राजीव जैन
नई दिल्ली. नीली पोशाक में वायुसेना के 258 जवानों ने संयुक्त राष्ट्र के शांति बल का हिस्सा बनने के लिए अपनी भूरी टोपी हटाकर नीली टोपी पहनी। जवानों का यह दल 20 जून को कांगो लोकतांत्रिक गणतंत्र के लिए रवाना होगा। संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में वायुसेना के योगदान की कहानी तब शुरू हुई थी जब 1962 में वायुसेना ने कैनबेरा बमवर्षक विमान को संयुक्त राष्ट्र के कांगो अभियान में भेजा था।
वायुसेना रखरखाव प्रभारी अधिकारी एयर मार्शल के.एम.राम सुंदर ने आज यहां पालम से इंडियन एविएशन कंटीजेन्ट-2 को विदा करते हुए कहा, ‘आपलोग शांति के दूत हैं और राष्ट्र को आपसे अनुशासन, ईमानदारी तथा पेशेवर मापदंडों के संबंध में बहुत ऊंची आकांक्षाएं हैं।’ कंटीजेन्ट के प्रमुख ग्रुप कैप्टन मानवेंद्र सिंह ने कहा, ‘आपके पूर्ववर्तियों ने ऊंचे मापदंड स्थापित किए हैं, अब आपको उससे भी ऊंचा मापदंड स्थापित करना है।’
इस अवसर पर वायुसेना के सहायक प्रमुख, संचालन (परिवहन एवं हेलीकॉप्टर) एयर वायस मार्शल एम.बहादुर, एयर अफसर कमांडिंग, वायुसेना स्टेशन नई दिल्ली एयर कोमोडोर अजीत भोंसले समेत वायुसेना के कई अधिकारी मौजूद थे।