कवियत्री डॉ. रेनूचन्द्रा की कविता ” बेटियाँ “

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रॅंग भरी तूल जैसी होती हैं

बेटिंयॉं फूल जैसी होती हैं

जिन दिनों आंख में खटकती हैं
उन दिनों शूल जैसी होती हैं

मॉंगता कौन है इन्हें ये तो
राम की भूल जैसी होती हैं

ब्याज हैं-अश्रु, हास और यादें
बेटियॉं मूल जैसी होती हैं

शांत, शीतल, सचेष्ट, मर्यादित
झील के कूल जैसी होती है

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dr.renu chandra* डॉ. रेनूचन्द्रा

जीवन परिचय

नाम : डॉ. रेनूचन्द्रा

जन्मतिथि : 13 मार्च 1955

शिक्षा : एम.बी.बी.एस

व्यवसाय : महिलाचिकित्सक

प्रकाशन : महादेवीकाव्य काअभिनय मूल्यांकन, हिन्दीग़ज़ल पंचशती-2 तथाग़ज़लदुष्यन्त के बादमेंसाझीदारी, अनेक पत्र पत्रिकाओ मे प्रकाशित, यथा-सारिका, कादम्बनी, नचनीत, बाल भारती, शोध धारा तथा दैनिक आचरण ग्वालियर आदि

संपादन : नवअंकुर प्रभार भारत (मासिक)  लेखन विधाए : काव्य, लघुकथा, पुस्तक-समीक्षा, निबन्ध आदि

प्रमुख दायित्व : अध्यक्ष लोक मंगल उरई, संयोजिका महिला प्रकोष्ठ उ.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन,
संयोजक- उ.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन उरई अधिवेशन, सदस्य-लेखिका संघ नई दिल्ली

सम्मान एवं पुरस्कार: इटावा हिन्दी सेवा निधि, इटावा द्वारा” नन्द किशोर सक्सेना शिब्बन बाबू एडवोकेट स्मृति अलकंरण“ से सम्मानित, ही रोजक्लब इलाहाबाद, उ.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन, अ.भा. पुस्तक प्रचार समिति इंदौर, बी.एच.ई.एल. सांस्कृतिक योगदान हेतु सम्मानित एवं प्रशंसित, जालौन जनपद की असाधारण युवती पुरस्कार से जेसीज द्वारा पुरस्कृत, जालौन जनप में उत्कृष्ट प्रसवोŸार चिकित्सा सेवा के लिए प्रदेश शासन द्वारा सम्मानित
संगोष्ठियों में सहभागिता: राष्ट्रीय स्तर की अनेक संगोष्ठिया में सहभगिताण्वं शोधपत्र वाचन

संपर्क : चन्द्रान र्सिंगहोम, पटेल नगर, उरई- 285001(उ.प्र.)दूरभाष 05162-252701

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