कुष्ठ रोग के इलाज में होम्योपैथी का बढ़ता प्रयोग

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होम्योपैथीआई एन वी सी,
रायपुर,
वैसे तो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में कुष्ठ रोग का इलाज एलोपैथिक कीें बहुऔषधि उपचार प्रणाली के जरिए सफलतापूर्वक किया जा रहा है, लेकिन इस इलाज में रोगमुक्त होने के बाद भी मरीजों के अंगों में संवेदना पूरी तरह नहीं लौट पाती और घाव भी ठीक से नहीं भर पाते, लेकिन चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में पहली बार होम्योपैथी  के जरिए इस समस्या का निदान खोज लिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की खास पहल पर कुष्ठ रोग जनित सुन्नपन और विकलांगता के इलाज में हुए होम्योपैथिक दवाई के परीक्षण और प्रयोग को भारत के नये राज्य छत्तीसगढ़ के दो जिलों रायगढ़ और जांजगीर-चाम्पा में शानदार सफलता मिली है। यह भी उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया में इस प्रकार का पहला होम्योपैथी आधारित प्रयोग छत्तीसगढ़ में किया गया है। 
 
राज्य के जांजगीर-चाम्पा जिले की समाजसेवी संस्था भारतीय कुष्ठ निवारक संघ और सोसायटी फॉर वेलफेयर ऑफ हैंडीकेप्ट पर्सनस के सहयोग से कुष्ठ रोग से मुक्त लोगों के प्रभावित अंगों में स्पर्श संवेदना वापस लाने और रोग से उत्पन्न शारीरिक विकृतियों को रोकने के लिए विशेषज्ञों की देख-रेख में मरीजों पर इस दवाई का परीक्षण किया गया था। हर सप्ताह एक वर्ष तक इस दवाई के सिर्फ दो बूंदो के इस्तेमाल से 80 प्रतिशत मरीजों में संवेदना लौट आयी और उनके जख्म भी ठीक होने लगे। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी बढ़ गयी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (विश्व कुष्ठ निवारण दिवस) की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर आयोजित एक सादगीपूर्ण समारोह में उन्हें इस प्रयोग की सफलता की जानकारी दी गयी। मुख्यमंत्री ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसके लिए परियोजना के प्रमुख डॉ. ध्रुव चक्रवर्ती और उनके सहयोगियों को बधाई दी है। इस मौके पर कई लाभान्वित मरीजों ने मुख्यमंत्री को अनुभव सुनाए। डॉ. रमन सिंह ने राज्य के अन्य जिलों में भी इस परियोजना के विस्तार की मंशा प्रकट करते हुए इसके लिए हरसंभव सहयोग का वायदा किया है।
 
उल्लेखनीय है कि लगभग दो वर्ष पहले भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के प्रमुख श्री दामोदर बापट और सोसायटी फॉर वेलफेयर ऑफ हैंडीकेप्ट पर्सनस के डॉ. ध्रुव चक्रवर्ती ने रायपुर में मुख्यमंत्री से इस दवाई के परीक्षण के बारे में विचार-विमर्श किया था। मुख्यमंत्री की विशेष पहल पर राज्य सरकार के आयुष विभाग के सहयोग से प्रदेश के दो जिलों रायगढ़ और जांजगीर-चांपा में होम्योपैथिक के माध्यम से कुष्ठ रोगियों में विकृतियों के बचाव’ (प्रिवेंशन ऑफ डिसऐबिलिटी इन लेप्रोसी क्यूर्ड पर्सनस थ्रू होम्योपैथी) के लिए परियोजना प्रारंभ की गयी, जिसमें एक सप्ताह में दो बंूद होम्योपैथिक दवा कुष्ठ रोगियों को दी गयी, इस उपचार से परियोजना के अंतर्गत लगभग अस्सी प्रतिशत मरीजों के अंगों में संवेदना वापस आ गयी और उनके घाव भरने लगे। डॉ. रमन सिंह को बीती रात रायपुर में उनके निवास पर आयोजित कार्यक्रम में सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. ध्रुव चक्रवर्ती ने मुख्यमंत्री को बताया कि बहु औषधी उपचार से कुष्ठरोग ठीक हो जाता है, लेकिन प्रभावित अंगों में संवेदना वापस नहीं आ पाती, इस होम्योपैथिक दवा के उपयोग से संवेदना वापस लाने और धाव भरने में सफलता मिली है।
 
 मुख्यमंत्री ने प्रयोग की सफलता के लिए डॉ. चक्रवर्ती को बधाई देते हुए कहा कि इस दवा का चमत्कारिक असर हुआ है, जो छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के कुष्ठरोगियों के लिए एक वरदान साबित होगा। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कुष्ठ रोग में तंत्रिकाओं की क्षति के बाद प्रभावित अंगों में संवेदना का वापस आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। मुख्यमंत्री ने मधुमेह के मरीजों के इलाज में भी (तंत्रिकाओं के पुर्नजीवित करने में ) इस होम्योपैथिक दवा के इस्तेमाल की संभावनाओं पर अनुसंघान करने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री के सामने अनेक कुष्ठरोगियों ने इस इलाज से अंगों में संवेदना वापस आने और जख्मों के भरने की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने टेलीफोन पर स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री एम.के राउत से चर्चा की और सोसायटी फॉर वेलफेयर ऑफ हैंडीकेप्ट पर्सनस के डाक्टरों  और कुष्ठ रोगियों से इस उपचार पद्धति के फायदे और इसके प्रदेश में विस्तार की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने के निर्देश दिए।
 
सोसायटी के डॉ. चक्रवर्ती ने बताया कि होम्योपैथिक से कुष्ठ रोगियों के इलाज के संबंध में आयुष संचालनालय, सोसायटी फॉर वेलफेयर ऑफ हैंडीकेप्ट पर्सनस और स्टेट रिसोर्स संेटर छत्तीसगढ़ के बीच पिछले वर्ष 17 जनवरी को समझौता पत्र (एम.ओ.यू.) हस्तांक्षरित हुआ था। इस परियोजना के अंतर्गत रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जिले के कुष्ठ के दो हजार 700 से ज्यादा ऐसे मरीजों का होम्योपैथिक से इलाज के लिए चयन किया गया, जो बहु औषधि  उपचार के बाद भी अंगों में अल्सर और असंवेदनशीलता से प्रभावित थे। यह इस तरह की विश्व की इकलौती परियोजना है। चयनित मरीजों को निःशुल्क एक होम्योपैथिक दवा की दो बूंदें सप्ताह में एक बार दी गयी। एक वर्ष के इलाज के बाद जब इन मरीजों की जांच की गयी, तो 80 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में फिर से प्रभावित अंगों में संवेदना वापस आ गयी है, उनके घाव भर गये हैं। इन मरीजों की त्वचा की बायोपसी में तंत्रिकाओं के पुनर्जीवित होने के प्रमाण मिले। जांच में हड्डियों की विकृतियों में सुधार और रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी भी सामने आयी।
 
समारोह में पूर्व राज्य सभा सांसद श्रीयुत श्रीगोपाल व्यास, समाजसेवी श्री शांताराम, सोसायटी फॉर वेलफेयर ऑफ हैंडीकेप्ट पर्सनस घोघरानाल चांपा के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. तुहिन चक्रवर्ती और डॉ. विनोद कुमार सहित सोसायटी के पदाधिकारी और सदस्य तथा कुष्ठ रोग से ठीक हुए अनेक मरीज उपस्थित थे।

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