केजरीवाल लोकतंत्र के सबसे बड़े दुश्मन ! *

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Kejriwal ,arvind kejriwal{  अमरेन्द्र यादव ** }
दो दिनों के नौटंकी से आम आदमी परेशान है। कही लोग ठंड से मर रहे हैं तो कही सडक पर रजाई ओढ ‘मरने’ की नाटक कर रहे है। सच कहूं तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अराजक और अहंकारी होने के रास्‍ते पर चल पडे है। जैसे उनके ही एक विद्यायक ने उन पर आरोप लगाया है। सस्ती लोकप्रियता के लिए लोकतंत्र और संविधान को नजरअंदाज कर अपनी हठ मनवाने के लिए अनसन को हथियार नहीं बनाय जा सकता । अगर ऐसा ही रहा तो केजरीवाल लोकतंत्र के सबसे बड़े दुश्मन साबित होंगे । ऐसे व्यक्ति के लिए लोकतंत्र में कोई जगह नहीं होना चाहिए !

सभी जानते है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है। तकनीकी कारणों से पुलिस प्रशासन राज्य सरकार के जिम्मे नहीं है। मगर यह कोई अनहोनी बात नहीं है। इस पर बहस हो सकता है कि आदर्श व्यवस्था क्या होनी चाहिये। मगर यह अंतिम सत्य नहीं है कि दिल्ली पुलिस का नियंत्रण वहां की राज्य सरकार के हाथों में ही हो। आज भी देश के जिलों में सामान्य प्रशासन का जिम्मा आइएएस अधिकारी संभालते हैं और पुलिस प्रशासन आइपीएस अधिकारी।

दोनों की सत्ता अलग होती है और दोनों एक दूसरे के नियंत्रण से बाहर होते हैं। फिर भी शासन-प्रशासन काम करता है। आपसी सामंजस्य से चीजें चलती हैं। ऐसा नहीं है कि दिल्ली पुलिस देश की सबसे वाहियात पुलिस है और आम आदमी पार्टी से पहले देश में किसी ने आदर्श का नाम ही नहीं सुना था। कई इमानदार अधिकारी जिलों में भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों से साथ काम करते रहे होंगे, मगर आज तक कोई ऐसी मिसाल नहीं सुनी कि एक आइएएस अधिकारी किसी आइपीएस अधिकारी के खिलाफ धरने पर बैठ गया हो।

दोनों के बीच अगर सामंजस्य न हो तो फिर दोनों अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से वहन करते हैं और एक दूसरे के मामले में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते। वैसे ही लोग दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल से यह अपेक्षा करते हैं कि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए दिल्ली की जनता को बेहतर जीवन सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करें। जो काम उनके दायरे से बाहर हैं उनके बारे में न सोचते हुए अपने किए हुए वादे पुरे करें। यह जिनका जिम्मा है उन्हें ही करने दें।

बहरहाल, ये सभी को समझना चाहिए कि दिल्ली देश की राजधानी है । दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय गतिविधिओ का केंद्र है तथा यहां लगभग सभी देशो का  दूतावास  है ,चाहे अपने  देश का राष्ट्रपति हो अथवा अन्य देशो के राष्ट्राध्यक्ष ,केंद्र सरकार को उनकी सुरक्षा ,अंतर्राष्ट्रीय गतिविधिओ पर नजर भी रखनी पडती है । दिल्ली में केंद्र से इतर सरकार होने पर यदि पुलिस का नियंत्रण दिल्ली राज्य के पास हो और यदि दिल्ली राज्य की सरकार केंद्र की धुर विरोधी हो तो देश को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विषम जटिलताओ का सामना करना पड़ सकता है।

बहरहाल,  केजरीवाल जैसे लोग पहले आम आदमी को ‘आम आदमी’ बनने और बनाने का सपने दिखाते है और बाद में आम आदमी को परेशान करने वाली सभी कार्यो को अपनाते है। देश ‘आप’ से साफ-सुथरी वैकल्पिक राजनीति का उम्‍मीद लगाए बैठा था, जो लगता है अब इनके बस का नहीं है। बस, आप (केजरीवाल) अपनी लोकप्रियता के लिए स्‍तरहीन नौटंकी का प्रदर्शन कर आमलोग को बरगलाने की कोशिश ही कर सकते है।

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* Disclaimer: The writer is a freelance journalist and the views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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