कांग्रेस-राक्रापा, भाजपा-शिवसेना का गठबन्धन टूटने से उत्तरभारतीयों पर सबकी नजर

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maharashtra{ पंकज शर्मा }
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की पद के लिए अधिक सीटों की खींच तान को लेकर कांग्रेस – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी व भाजपा-शिवसेना गठबंधन की गाठ ढीली पड़ी और सभी अलग-अलग चुनावी जंग में उतरकर माज ठोक रहें हैं, ऐसे में उत्तर भारतीय मतदाताओं का महत्व काफी बढ़ गया है। मुम्बई, ठाणे, पूणे, कोंकण में प्रवासी के तौर के पर रह रहे उत्तरभारतीय समाज की सभी जातियों-ब्राह्मण, क्षत्रिय, कुर्मी, यादव, मौर्य, निषाद, कश्यप, बिन्द, स्वर्णकार, पाल, साहू, धोबी, पासी, चैहान, राजभर, खटिक, चैरसिया आदि जातियों के सामाजिक संगठन काम कर रहें हैं, ऐसे में राजनैतिक दलों के आका सामाजिक संगठनों के प्रमुखों को पटाने में लगे हैं। मुम्बई की 36, ठाणे की 24 व कोंकण की 15 विधान सभा सीटों में से लगभग 4 दर्जन सीटों को सीधे उत्तर भारतीय मतदाता प्रभावित करते हैं।

मुम्बई,ठाणे, पूणे व कोंकण में काफी निर्णायक हैं उत्तर भारतीय मतदाता

मुम्बई को देश की आर्थिक नगरी कहा जाता है जहां देश के सभी प्रदेशों के प्रवासीय रहते है, जिसमें उत्तरभारतीय विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों की काफी अधिक यानी लगभग 40-45 प्रतिशत आबादी मुम्बई, ठाणे, नवी मुम्बई, पूणे में रहती है। जिनमें बिल्डर्स, उद्योग पति, डेरी फार्म, होटल व्यवसाय के अलावा रेती बालू, फल सब्जी, कपड़ा, पालिश, पेन्ट, मार्बल, पी0ओ0पी0, फर्नीचर के धंधे में लगे हैं और टेक्सी चालकों में सर्वाधिक उ0प्र0 के ही लोग लगे हैं। उत्तर भारतीय मतदाताओं में देखा जाय तो सबसे अधिक निषाद, केवट, और इसके बाद मुसलमान, यादव हैं। परन्तु राजनीति में सक्रिय ब्राह्मण, राजपूत व मुसलमान ही हैं। पिछड़ों में आर0आर0 सिंह (पटेल)  एक बार मुम्बई महानगर पलिका के कांग्रेस से महापौर बने थे। पूर्व में शिव सेना से भदोही निवासी धनश्याम दूबे व कांग्रेस सेरमेश दूबे व भाजपा से अभिराम सिंह सक्रिय राजनीति में थे। वर्तमान में कांग्रेस से कृपा शंकर सिंह (जौनपुर), राजहंस सिंह (आजमगढ़), भाजपा से मोहित कम्बोज, अमरजीत सिंह, राक्रापा से नवाब मलिक व इनके भाई कप्तान मलिक  तथा सपा के सर्वेसर्वा आजमगढ़ निवासी अबू आजमी सक्रिय राजनीति में हैं। रमेश दूबे व कृपा शकर सिंह गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं तो नवाब मलिक पूर्व में मंत्री रहें हैं और एन.सी.पी. के प्रवक्ता हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा- शिवसेना व कांग्रेस-एन.सी.पी. का गठबंधन टूट जाने से राजनीति काफी उलझ गयी है। सभी प्रमुख दल उत्तर भारतीयों को अपने-अपने पाले में करने में जुटे हैं। और इस चुनाव में काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। मुम्बई, ठाणे, नवी मुम्बई, पूणे में उत्तर भारतीय काफी निर्णायक स्थिति में है। मुम्बई की कई सीटों पर प्रमुख दलों ने उत्तर भारतीय उम्मीदवार बनाकर पशोपेश में डाल दिया है। पूर्व में उत्तर भारतीय कांग्रेस के साथ मजबूती से जुड़े रहे, लोक सभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा के साथ हो लिये। पर विधान सभा चुनाव में किधर जायेंगे, अभी स्पष्ट नहीं है। उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख दल सपा व भाजपा उत्तर भारतीय व पूर्वांचल के प्रभावी नेताओं को महाराष्ट्र की चुनाव की जंग में प्रचार के लिए भेजा है।  आपस में चुनावी जंग में उतरने से उत्तर भारतीय मतदाता असमन्जस में है और इस कारण उत्तर भारतीय मतों के बटने से रोका नहीं जा सकता। मुम्बई व ठाणे की अधिकांश सीटों का फैसला उत्तर भारतीय तो करंेगे ही लगभग दो दर्जन से अधिक सीटों को अकेले पूर्वांचली निषाद प्रभावित करने की स्थिति में हैं। कांग्रेस ने कलीना (शान्ताक्रुज) विधान सभा क्षेत्र से पूर्व गृह राज्यमंत्री व मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष कृपा शंकर सिंह को उतारा है तो भाजपा ने अमरजीत सिंह व एन.सी.पी. ने नवाब मलिक के भाई कप्तान मलिक को मैदान में उतार दिया है। मालाड़ की डिन्डोसी सीट से कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक राजहंश सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं से भाजपा ने उनके मुकाबले मुम्बई उत्तर भारतीय मोर्चा के अध्यक्ष मोहित कम्बोज उतारा है। अन्य कई सीटों पर ही उत्तर भारतीय आपस में दो हाथ करेंगे।
विगत विधान सभा चुनाव में स्व0 जमुना प्रसाद निषाद, लौटन राम निषाद, राम भुआल निषाद, को निषाद मतदाता को दिशा निर्देश देने आये थे राष्ट्र निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व निषाद ज्योति पत्रिका के प्रधान सम्पादक लौटन राम निषाद ने 2001 में फूलन देवी का ब्रान्द्रा, बोरी बली, भिवंडी में निषादों की रैली कराकर उनकी ताकत का अहसास करा चुके हैं। श्री निषाद उत्तर भारतीय निषाद, बिन्द, कश्यप ही नहीं भूमि पुत्र कोली, भोई, आगरी, तान्डेल, मच्छीमार के साथ अच्छा ताल मेल बनाकर चलते हैं कारण की राष्ट्रीय निषाद संघ (एन.ए.एफ.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ0 किसान भांजी (कोली) वर्सोवा कोलीवाडा के निवासी हैं और निषाद राष्ट्रीय सचिव।
महाराष्ट्र के सामाजिक-जातिगत समीकरण में मराठा-13 प्रतिशत, ब्राह्मण-4 दलित-13 (चमार-6, महार-7 प्रतिशत) आदिवासी-9 प्रतिशत, मुसलमान-9, आगरी-4, कोली, मछीमार- 11.5, भोई-3.5, मांझी, केवट-2 प्रतिशत, बंजारा-5.5, अहिर/गवली/गडेरिया-1.10, पटेल/पाटी दार/कुणबी-8.5 और अन्य पिछड़े व सवर्ण-15.90 प्रतिशत है। महाराष्ट्र की राजनीति में कोली, आगरी, बंजारा व आदिवासी का चुनावी समीकरण बनाने बिगाड़ने में काफी भूमिका होती है। भाजपा में सपा के महाराष्ट्र प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष व आगरी सेना के अध्यक्ष राजाराम सागरी काफी ताकतवर नेता है और गणेश नाईक शिव सेना में और इसी समाज के श्री राम सेठ शेतकारी संगठन चलाते है। कोली समाज में डाॅ0 गजेन्द्र भानजी, पूर्व विधायक कांती किशन कोली, दामोदर तान्डेल, रमेश पाटील कांग्रेस समर्थक हैं तो पुरूषोत्तम पाटील सपा और पूर्व एम0एल0सी0 अनंत तरे शिव सेना के प्रभावी कोली नेता हैं। बंजारा समाज के हरि भाऊ राठौर (पूर्व भाजपा सांसद-यवतमाल) वर्तमान में कांग्रेस से एम0एल0सी0 है और काफी प्रभावी है। गोपी नाथ मुण्डे बंजारी/बंजारा समाज के बड़े नेता थे परन्तु उनकी मृत्यु के बाद राठौर सबसे प्रभावी बंजारा नेता हो गये हैं। मुण्डे की बेटी पंकजा भाजपा के साथ बंजारा समाज का कितना ध्रुवीकरण करा पाती हैं, भविष्य के गर्भ में हैं। दलितों में दर्जन भर से अधिक नेता है पर राम दास आठवले (महाल) प्रभावी माने जाते हैं। गोपी नाथ मुण्डे माधव (माली, धनगर, वंजारा) समीकरण से पिछड़ों को काफी मजबूत व प्रभाव शाली बना लिये थे। माली समाज के बड़े नेताआंे में झगन भुजवल का नाम शामिल है तो गवली/अहिर/धनगर/गड़ेरिया, समाज में डान अरूण गवली का कुछ क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव है। यह तो तय है कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधान सभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा, चुनाव बाद फिर गठबंधन की रणनीति के लिए जोड़ तोड़ शुरू होगी। जिसमें फिर से कांग्रेस एन.सी.पी. साथ आ सकती है और भाजपा शिव सेना का भी साथ आना सम्भव है। ऐसी स्थिति में एन.सी.पी. नेता शरद पवार का काफी महत्व है और किसी भी दल के साथ जा सकते हैं।
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पंकज शर्मा
राजनीतिक समीक्षक

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.  

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