कश्मीरी छात्रों का दिल जीत, उनकी सुरक्षा कर नैतिकता के वाहक बने

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– संजय रोकड़े –

sanjay-rokdeइन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी छात्रों पर हमला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में राजस्थान के मेवाड़ में फिर एक कश्मीरी छात्र के साथ दुव्र्यवहार की घटना सामने आयी है, जबकि कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय गृहमंत्री ने इस तरह की हरकतों पर सख्त रूख अपनाया था। बता दे कि राजस्थान के झुंझुनू जिले के बीआईटीपीएस पिलानी इंस्टिट्यूट में एक कश्मीरी छात्र की टी-शर्ट पर कुछ अज्ञात लोगों ने आपत्तिजनक बातें लिख कर उसे धमकाने की घिनौनी हरकत की थी। इस हरकत के बाद डऱ के मारे छात्र हाशिम सोफी हॉस्टल छोड़कर अपने वतन याने घर लौट गया। खबरों के मुताबिक हाशिम ने अपनी टी शर्ट और बनियान हॉस्टल की बालकनी में सूखने के लिए रखी थी उसी समय किसी ने आपत्तिजनक बातें लिख दी थीं। इसके बाद से हाशिम काफी डर गया था। इसके पहले भी उत्तर प्रदेश और राजस्थान से कुछ कश्मीरी छात्रों को प्रताडि़त करने व उनके खिलाफ माहौल बनाने की घटनाएं सामने आई थी। यूपी के मेरठ में नवनिर्माण सेना नाम के संगठन ने वहां पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों के बायकाट की अपील करते हुए पोस्टर लगाकर कश्मीरियों को शहर छोड़ देने की धमकी और चेतावनी दी थी जबकि राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में स्थानीय युवाओं ने वहां प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति पर अध्ययन करने आए युवाओं को न सिर्फ पत्थरबाज कहा बल्कि उनसे बदसलूकी भी की। राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में होने वाली ऐसी घटनाएं सेना के संयम और दृढ़ प्रयासों पर पानी फेरने का ही काम करेगी।

कश्मीर में तनावपूर्ण स्थितियों के बीच देश के कुछ हिस्सों में अध्ययन के लिए आए कश्मीरी युवाओं का बायकाट और उनसे बदसलूकी की ये घटनाएं देश की एकता और अखंड़ता के लिए भी घातक साबित होगी। इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया था कि ‘कश्मीरियों के साथ बदसलूकी के मामले सामने आए हैं। मैंने सभी मुख्यमंत्रियों से उनकी सुरक्षा के लिए अपील की है। कश्मीरी युवाओं को अपना मानें और उनके साथ अच्छा बर्ताव करें। दुर्भाग्य से गृहमंत्री की इस अपील का भी हिंसकों पर कोई असर नही पड़ा। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से कश्मीरी छात्रों को लेकर माहौल जस का तस दिखाई दे रहा है। असल में कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा का जिम्मा भी हमारा है। अगर हम कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते है तो फिर क्यों कश्मीरी छात्रों को बाहरी नागरिक मानकर उनके पर हिंसक हमले और दुर्रव्यवार कर रहे है। असल में हमें थोथे राष्ट्रवाद से परे कश्मीरी युवाओं पर हमले करने की बजाय उनका दिल जीतने की कोशिश करना चाहिए,उन्हें सुरक्षित माहौल देने का प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही देश के कुछ शहरों में कश्मीरी छात्रों के खिलाफ बन रहे उग्र माहौल पर तत्काल रोक लगाने की पहल करना चाहिए। अच्छी बात है कि गृह मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी राज्यों से कहा है कि वे देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले कश्मीरियों की हिफाजत करें। सनद रहे कि कश्मीरी युवाओं के साथ ऐसी घटनाएं पिछले एक-दो वर्षों से लगातार देखने-सुनने को मिल रही हैं। ये घटनाएं उस स्वाभाविक मानसिकता की वाहक हैं जो कश्मीर की घटनाओं को देखकर प्रतिक्रियास्वरूप निर्मित हो रही हैं। हमें घाटी से बाहर निकलने वाले कश्मीरी युवाओं की परेशानियों और मजबूरियों को समझना होगा। गर हम घाटी से बाहर पढऩे आए युवाओं से ये अपेक्षा करे कि वो भी यहां के आम युवाओं के साथ पत्थरबाज कश्मीरी युवाओं का विरोध करे तो व्यवारिकता के धरातल पर यह संभव नही है। कश्मीर घाटी से बाहर पढऩे आए युवा पत्थरबाज कश्मीरी युवाओं का विरोध इसलिए नहीं कर सकते, क्योंकि इससे उनके परिवार के लोगों को खतरा पैदा हो सकता है। इसके साथ ही उनके घाटी में वापस लौटने पर स्वंय पर भी हमले हो सकते है। कश्मीरी युवाओं पर गुस्सा निकालने वाले शेष भारत के बिना वजह हुड़दंग मचाने वाले लोगों को यह सोचना होगा कि यहां पढ़ रहे युवक कम से कम उस पत्थरबाजी में तो शामिल नहीं है। वैसे भी वे पढ़-लिखकर राष्ट्र के शांतिपूर्ण जीवन का हिस्सा बनेगे न कि पत्थरबाजों के सहयोगी। वे खुद शांति चाहते है, इसिलिए  घाटी से बाहर निकल कर योग्य इंसान बनने की पहल कर रहे है। अगर राजस्थान और यूपी के युवा घाटी से बाहर आए कश्मीरी युवाओं से अच्छा बरताव करते हैं तो वे परोक्ष रूप से भारत के बारे में सकारात्मक संदेश लेकर ही जाएंगे। देश की और जगहों से पढ़कर, अच्छा करियर बनाकर कश्मीर लौटने वाले नौजवान ही वहां भारत की अच्छाइयों के पैरोकार बनेंगे। इसलिए उन्हें अपने से अलग बिल्कुल न समझें। केंद्र सरकार इसी उद्देश्य से उन छात्रों को छात्रवृत्ति देकर घाटी के बाहर पढऩे का अवसर दे रही है।

बहरहाल इस स्थिति के लिए राष्ट्रवाद का वह आख्यान भी कम दोषी नहीं है, जो खास किस्म के प्रतीकवाद से असहमत लोगों को धड़ल्ले से राष्ट्रद्रोही करार देता है। सोशल मीडिया के फैलाव के साथ ही समाज में इस तरह की प्रवृत्ति कुछ ज्यादा ही बढ़ी है। देश के किसी भी हिस्से में घटने वाली घटना को कुछ लोग सीधे खुद से जोड़ कर देखने लगते हैं। इस प्रवृत्ति को भड़काने मीडिया भी कम रोल अदा नही करता है। मीडिय़ा पहले भड़काऊ वीडियों दिखाकर कश्मीरी युवाओं के प्रति नफरत पैदा करता है फिर उग्र देशभक्ति जगाता है। इस संबंध में उत्तेजक और भड़काऊ टिप्पणियां की जाती हैं। फौजियों के साथ होने वाले किसी भी दुव्र्यवहार का सच्चा-झूठा वीडियों पूरे देश के स्वाभिमान के साथ जोड़ दिया जाता है। देखते ही देखते ये भड़काऊ टिप्पणियां और घृणा मीडिय़ा माध्यमों और डिजिटल दुनिया से बाहर निकलकर घरों, मोहल्लों व शहरों में फैल जाती हैं। जम्मू-कश्मीर को लेकर अभी इसी तरह का दुष्प्रचार कुछ ज्यादा ही चल रहा है। आमजन के बीच इस तरह का भ्रम फैलाने का घ्रणित काम उग्र राष्ट्रवाद की वकालत करने वाले कर रहे है। वे इन दिनों उग्र माहौल बनाने में कुछ ज्यादा ही सक्रिय हैं। बीते कुछ समय से इन लोगों ने भ्रम फैलाने के लिए अभियान सा चला रखा है। इसके माध्यम से यह दुष्प्रचार किया जाता है कि कश्मीर के तमाम नौजवान अलगाववादियों से निर्देश लेकर ही सेना पर पत्थर चलाते हैं। उग्र राष्ट्रवाद के पक्षधरों द्वारा इस बात को कुछ इस तरह से पेश किया जा रहा है कि जैसे सभी कश्मीरी युवाओं ने मिलकर भारतीय राष्ट्र-राज्य के खिलाफ कोई अभियान छेड़ दिया है। इसमें कोई दोराय नही है कि कुछ ऐसी अफवाहों के असर में आकर ही देश के कुछ हिस्सों में कश्मीरी छात्रों पर हमले हो रहे हैं। सच पूछा जाए तो कश्मीरी युवाओं पर हमले जारी रहना देश के लिए गंभीर और चिंताजनक मसला है। यह एक सभ्य समाज के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है। अलगाववादी भी तो यही चाहते है कि कश्मीरी युवाओं पर घाटी के बाहर हमले हो। घाटी में विशवमन करने वाले ये अलगाववादी युवाओं पर होने वाले हमलों को अपना राजनीतिक हथियार बना कर यह साबित करने की कोशिश में है कि घाटी के बाहर कश्मीरी युवाओं के साथ अच्छा व्यवहार नही होता है। वे इस तरह की घटनाओं के माध्यम से भ्रम फैला कर अपने नापाक मकसद में कामयाब होना चाहते है। अलगाववादी इस तरह की घटनाओं से अपनी उस मंशा को भी सच साबित करना चाहते है कि कश्मीरियों के हित शेष भारत से अलग हैं और उनके लिए इस देश में कहीं कोई संवेदना नहीं है। वैसे तो वे अपनी इस कोशिश में आज तक नाकाम होते रहे हैं, लेकिन जो काम अलगाववादी पिछले सत्तर सालों से नहीं कर पाए है वह अब देश के उग्र राष्ट्रवादी कर रहे है। इन उग्र राष्ट्र भक्तों का ये मानना है कि कश्मीरी छात्रों और फेरी वालों को अपनी नफरत का शिकार बनाकर वे देश की सेवा कर रहे हैं। दरअसल वे ऐसा करके मानवता के खिलाफ काम कर रहे है। जाने अनजाने भूल कर रहे है। इतिहास साक्षी है कि आज तक हिंसा से किसी का भी भला नही हुआ है। असल में इस समय  उग्र राष्ट्र भक्तों को कश्मीर के नौजवानों में यह अहसास पैदा करने की जरूरत है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है, लिहाजा वे किसी के बहकावे में न आएं। यह तभी हो पाएगा, जब उन्हें कश्मीर से बाहर पूरे देश के लोगों का प्यार और सहयोग मिले। जो लोग राष्ट्रवाद के नाम पर कश्मीरियों पर हमले कर रहे हैं, वास्तव में वे राष्ट्र की जड़ों को खोखला करने का ही काम कर रहे है। जब हम अपने ही कश्मीरी युवाओं के साथ पक्षपात कर उन पर हमला करते है तो इस बात को जरा भी जैहन में नही रखते है कि भारत के निर्माण में कश्मीर युवाओं का भी खासा योगदान है। बेवजह की देशभक्ति दिखाने वाले उग्रवादियों का फर्ज बनता है कि वे कश्मीरी युवाओं पर हमले की बजाय अपना दिल बड़ा करें और उनका दिल जीतें। दरअसल कश्मीरी युवाओं पर होने वाले ये हमले हमारे तंत्र की नाकामयाबी का भी एक हिस्सा है। एक तरह से यह केन्द्र सरकार और खासकर गृह मंत्री की कमजोरी है। वह ऐसी घटनाओं को रोक पाने में विफल है। कहीं न कहीं ये घटनाएं सरकार के एजेंडे में शामिल दिखाई देती है। मगर यह दु:ख की बात है कि कई कश्मीरी छात्र अपना अध्ययन छोड़कर कश्मीर लौट रहे हैं जो भविष्य में देश के लिए ही हानि कारक साबित होगा। अब हमें इस तरह की घटनाओं पर दोगली नीतियों से ऊपर उठ कर वक्त रहते हुए ईमानदारी से अंकुश लगाने की पहल करना चाहिए। वरना चिडिय़ा चुग गई खेत से कुछ हासिल होने वाला नही है।

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sajnay-rokde1परिचय – :

संजय रोकड़े

पत्रकार ,लेखक व् सामाजिक चिन्तक

संपर्क – :
09827277518 , 103, देवेन्द्र नगर अन्नपुर्णा रोड़ इंदौर

लेखक पत्रकारिता जगत से सरोकार रखने वाली पत्रिका मीडिय़ा रिलेशन का संपादन करते है और सम-सामयिक मुद्दों पर कलम भी चलाते है।

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his  own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

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