कल्पना कुमारी: एक बिहारी: सब पर भारी

0
24


– निर्मल रानी – 

हमारे देश में महिलाओं को लेकर समाज में पाया जाने वाला दोहरापन किसी से छुपा नहीं है। यह वही भारत महान है जहां कन्याओं की पूजा का प्रदर्शन किया जाता है,अनेक देवियों की पूजा होती है,उनके नाम पर कई व्रत रखे जाते हैं और अक्सर लोग ‘जय माता दी’ के उद्घोष करते हुए भी सुनाई देते हैं। और इसी समाज में मीडिया द्वारा कभी देश की राजधानी दिल्ली को ‘रेप कैपिटल’ का नाम दिया जाता है कभी सत्ता हासिल करने के लिए ‘बहुत हुआ नारी पर वार’ जैसे नारों का सहारा लिया जाता है। हमारे देश में कन्या भू्रण हत्या का पैमाना इस कद्र ऊंचा हो गया कि पुरुष व स्त्री के अनुपात में एक बड़ा अंतर पैदा हो गया। परिणामस्वरूप सरकार को कन्या भ्रूण संरक्षण हेतु कानून बनाना पड़ा और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसा नारा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। परंतु निश्चित रूप से यह भारत का सबल महिला समाज ही है जिसने अपनी अनदेखी,उपेक्षा तथा अपने साथ होने वाले सौतेलपन सरीखे व्यवहार के बावजूद समय-समय पर कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे पूरे देश की महिलाओं को प्रेरणा मिली तथा आत्मबल हासिल हुआ।

देश का बिहार राज्य वैसे भी प्रतिभावान लोगों के राज्य के रूप में प्रसिद्ध है। नालंदा विश्वविद्यालय के शिक्षणकाल से लेकर अब तक बिहार देश को निरंतर एक से बढक़र एक प्रतिभाशाली युवा देता आ रहा है। प्राय: देश के संघ लोक सेवा आयोग के चयनित उम्मीदवारों में सर्वाधिक नाम बिहार राज्य के युवाओं के ही होते रहे हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर पर भी देश की छात्राओं द्वारा  छात्रों को पीछे छोडक़र वरीयता सूची में अपना नाम सर्वोपरि रखने का सिलसिला जारी है। राज्यस्तरीय बोर्ड परीक्षाओं से लेकर सीबीएसई की परीक्षाओं के परिणामों तक में लड़कियां ही बाज़ी मारते दिखाई देती हैं। गौरतलब है कि इन प्रतिभावान लड़कियों की इतनी ऊंची परवाज़ उस समय है जबकि इनके पर या तो बंधे हुए हैं या काट दिए गए हैं। कल्पना कीजिए कि यदि देश की लड़कियों को लडक़ों की ही तरह प्रोत्साहन मिलता,उनमें सुरक्षा की शत-प्रतिशत भावना होती,घर-बाहर किसी तरह का डर न होता तथा परिवार में अपने भाईयों की ही तरह उन्हें भी पालन-पोषण व पढ़ाई-लिखाई का समान अवसर मिलता तो निश्चित रूप से भारतीय महिलाएं केवल पढ़ाई-लिखाई ही नहीं बल्कि खेती-बाड़ी से लेकर विज्ञान,चिकित्सा,शिक्षा व सैन्य आदि सभी क्षेत्रों में पुरुषों से कहीं आगे होतीं।

लड़कियों, खासतौर पर बिहार की एक लडक़ी कल्पना कुमारी ने इस बार वह काम कर दिखाया है जो संभवत: अब तक देश के किसी छात्र व छात्रा द्वारा नहीं किया गया। अभी पिछले ही दिनों नीट परीक्षा के परिणाम घोषित हुए थे। इसमें बिहार की कल्पना कुमारी ने शीर्ष स्थान हासिल किया व नीट की टॉपर बनने का गौरव हासिल किया। नीट परीक्षा के परिणाम घोषित होने के तीन दिन बाद ही बिहार की इंटरमीडियट  बोर्ड की परीक्षाओं का परिणाम भी घोषित हुआ। इसमें भी इसी नीट टॉपर कल्पना कुमारी ने ही बाज़ी मारी और विज्ञान की इस होनहार छात्रा कल्पना ने वाणिज्य की छात्रा निधि सिन्हा के साथ बराबर के अंक हासिल कर संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान हासिल किया। बिहार के शिक्षा मंत्रालय के अनुसार 2018 के इंटरमीडियट परिक्षा परिणामों में विज्ञान,कला तथा वाणिज्य तीनों ही संकायों में छात्राएं ही प्रथम रहीं। इस प्रकार कल्पना कुमारी की गिनती देश की ऐसी विलक्षण प्रतिभा रखने वाली छात्राओं में हो चुकी है जिसने कि नीट जैसी राष्ट्रीय परीक्षा में तो सर्वोच्च स्थान हासिल किया ही साथ-साथ राज्य स्तरीय इंटरमीडियट बोर्ड परीक्षा में भी उसे टॉपर बनने का सौभाग्य हासिल हुआ।

ऐसी ही होनहार व प्रतिभावान छात्राओं की बदौलत आज बिहार राज्य का नाम आदर व सम्मान के साथ लिया जाता है। जहां राज्य का राजनैतिक परिदृश्य,राज्य के आए दिन बनते-बिगड़ते जायज़-नाजायज़ राजनैतिक समीकरण तथा भ्रष्टाचार में डूबे राजनेता प्रदेश के नाम को कलंकित करने से नहीं चूकते वहीं राज्य के होनहार छात्र-छात्राओं ने तथा छुपी हुई प्रतिभाओं ने प्रदेश का सिर ऊंचा करने में कोई कसर उठा नहीं रखी है। आज प्रशासनिक सेवाओं से लेकर मीडिया के क्षेत्र तक में प्रदेश की प्रतिभाओं खासतौर पर राज्य की महिलाओं का बोलबाला है। देश की बीबीसीलंदन जैसा प्रतिष्ठित मीडिया हाऊस बिहारी प्रतिभाओं विशेषकर बिहारी महिलाओं से भरा पड़ा है। गरीबी व तंगदस्ती ने ज़रूर राज्य की कन्याओं की उड़ान को बाधित किया है। परंतु इसके बावजूद जब कभी भी कन्याओं को अवसर मिला है वे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने से पीछे नहीं हटीं। राज्य के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने अपने पिछले शासनकाल में कन्याओं को शिक्षा ग्रहण करने हेतु प्रोत्साहित करने की गरज़ से स्कूल जाने वाली छात्राओं को साईकल का उपहार दिया था। नि:संदेह आज बिहार की सडक़ों पर साईकल सवार छात्राओं की एक बड़ी संख्या स्कूल की ओर जाती दिखाई देती है। राज्य में ऐसी अनेक स्कूली छात्राएं देखी जा सकती हैं जो अपने घरों का काम कर मां-बाप के हाथ भी बंटाती हैं, स्कूल भी जाती हैं और घर वापस आकर परिवार के किसी छोटे-मोटे कारोबार अथवा दुकान आदि को संभालने का काम भी करती हैं।

कल्पना कुमारी जैसी अति प्रतिभावान छात्राएं जहां बिहार की लड़कियों के समक्ष एक बड़ा आदर्श प्रस्तुत कर रही हैं वहीं पुरुष प्रधान भारतीय समाज के लिए भी यह आंखें खोलने का एक सुनहरा अवसर है। अपने बाहुबल पर इतराने वाले तथा महिलाओं यहां तक कि अपने घर-परिवार की महिलाओं को भी हीन दृष्टि से देखने वाले लोगों को कल्पना जैसी छात्राओं से प्रेरणा हासिल करते हुए अपने घर-परिवार व समाज की कन्याओं को प्रत्येक उस क्षेत्र में अपना भाग्य आज़माने की खुली छूट देनी चाहिए जिस क्षेत्र में कोई भी कन्या दिलचस्पी रखती हो। लड़कियों को केवल घर-गृहस्थी संभालने,भोग की विषय वस्तु समझने,अबला,असहाय या अयोग्य समझने जैसी हिमाक़त नहीं करनी चाहिए। वैसे भी सती अनुसुईया,सावित्री,गार्गी,रजि़या सुल्तान, महारानी लक्ष्मी बाई,ऐनी बेसेंट, लक्ष्मी सहगल , जैसी अनेक महिलाओं ने अपनी योग्यता,प्रतिभा तथा क्षमता का लोहा मनवा कर हमेशा से यह प्रमाणित करने की कोशिश की है कि महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं आंका जाना चाहिए। राजनीति के क्षेत्र में भी इंदिरा गांधी ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को यह साबित कर दिखाया कि भारतीय महिला यदि करने पर आ जाए तो सब कुछ कर सकती है यहां तक कि किसी देश के दो टुकड़े भी कर देना भारतीय महिला के बाएं हाथ का खेल है।

निश्चित रूप से कल्पना कुमारी को भी अति प्रतिभावान भारतीय महिलाओं की उस श्रेणी में रखा जाना चाहिए जो योग्यता तथा प्रतिभा के क्षेत्र में पुरुषों से कहीं आगे निकलने का हौसला व दम-खम रखती हैं। देश में तमाम लोग बिहार को वहां के गंदे राजनैतिक चेहरे के रूप में देखा करते थे। आज भी बिहार को खैनी चबाने,पान की पीक जगह-जगह थूकने,खुले में शौच करने वालों में प्रथम श्रेणी पर होने जैसे लांछनों से जोडऩे की कोशिश की जाती है। ऐसे लोग बिहार को बदनाम करने हेतु यह कहावत बोलते सुनाई देते हैं कि-‘एक बिहारी सौ बीमारी’। परंतु कल्पना कुमारी जैसी प्रतिभावान छात्राएं इस कथन को ध्वस्त करने की क्षमता रखती हैं तथा बिहार से जुड़ी-‘एक बिहारी सब पर भारी’ जैसी कहावत को चरितार्थ करती हैं।

___________________

परिचय –:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क -:
Nirmal Rani  :Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar, Ambala City(Haryana)  Pin. 4003
Email :nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.



LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here