किडनी बीमारियों से बचाव के आठ अनूठे उपाय

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dr k k aggarwalआई एन वी सी,
दिल्ली,
क्रोनिक किडनी डिसीज किसी को भी हो सकती है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का अधिक होना दो मुख्य कारण हैं। किडनी डिसीज के अन्य आशंकित तथ्यों में हृदय बीमारी और किडनी फेल्योर (किडनी बीमारी का एक गंभीर रूप) का पारिवारिक इतिहास होना शामिल हैं। यह वक्तव्य पद्मश्री और डॉ. बी सी राय नेशनल अवार्डी व हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आईएमए के निर्वाचित उपाध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल और आईएमए नई दिल्ली शाखा के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. रमेश होटचंदानी ने दिया। अगर आपमें ये संभावित खतरे हों तो आपको किडनी डिसीज की जांच करवानी चाहिए। इसमें सामान्य तौर पर लैब टेस्ट करने होते हैं जिनमें किडनी डैमेज के लिए यूरीन टेस्ट और किडनी कैसे काम कर रही है, उसके लिए ब्लड टेस्ट करना होता है। यूरीन टेस्ट से प्रोटीन को जांचते हैं जिसे एल्ब्यूमिन कहते हैं जो कि नियमित नहीं पायी जाती है जब आपकी किडनी ठीक हो। ब्लड टेस्ट से जीएफआर-ग्लोमेरूलर फिल्टरेशन रेट जांचते हैं। जीएफआर से आपकी किडनी की फिल्टर की क्षमता जांची जाती है। जीएफआर 60 से नीचे होने का मतलब है कि आपको क्रोनिक किडनी डिसीज है। जीएफआर 15 से नीचे होने का मतलब किडनी फेल्योर होता है। बिना उपचार के किडनी डिसीज अक्सर बढ़ जाती है। अगर आपका जीएफआर 15 से नीचे चला जाए तो आप थके हुए और कमजोर महसूस करेंगे साथ ही चक्कर आना, उल्टी और खुजलाहट हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस की जरूरत हो सकती है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और आईएमए नई दिल्ली शाखा ने आठ स्वर्णिम नियम जारी किए जिसके जरिये व्यक्ति किडनी फेल्योर से बच सकता है या उसे टाल सकता है।
  • फिट और सक्रिय रहें, इससे आपका ब्लड प्रेशर कम होता है और किडनी को स्वस्थ रखने के लिए टहलते रहें।
  • नियमित रूप से अपना ब्लड शुगर स्तर काबू में रखें क्योंकि करीब आधे लोग किडनी डैमेज के शिकार वाले डायबिटीज की गिरफ्त में होते हैं।
  • ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखेंः यह भी किडनी डिसीज का प्रमुख कारण है। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। इसके और 129/89 का स्तर होने के साथ ही जीवन शैली और खानपान में बदलाव अपनाना शुरू कर देना चाहिए। 140/90 या इससे अधिक होने पर आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए कि किस तरह से ब्लड प्रेशर पर काबू पाएं। उच्च रक्तचाप से किडनी डैमेज का खतरा तब ज्यादा होता है जब आप डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय सम्बंधी बीमारियों के शिकार हों।
  • पौष्टिक भोजन लें जिससे आपका वज़न संतुलित रहे और इससे मधुमेह, हृदय बीमारी और अन्य समस्याओं को रोकने में मदद मिलेगी जिनका सम्बंधी क्रोनिक किडनी डिसीज (सीकेडी) से है। नमक लेने में कमी करे। रोजाना नमक 5-6 ग्राम (करीब एक चम्मच) लेने का सुझाव दिया है।नमक में कमी लाने के लिए प्रोसेस्ड और रेस्टोरेंट में खाना सीमित करें और खाने में ऊपर से नमक न लें। खुद से काबू पाना आसान होता है, अगर आप खुद भोजन बनाते हैं तो ताजी चीजें प्रयोग करते हैं।
  • स्वस्थ तरल पेय लेंः परंपरागत तरीके से सुझाव दिया जाता है कि रोजाना डेढ़ से दो लीटर पानी लें।बहुत ज्यादा तरल पेय लेने से किडनी से सोडियम, यूरिया और टॉक्सिन्स साफ होता है जिससे क्रोनिक किडनी डिसीज के खतरे में महत्वपूर्ण कमी आती है। लेकिन जबरन पेय लेने को न कहें क्योंकि इसका साइड इफैक्ट भी हो सकता है।
  • धूम्रपान न करें क्योंकि इससे किडनी के लिए रक्त का बहाव धीमा हो जाता है। धूम्रपान से किडनी कैंसर का खतरा भी करीब 50 फीसदी बढ़ जाता है।
  • नियमित तौर पर ओवर द काउंटर दवाएं न लेंः ब्यूप्रोफिन जैसी दवाओं को किडनी डैमेज और डिसीज के तौर पर जाना जाता है अगर इनको नियमित तौर पर लिया जाए।
  • अगर आपमें एक या इससे अधिक संभावित खतरे हों तो आप किडनी फंक्शन को चेक करवाएं।
एचसीएफआई के बारे में: एक ऐसी राष्ट्रीय गैर लाभांवित एनजीओ जिसके दो बड़े समुदाय स्वास्थ्य शिक्षा सम्बंधी कार्यक्रमों पर भारत सरकार ने दो बार डाक टिकट जारी किए और एक कैंसिलेशन स्टांप जारी किया। इसके अलावा एक के बाद एक ‘‘हैंड्स ऑनली सीपीआर’’ की ट्रेनिंग का आयोजन 1 नवंबर 2012 से किया और अब तक 30303 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है।  मरने के 10 मिनट के अन्दर, 10 मिनट तक, 10ग10 =100 पर मिनट की स्पीड से, अपनी छाती पीटने के बदले मरे हुए आदमी की छाती पीटो

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