कवियों ने काबिलियत से तालिया बटोरी

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आई एन वी सी,आई एन वी सी,
हरियाणा
हरियाणा के जिला कैथल में आयोजित उत्तर-पश्चित क्षेत्रीय दो दिवसीय राज्य स्तरीय किसान मेले की सांस्कृतिक संध्या में आयोजित बहुरंगी कवि सम्मलेन में आमंत्रित जाने माने कवियों ने अपनी हांस्य व्यंग्य और मानवीय संवेदनाओं के तार छेड़ती रचनाओं ने श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी। इन कवियों में दिनेश रघुवंशी, डा. अन्ना दहलवी, महेंद्र अजनवी, वेद प्रकाश वेद, सत्यदेव हरियाणवी, डा. अशोक बत्रा एवं बागी चाचा शामिल थे। इन कवियों एवं कवयित्री द्वारा चुटीले अंदाज में सुनाई गई रचनाओं व हास्य रस की बातों ने दर्शकों को अपने साथ बांधे रखा। लालकिले की प्राचीर से पिछले दो दशकों से अपनी आवाज के जादू से खासोआम को मुतासिर करने वाले दिनेश रघुवंशी की रचनाओं ने श्रोताओं को जीवन के शाश्वत सत्य से रूबरू करवाया। डा. अशोक बत्रा से शुरू हुआ कवि सम्मेलन महेंद्र अजनवी की रचनाओं के साथ अपने मुकाम तक पहुंचा। इस दौरान इन कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं की शानदार प्रस्तुति से पूरा कवि सम्मेलन लूट लिया। डा. अशोक बत्रा की रचना पत्नी उपहार बिन, प्रिय जन प्यार बिन तथा कन्या भू्रण हत्या पर आधारित अन्य रचना ने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। दिल्ली के बहुचर्चित बाटला हाउस मुठभेड़ में शहादत पाने वाले पुलिस अधिकारी के बारे में भी रचना प्रस्तुत की। प्रसिद्ध कवि बागी चाचा ने कंजूसी, चुनाव तथा पति-पत्नी के रिश्तों पर रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने आज के समाज में लड़की की जगह लड़के को प्राथमिकता की सोच पर कुछ इस तरह व्यंग्य किया।

बेटा पैदा होने पर पेड़ लगाया,
पेड़ ने अंतिम फर्ज निभाया।
बेटा परदेश चला गया,
पिता के अंतिम समय पर भी न आया।

अन्य प्रसिद्ध कवि सत्यदेव हरियाणवी ने जवानी व बुढापे के बारे में इस प्रकार व्यंग्य किया।

गुजरे हैं जिंदगी में ऐसे मुकाम से ,
महोब्बत हो गई नजले जुकाम से।

उन्होंनें इस रचना के माध्यम से जीवन की दो अवस्थाओं में चुटकीले अंदाज में अंतर स्पष्ट किया। दिनेश रघुवंशी ने कवि सम्मेलन का शानदार मंच संचालन करते हुए शरीदी दिवस के अवसर पर शहीदों को समर्पित रचना के माध्यम से माहौल में देश भक्ति की भावना को जागृत किया। उन्होंने देश की एकता एवं अखंडता तथा स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की बलि देने वाले वीर जवानों के बारे में चंद लाईने पेश करते हुए कहा कि वो जीवन धन्य होते है, जो वतन के काम आते हैं।

प्रसिद्ध कवि महेंद्र अजनवी ने भूत-प्रेत एवं अंधविश्वास पर भूत के बच्चे नाम रचना के माध्यम से व्यंग्य करते हुए श्रोताओं को खूब हंसाया। इसके साथ-साथ उन्होंने घोटालों व आतंकवाद पर भी व्यंग्य किए। उन्होंने गत दिनों दिल्ली में हुए गैंग रेप पर व्यंग्य करते हुए कुछ इस प्रकार बयां किया।
दिल्ली है दिलवालों की, मैं शर्मिंदा हॅं कि दरिंदे मुझमें रहते हैं।

गरूर टूट गया कि देश की राजधानी भी,
चाहती हूं दामिनी अब मेरे दामन में न आना।

हिंदी एवं ऊर्दू भाषा की मशहूर कवयित्री डा. अन्ना दहलिया ने देश भक्ति, सामाजिक सौहार्द तथा श्रंगार रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने देश भक्ति की भावना को कुछ यूं बयां किया।

तन है वतन की मिट्टी, मन गंगा का पानी।
जात धर्म मत पूछो, मैं लड़की हिन्दुस्तानी।।

इस रचना के माध्यम से उन्होंने देश के विभिन्न प्रांतों की समृद्ध संस्कृति तथा सम्पन्नता का उल्लेख किया। अन्य कवि वेद प्रकाश वेद ने मंहगाई की मार, मिलावट, संस्कारों में गिरावट आदि विषयों पर रचनाएं प्रस्तुत करके श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। उन्होंने मिलावट पर व्यंग्य करते हुए कुछ इस प्रकार बयां किया।

गोंद है चिपकता नहीं है,
बाजार में असली दवाई नही है।
खाना देखकर मुंह में पानी नहीं, झाग आते हैं।
भगवान की जोत ने चर्बी का घी चढाते हैं।।

कलम के यह सिपाही अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से न केवल समाज में फैली बुराईयों को समाप्त करने का संदेश देते हैं, बल्कि जनहित में कड़वी से कड़वी बात भी अपने खास अंदाज में कहकर जनमानस को जगाने का दम भी रखते हैं।

 

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