कांग्रेस बदलाव की राह पर

0
29

– संजय रोकड़े –

rahul-gandhiजब से केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी है तब से कांग्रेस को राष्ट्र स्तर पर लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में दिल्ली में हुए एमसीड़ी चुनाव और उत्तर प्रदेश में बुरी तरह से हार मिलने से पार्टी में चिंता की लहर दौड़ गई है। अब कांग्रेस के आला नेताओं ने यह मान लिया है कि अगर यही आलम रहा तो आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को सफलता मिलना मुश्किल ही है। शायद इसिलिए अब नही चेते तो कभी नही की तर्ज पर कांग्रेस में संगठन में व्यापक स्तर पर बदलाव का मन बना लिया है। बेशक पार्टी में इस बदलाव की लंबे समय से दरकार थी। खेर, देर आयद दुरूस्त आयद। एक नही अनेक धड़ों में बटी कांग्रेस के लिए यह बदलाव भी मुश्किल भरा साबित होगा लेकिन एक बार फिर सोनिया गांधी ने अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ता दिखाकर इस ओर पहल की है। पार्टी में किसी भी स्तर पर कोई असंतोष न भड़के इसके लिए भी वे फुंक-फुंक कर कदम उठा रही है। वैसे भी एक झटके में सब कुछ बदल देना संभव नही है। आलाकमान आहिस्ता-आहिस्ता फेरबदल कर रही है। बदलाव की इस प्रक्रिया में सोनिया ने सबसे पहले असरदार और बड़े नेताओं के पर कतरने का काम किया। जैसे महासचिव दिग्विजय सिंह से गोवा और कर्नाटक का प्रभार छीन लिया गया।  दरअसल कांग्रेस की सेकंड लाइन को मजबूत करने की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी।

पार्टी का ऊपरी ढांचा कमोबेश वही है जो नरसिंह राव के समय से चला आ रहा है। उसके कई नेता वृद्ध होकर अब लगभग निष्क्रिय जैसे हो गए हैं लेकिन आलाकमान एकाएक किसी को हटाकर उसे आहत नहीं करना चाहती है। इसलिए नेताओं को पद से हटाने के बाद भी उन्हें कहीं और अजस्ट करने की नीति अपनाई जा रही है। आलाकमान के रवैये से अभी भी ये लगता है कि वह युवाओं को आगे बढ़ाने की जगह सबको साथ लेकर ही चलना चाहती है। बावजूद इसके पार्टी में व्यापक स्तर पर हेराफरी हुई है। इसके चलते कोई खुश है तो कोई नाराज। दिग्वजय के छोटे भाई लक्ष्मणसिंह ने उनन्से गोवा और कर्नाटक का प्रभार छीने जाने पर नाराजगी जाहिर की है। खेर यह सब कुछ तो चलता रहेगा लेकिन जो बदलाव लंबे समय से बेहद जरूरी था वह अब सामने है। दो साल बाद होने वाले आम चुनाव के पहले संगठन की हालत कैसे दुरुस्त की जा सकती है, इसको लेकर मंथन शुरू हो गया है। ब्लॉक और जिला कमेटियों के साथ सीधे पार्टी के नेता रू-ब-रू हो रहे है। फोकस में उत्तर प्रदेश है, जहां समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर पार्टी ने राजनीतिक पुनरुद्धार की योजना बनाई थी। उत्तर प्रदेश की कमेटियों के पदाधिकारियों और विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की बैठक के जरिए मंथन का सिलसिला शुरू किया गया है। इसके बाद हर राज्य के ब्लॉक और जिला स्तर के नेताओं के साथ एआइसीसी की सीधे मंत्रणा की योजना है।

इसी के साथ बाकी कांग्रेस में संगठन के पुनर्गठन की प्रक्रिया भी जारी हो चुकी है। अध्यक्ष का चुनाव अक्तूबर में होगा लेकिन इससे पहले महासचिव स्तर पर फेरबदल शुरू हो गया है। महासचिव मधुसूदन मिस्त्री को संगठन चुनाव कराने के लिए गठित की गई कमेटी का हिस्सा बना दिया  है। इस नाते तकनीकी तौर पर उनकी महासचिव पद से उनकी छुट्टी तय है। महासचिव के कम से कम चार और पद खाली होने के आसार हैं। इन पदों पर सुशील कुमार शिंदे, जितेंद्र सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखे नेताओं को जगह मिल सकती है। दिग्विजयसिंह की जगह केसी वेणुगोपाल को कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया है जबकि चेला कुमार को गोवा का प्रभार दिया गया है। कर्नाटक के प्रभार के अलावा वेणुगोपाल को महासचिव का पद भी सौंपा गया है। बता दे कि गोवा में पार्टी की सरकार न बन पाने के पीछे दिग्विजय सिंह के सुस्त रवैये को ही जिम्मेदार ठहराया गया था। वैसे भी पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने जुबानी जमा खर्च के सिवा और कुछ नहीं किया। इधर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को महासचिव बना कर गुजरात का प्रभार सौंपा गया है। चार नए सचिव बना कर गहलोत के साथ जोड़े गए है। जल्दी ही हरियाणा के प्रभारी महासचिव कमलनाथ को भी मध्यप्रदेश भेजे जाने की तैयारी है। इससे महासचिव का एक और पद खाली हो जाएगा। ओड़ीशा के प्रभारी महासचिव बीके हरिप्रसाद ने पंचायत चुनावों में हार के बाद इस्तीफा दे दिया था। उनको अगले आदेश तक काम करते रहने को कहा गया है। इसके साथ ही मुंबई नगरपालिका चुनावों को लेकर नाराज चल रहे राजस्थान के प्रभारी महासचिव गुरुदास कामत भी अपने इस्तीफा दे चुके है। बताते चले कि  बीते दिनों उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों और नेताओं की दो दिनी बैठक भी हो चुकी है। इस बैठक की शुरुआत में ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर के इस्तीफे की मांग उठने लगी थी। इस मौके पर नए नाम भी उछाले गए। मंथन इस बात के इर्द-गिर्द रहा कि उत्तर प्रदेश में जो भी नेता हो वह मुख्यमंत्री को टक्कर देने लायक हो।

कांग्रेस ने जब से यूपी में करारी हार का सामना किया है तब से यह राज्य उसके लिए अहम हो गया है। वैसे भी राजनीति में उत्तर प्रदेश प्रमुख राज्यों में से एक है। इस लिहाज से भी वहां फोकस ज्यादा है। वहां सांगठनिक बदलाव के जरिए राज बब्बर की जगह ऐसा चेहरा आगे करने पर मंथन हो रहा जो सभी को स्वीकार्य हो और आदित्यनाथ योगी को चुनौती दे सके। ऐसे में यहां से अध्यक्ष के तौर पर चार बड़े नामों पर चर्चा शुरू हो गयी है। वाराणसी इलाके से अजय राय की पूर्वांचल में अच्छी पकड़ मानी जाती है। वाराणसी से पूर्व सांसद राजेश कुमार मिश्र का नाम भी चल रहा है। इनके अलावा उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता प्रमोद तिवारी और जितिन प्रसाद पर भी आलाकमान गौर कर रहा है। पूर्वांचल के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में भी अच्छी पकड़ रखने के चलते प्रमोद तिवारी को दमदार उम्मीदवार माना जा रहा है। इसके साथ ही पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार समेत तमाम राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को बदलने की तैयारी कर रही है। जल्द ही आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाने वाले हैं। पार्टी की योजना है कि संगठन चुनाव की कवायद में राज्यों में टूट-फूट की मरम्मत कर दे। वैसे यह सब पार्टी में संगठनात्मक चुनाव की तैयारियों का भी हिस्सा माना जा रहा है।

दरअसल ये चुनाव पिछले साल ही संपन्न हो जाने चाहिए थे लेकिन पार्टी ने चुनाव आयोग से बार-बार समय आगे बढ़ाने की मांग की। बहरहाल, अब तय हुआ है कि कांग्रेस 31 दिसंबर तक अपनी चुनाव प्रकिया पूरी कर पदाधिकारियों की लिस्ट चुनाव आयोग को भेज देगी। अब कांग्रेस से यही आश है कि वह अपनी पूरानी गलतियों से सीख लेकर संगठन को मजबूत बनाते हुए दगाबाज और मक्कार नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाएगी। इसके अलावा सबसे बड़ी उम्मीद ये है कि पार्टी जनता से संवाद रखने वाले जमीनी नेताओं को संगठन की जिम्मेदारियां सौंपेगी। टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर सुर्रे छोडऩे वालों को टाटा-बाय-बाय कर देगी। वैसे भी जब से केन्द्र में भाजपा विराजित है तब से इन फेशबुकियां नेताओं की जरूरत नही रह गई है। आज देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को ऐसे नेताओं की महत्ती आवश्यकता है जो आसमानी राजनीति से हट कर जमीनी स्तर पर चुनौतियों व समस्याओं का नए जोश के साथ का सामना करे और आम जनता के बीच खोया हुआ विश्वास हासिल करे।

____________

sajnay-rokdeपरिचय – :

संजय रोकड़े

पत्रकार ,लेखक व् सामाजिक चिन्तक

संपर्क – :
09827277518 , 103, देवेन्द्र नगर अन्नपुर्णा रोड़ इंदौर

लेखक पत्रकारिता जगत से सरोकार रखने वाली पत्रिका मीडिय़ा रिलेशन का संपादन करते है और सम-सामयिक मुद्दों पर कलम भी चलाते है।

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his  own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here