कविता संग्रह ‘मौन की अनुभूतियां’ का विमोचन

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ईसी. रोड़ स्थित होटल रिजेंट में ‘‘मौन की अनुभूतियां’’ कविता संग्रह का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती मधु चौहान (निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष) एवं विशिष्ठ अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार रतनसिंह जौनसारी, नेमचंद जैन, श्रीमती सावित्री काला व श्रीमती वीणा पाणी जोशी, साथ में कविता संग्रह की लेखक श्रीमती सुनीता चौहान।
ईसी. रोड़ स्थित होटल रिजेंट में ‘‘मौन की अनुभूतियां’’ कविता संग्रह का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती मधु चौहान (निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष) एवं विशिष्ठ अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार रतनसिंह जौनसारी, नेमचंद जैन, श्रीमती सावित्री काला व श्रीमती वीणा पाणी जोशी, साथ में कविता संग्रह की लेखक श्रीमती सुनीता चौहान।
ईसी. रोड़ स्थित होटल रिजेंट में ‘‘मौन की अनुभूतियां’’ कविता संग्रह का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती मधु चौहान (निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष) एवं विशिष्ठ अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार रतनसिंह जौनसारी, नेमचंद जैन, श्रीमती सावित्री काला व श्रीमती वीणा पाणी जोशी, साथ में कविता संग्रह की लेखक श्रीमती सुनीता चौहान।

आई एन वी सी,

देहरादून,
ईसी. रोड़ स्थित होटल रिजेंट में ‘‘मौन की अनुभूतियां’’ कविता संग्रह का विमोचन मुख्य अतिथि श्रीमती मधु चौहान (निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष) एवं विशिष्ठ अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार रतनसिंह जौनसारी, नेमचंद जैन, श्रीमती सावित्री काला व श्रीमती वीणा पाणी जोशी द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती मधु चौहान ने व्यक्त करते हुए कहा कि यह कविता संग्रह नारी मन की संवेदना को दर्शाने में सफल रहा है। प्रकृतिक के हर पहलू को कविता संग्रह में दर्शाया गया है। आने वाली पीढ़ी को इस साहित्य से प्रेरणा मिलेगी। साहित्य ही समाज का दर्पण होता है। उन्होंने कहा कि सुनीता चौहान का यह प्रयास सराहनीय है। इसके लिए बधाई है।
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं विशिष्ट अतिथि श्री रतन सिंह जौनसारी ने कहा कि काव्य कृति ‘‘मौन की अनुभूतियों’ के लिए श्रीमती चौहान साधुवाद की पात्र है। उन्होंने कहा कि आज जहां जौनसार क्षेत्र में साहित्यकारों का सन्नाटा सा है, वहां पर श्रीमती चौहान भविष्य के लिए आशा की किरण है। उन्होंने कहा कि आज हमारी युवा पीढ़ी साहित्य को कैरियर के तौर पर नही अपना रही है, जोकि गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि कोई भी साधना तभी फलीभूत होती है, उसके लिए नियमित अभ्यास किया जाय। उन्होंने कहा कि आज भाषाएं मर रही है, विशेषकर क्षेत्रीय बोली। उन्होंने कहा कि आज हम सभी को प्रयास करना होगा कि हम अपनी बोली भाषा को बचाए रखे, इसके लिए साहित्य, कला और संस्कृति को प्रोत्साहित किया जाना होगा। उन्होने कहा कि जौनसारी साहित्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से जौनसारी भाषा परिषद का गठन किया गया है। उन्होंने जौनसारी साहित्य को आगे बढ़ाने में सभी से अपना योगदान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि सुनीता चौहान एक मौन साधिका है। प्रचार-प्रसार से दूर अपने अभीष्ट में निमग्न केवल और केवल सृजनशीलता द्वारा कल्पनाओं में विचरण करते हुए उन्होंने स्वयं को व्यक्त किया है। उनकी कविताएं जीवन और जगत के व्यवहारिक बिम्ब प्रतिबिम्ब को उदघाटित कर स्व-आत्मानुभूति को नये आयाम देते हुए आगे बढ़ती है। उन्होंने कहा कि इस काव्य को पढ़कर पाठक निश्चित रूप से आनन्दानुभूति होगा।
श्रीमती सावित्री काला ने कहा कि श्रीमती चौहान द्वारा एक उत्कृष्ट काव्य संग्रह तैयार किया गया है। इस काव्य संग्रह के माध्यम से लेखिका ने नारी जीवन का जो वर्णन किया है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि श्रीमती चौहान ने जो रचना तैयार की है, वह काफी उपयोगी होगा।
श्रीमती वीणा पाणी जोशी ने कहा कि आज हमारे समाज में महिलाओं ने काफी प्रगति की है। साहित्य के क्षेत्र में अनेक महिलाओं ने शीर्ष पर स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड से भी महिला साहित्यकारों ने अपना अलग स्थान स्थापित किया है। इसी कड़ी में आज सुनीता चौहान ने काविता संग्रह के माध्यम से जो पहल की है, उसके लिए उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि कविता संग्रह ‘मौन की अनूभूतियां’ हम सभी के जीवन से कही न कही जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कहा कि श्रीमती चौहान ने अच्छा प्रयास है, जिसके लिए वे बधाई की पात्र है।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री नेमचंद जैन ने कहा कि श्रीमती चौहान द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इससे नवोदित साहित्यकारों को प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कविता संग्रह की भी प्रशंसा की।
कविता संग्रह की लेखिका श्रीमती सुनीता चौहान ने कार्यक्रम में आये सभी महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा कि यह कविता संग्रह ‘‘मौन की अनुभूतियां’’ की प्रेरणा उन्हें साहित्यकार रतन सिंह जौनसारी से मिली है। उन्होंने कहा कि इस कविता संग्रह के माध्यम से उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि कैसे आज के भौतिकतावादी दौड़ में इंसान हताशा, निराशा, लोभ, मोह और लालच के गर्त में फंसता चला जा रहा है और इनमें संतोष ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वह तोष की तलाश नही कर पा रहा है। उसकी आत्मिक शान्ति तिरोहित हो रही है, उसमें क्रूरता, क्षोभ के भाव विकसित हो रहे है और इंसानियत जैसे अंत की पराकाष्ठा पर है। ऐसे में अगर हम मौन का सामिप्य पा लें तो हमें खुद को समझने में मदद मिलेगी। आज मानव जो दिग्भ्रमित हो रहा है, उसको मौन नई राह देगा। इस अवसर पर कार्यक्रम को वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत, साहित्यकार पवन शर्मा द्वारा भी विचार व्यक्त किये गये। कविता संग्रह का प्रकाशन गीतांजली प्रकाशन, देहरादून द्वारा किया गया है। कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी योगेश अग्रवाल द्वारा किया गया।  कार्यक्रम में श्री ए.एस.चौहान, सारस्वत सेमवाल, बलबीर चौहान, इन्द्र सिंह, माया सिंह, के.एस.चौहान, सुमित्रा चौहान, सुरेश भट्ट, मनमोहन चौहान, बारू चौहान आदि उपस्थित थे।

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