का समुचित विकल्प न होने के कारण उसी वस्तु का प्रयोग करना भी उसकी मजबूरी बन जाता है।

उपरोक्त परिस्थितियों को देख़ते हुए ऐसे कौन से उपाय हो सकते हैं जिनके द्वारा आम आदमी को इन परेशानियों से निजात दिलाई जा सके। दरअसल उच्चतम् न्यायालय को इस विषय पर यथाशीध्र संज्ञान लेना चाहिए तथा  हमारे देश की सरकारों को ऐसे कानून बनाने चाहिए जिनके ाय से मिलावट ़ाोरी व ज़हरीली एवं नकली वस्तुओं के उत्पादन एवं इनके प्रचलन पर रोक लगाई जा सके। हमें अपने पड़ोसी देश चीन द्वारा ऐसे अपराधियों के विरुद्ध सज़ा-ए-मौत दिए जाने के कानून से ाी कुछ सीख लेनी चाहिए। हमारी सरकार व हमारे शासकों को बड़ी गंभीरता से यह सोचने की ज़रूरत है कि आçखर अपने चंद पैसों की कमाई की ़ाातिर जानबूझ कर ज़हरीली,विषैली व रासायनिक वस्तुएं खिला-पिला कर अन्य तमाम निर्दोष व्यक्तियों की जान के साथ खिलवाड़ करने का किसी को आç ़ार क्या अधिकार है। जब तक हमारे देश में ऐसे मिलावटखेारों के विरुद्ध फांसी जैसी स ़त सज़ा का प्रावधान नहीं होता तथा जब तक हमारे देश में ऐसे अपराध करने वाले किसी अपराधी को फांसी के फंदे पर लटकाया नहीं जाता तब तक मिलावट$खोरी के इस नेटवर्क के हौसले बुलंद रहेंगे।

**निर्मल रानी
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer)
1622/11 Mahavir Nagar
Ambala City  134002
Haryana
phone-09729229728

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC

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