कलाम के नाम नया स्कूल

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भोपाल,
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक के बाद पंचायत, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अजय चन्द्राकर ने मीडिया प्रतिनिधियों को इन फैसलों की जानकारी दी। उनकी प्रेस वार्ता में सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क श्री गणेश शंकर मिश्रा भी उपस्थित थे। श्री चन्द्राकर ने बताया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आज केबिनेट में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर राज्य के स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता अभियान संचालित करने का निर्णय लिया गया। इसके अन्तर्गत राज्य के स्कूलों का अगले माह सितम्बर की 16 और 17 तारीख को मूल्यांकन विशेष ग्रामसभाओं में होगा।

श्री चन्द्राकर नेे बताया कि केबिनेट की बैठक में ऊर्जा दक्ष सड़क बत्ती और घरेलू लाईट में एल.ई.डी. लैम्पों के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा श्रेणी के लगभग 16 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को तीन नग एल.ई.डी. लैम्प निःशुल्क देने और लगभग 18 लाख ए.पी.एल श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को पांच नग एल.ई.डी. सशुल्क देने का भी निर्णय लिया गया। सभी उपभोक्ताओं को नौ वाट के एल.ई.डी. लैम्प दिए जाएंगे। इन लैम्पों के उपयोग से बी.पी.एल श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली की आवश्यकता हर महीने 29 यूनिट से घटकर केवल सात यूनिट रह जाएगी। इस प्रकार उन्हें 22 यूनिट बिजली की बचत होगी, जिसका उपयोग उपभोक्ता द्वारा अन्य कार्यों के लिए किया जा सकेगा। ए.पी.एल. श्रेणी के उपभोक्ताओं को पांच एल.ई.डी. बल्बों के उपयोग से हर साल लगभग 444 यूनिट बिजली की बचत होगी। वितरित किए जाने वाले एल.ई.डी. बल्बो की गारंटी तीन वर्ष की होगी। गारंटी अवधि में खराब हुए बल्बो को निःशुल्क तत्काल बदला जाएगा।

श्री चन्द्राकर ने बताया कि शासकीय कर्मचारियों की सेवा शर्तो, वेतन विसंगतियों, भर्ती, क्रमोन्नति और पदोन्नति प्रकरणों के युक्तियुक्तकरण सहित प्रशासनिक कार्यों में सुधार के लिए राज्य प्रशासनिक सुधार गठित करने का फैसला भी आज केबिनेट की बैठक में लिया गया। इसके अलावा बिलासपुर जिले के नसबंदी प्रकरणों की जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट की अनुशंसाओं का पालन करने और इन अनुशंसाओं के तहत दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर  स्वास्थ्य विभाग द्वारा कड़ी कार्रवाई करने, अमानक और विषाक्त औषधियों (सिप्रोसिन-500 और आईब्रुफेन-400) की निर्माता एवं विक्रेता कम्पनियों के खिलाफ विधि के अनुसार अभियोजन की कार्रवाई करने का भी निर्णय लिया गया। श्री चन्द्राकर ने बताया कि केबिनेट में प्रदेश की खेती-किसानी और बारिश की स्थिति की भी समीक्षा की गयी। अल्पवर्षा अथवा खण्ड वर्षा वाले इलाकों में किसानों को राहत पहुंचाने के हरसंभव उपाय किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को किसानों के लम्बित सिंचाई पंप कनेक्शनों के मामले तत्काल हल करने, बिजली की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा बिजली ट्रांसफार्मरों के बेहतर रख-रखाव आदि के बारे में आवश्यक निर्देश दिए। सिंचाई व्यवस्था आदि के बारे में भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए। श्री चन्द्राकर ने बताया कि राज्य में आज 26 अगस्त तक 731 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, जो पिछले साल का 90 प्रतिशत और विगत दस वर्षोें की औसत का 86 प्रतिशत है। चालू खरीफ मौसम में राज्य में 45 लाख 31 हजार हेक्टेयर में बोनी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 102 प्रतिशत है।

मंत्रि परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय इस प्रकार है –

  •     छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश 2015 (छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 (क्र. 1 सन् 1994) को और संशोधित करने हेतु अध्यादेश प्रारूप का अनुमोदन – प्रदेश में जिला पंचायतों का परिसीमन होने से अब 18 के स्थान पर 27 जिला पंचायतें हो गई हैं, जिससे जिला पंचायत क्षेत्रों का आकार छोटा हो गया है। कई जिला पंचायतों में 10 से 15 सदस्य हैं। वर्तमान परिवेश में सदस्यों की संख्या पर्याप्त नहीं होने से विद्यमान प्रचलित अधिनियम में बने प्रावधान के अनुसार स्थायी समितियों के गठन की कार्रवाई नहीं हो पा रही है। अतः जिला पंचायतों के सदस्यों की संख्या को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 47 उप धारा (4) में प्रत्येक स्थायी समिति में पांच सदस्यों के स्थान पर तीन सदस्य रखने का प्रावधान करने हेतु अध्यादेश के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। वर्तमान में जनपद एवं जिला पंचायतों में पांच स्थायी समितियां होती है – सामान्य प्रशासन समिति, कृषि समिति, शिक्षा समिति, संचार एवं संकर्म समिति तथा सहकारिता और उद्योग समिति।
  •     डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जाएगा। इसके अंतर्गत शिक्षा गुणवत्ता में वृद्धि के प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए राज्य शासन द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए स्कूलों का मूल्यांकन ग्रामसभाओं द्वारा किया जाए। ग्रामसभाओं को मूल्यांकन के बारे में सुझाव एवं सहयोग देने हेतु स्कूल शिक्षा विभाग का एक अधिकारी नामांकित किया जाएगा। स्कूलों के मूल्यांकन के लिए विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन किया जाएगा। चूंकि एक ग्राम पंचायत में चार या पांच स्कूल हो सकते हैं, इसलिए प्रत्येक गांव के अंतर्गत आने वाली शालाओं के लिए दो अलग-अलग दिनों में ग्रामसभाएं की जाएगी। ग्रामसभाओं के आयोजन के लिए विभाग द्वारा राज्य स्तर पर मास्टर ट्रनर्स प्रशिक्षित किए जाएंगे। प्रशिक्षण के बाद उनके द्वारा नामित अधिकारी और ग्रामसभा/जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने की कार्रवाई की जाएगी। जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा अपने जिले के माननीय जनप्रतिनिधियों यथा -माननीय सांसद, विधायक, जिला/नगरीय निकाय के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष आदि के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय शाला ग्रेडिंग समिति होगी। यह समिति ग्रामसभा/नगरीय निकायों के द्वारा मूल्यांकित स्कूलों को चार प्रकार की ग्रेडिंग – ए/बी/सी/डी ग्रेडिंग की जाएगी। सी और डी ग्रेडिंग वाले स्कूलों का निरीक्षण माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्रीगण, माननीय सांसद एवं माननीय विधायकगण, जिला पंचायत /नगरीय निकायों के माननीय अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, जनपद पंचायतों के माननीय अध्यक्ष /उपाध्यक्ष एवं निगम मंडलों के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष द्वारा किया जाएगा। इसके साथ-साथ प्रदेश के मुख्य सचिव एवं समस्त सचिव तथा प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारी (डॉक्टर और शालेय शिक्षकों को छोड़कर) स्कूलों का निरीक्षण करेंगे। स्कूल निरीक्षण में कुलपति, अधिकारी एवं सेवानिवृत्त प्राचार्यों एवं व्याख्याता, प्रधानपाठक भी शामिल हो सकते हैं। प्रत्येक निरीक्षण /पर्यवेक्षण अधिकारी को एक प्राथमिक एवं एक उच्च प्राथमिक शाला के निरीक्षण का दायित्व सौंपा जाएगा। इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया गया है – सबसे पहले मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण 2 सितम्बर 2015 को होगा। नामित अधिकारियों का जिला एवं विकासखंड स्तरीय प्रशिक्षण 7 सितम्बर से 11 सितम्बर तक होगा। मूल्यांकन के लिए विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन 16 और 17 सितम्बर को होगा। ग्रेडिंग संकलन कार्य 26 सितम्बर तक होगा। स्कूल चिन्हांकन सूची एवं आवंटन 7 अक्टूबर तक होगा। स्कूलों का निरीक्षण (सुविधा अनुसार) प्रथम चरण में 8 अक्टूबर से 15 अक्टूबर 2015 और द्वितीय चरण में 11 जनवरी 18 जनवरी 2016 के बीच होगा।
  •     ऊर्जा दक्ष सड़क बत्ती एवं घरेलू लाइट में एलईडी लैम्प के उपयोग को प्रोत्साहन – निर्णय लिया गया कि घरेलू लाइट में एलईडी लैम्प के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में 16 लाख बीपीएल उपभोक्ताओं को 03 नग एलईडी लैम्प निःशुल्क और 18 लाख एपीएल उपभोक्ताओं को 05 नग एलईडी लैम्प सशुल्क दिया जाए। बीपीएल उपभोक्ताओं को निःशुल्क एलईडी लैम्प वितरण में होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति वर्तमान में लागू निःशुल्क विद्युत प्रदाय योजना में देय अनुदान में समायोजित की जाएगी। इस प्रक्रिया के लिए वित्त विभाग की सहमति से आवश्यक कार्रवाई करने तथा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने के लिए ऊर्जा विभाग को अधिकृत किया गया। उल्लेखनीय है कि माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा पांच जनवरी 2015 को ऊर्जा दक्ष सड़क बत्ती एवं घरेलू लाइट में एलईडी लैम्प के प्रयोग को प्रोत्साहन देने की राष्ट्रीय कार्यक्रम की घोषणा की गई है।
  •     स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए औषधि एवं उपकरण खरीदी हेतु गठित उच्च स्तरीय समिति के संबंध में – मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय लिया कि औषधियों और उपकरणों की खरीदी के लिए पूर्व में गठित समितियों को समाप्त करते हुए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन (सी.जी.एम.एस.सी.) की क्रय/निविदा समितियों में वित्त विभाग के अभिमत के अनुसार सदस्य नामांकित किए जाए। एक करोड़ रूपए से अधिक के फर्निचर और कार्यालय उपकरण खरीदी हेतु गठित समितियों में सीएसआईडीसी, एक करोड़ से अधिक सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों की खरीदी के लिए क्रय समितियों में चीप्स और पांच करोड़ रूपए से अधिक के निर्माण कार्यों की निविदा समितियों में लोक निर्माण विभाग (अधीक्षण अभियंता से अनिम्न) को प्रतिनिधित्व दिया जाए।
  •     डी.के.एस. भवन में सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल एवं विभागों की स्थापना का निर्णय लिया गया। इस भवन में सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल और चिकित्सा संबंधी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए सार्वजनिक -निजी भागीदारी (पी.पी.पी.) आधार पर क्रियान्वयन हेतु अथवा संचालन विभागीय रूप से किए जाने हेतु निर्णय लेने के लिए विभाग को अधिकृत करने का निर्णय लिया गया।
  •     छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन – राज्य शासन के घोषणा पत्र 2013 में राज्य में प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग गठित करने का उल्लेख है। घोषणा पत्र में अधिकारियों-कर्मचारियों की वेतन विसंगति/ भर्ती / क्रमोन्नति / पदोन्नति को युक्तियुक्त करने के लिए भी आयोग गठन का उल्लेख है। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रस्ताव के अनुसार मंत्रिपरिषद ने दोनों उद्देश्यों को समाहित करते हुए एक सदस्यीय आयोग गठन का प्रस्ताव लिया है, जिसका नाम प्रशासनिक सुधार आयोग रखा जाएगा। आयोग के अध्ययन बिन्दु, अध्यक्ष एवं अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों का निर्धारण सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा किया जाएगा।
  •     बिलासपुर नसबंदी प्रकरण में जांच आयोग का प्रतिवेदन – बिलासपुर जिले के सकरी में आठ नवम्बर 2014 और गौरेला, पेण्ड्रा एवं मरवाही में 10 नवम्बर 2014 को नसबंदी शिविर आयोजित किए गए थे। इन शिविरों में 13 महिलाओं की मृत्यु हो गई थी और अन्य अनेक महिलाओं का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती किया गया था। घटना की जांच के लिए राज्य शासन द्वारा एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग 13/11/2014 की अधिसूचना द्वारा गठित कर सात बिन्दु निर्धारित किए गए थे। शासन को 10 अगस्त 2015 को आयोग द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। आयोग के निष्कर्षों के अनुसार नसबंदी शिविरों में अमानक एवं विषाक्त औषधियों के वितरण तथा चिकित्सकीय लापरवाही के फलस्वरूप यह घटना हुई। मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया कि जांच प्रतिवेदन में घटना के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है, उनके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग द्वारा कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। नसबंदी शिविरों में वितरित की गई अमानक एवं विषाक्त औषधियों (सिप्रोसिन- 500 और आईब्रुफेन-400) की निर्माता एवं विक्रेता कम्पनियों के विरूद्ध विधि के अनुसार अभियोजन की कार्रवाई की जाए। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जांच प्रतिवेदन में सुझाए गए उपायों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा और  सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कार्रवाई की जाए।
  •     कपड़ा एवं शक्कर पर मूल्य संवर्धित कर (वैट) समाप्त कर प्रवेश कर लगाए जाने के संबंध में – छत्तीसगढ़ मूल्य संवर्धित कर अधिनियम के अंतर्गत कपड़ा एवं शक्कर पर एक प्रतिशत की छूट देने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही कपड़ा पर प्रवेश कर में दी गई छूट समाप्त कर कपड़ा और शक्कर पर एक प्रतिशत की दर से प्रवेश कर लगाने का निर्णय लिया गया।
  •     रायपुर में सेन्ट्रल ऑफ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नालाजी (सीआईपीईटी) का केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में देश के 22 स्थानों में यह केन्द्र संचालित है। यह भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग द्वारा सोसायटी के रूप में पंजीकृत है, जिसके द्वारा प्लास्टिक तथा उससे संबंधित उद्योगों को श्रमशक्ति प्रशिक्षण एवं तकनीकी सेवाएं उपलब्ध करायी जा रही है। इसमें हाई डियरिंग सेन्टर (इंजीनियरिंग शिक्षा) अन्य डियरिंग सेन्टर (डिप्लोमा तथा पीजी डिप्लोमा कोर्स) तथा वोकेशनल ट्रेनिंग सेन्टर ( चार से छह महीने के अल्पकालीन पाठ्यक्रम शामिल होंगे, इसके लिए उपकरण मशीनरी सीआईपीईटी अथवा सिपेट द्वारा  लगाया जाएगा, जबकि जमीन/भवन शासन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। वोकेशनल ट्रेनिंग कोर्स इसी वर्ष चालू किए जाएंगे, जबकि इंजीनियरिंग कॉलेज सीएसव्हीटीयू (स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय) से संबद्धता के बाद आगामी वर्ष चालू किया जाएगा। सीपेट द्वारा संचालित कोर्स रोजगार मूलक होने से छत्तीसगढ़ के युवा वर्ग को लाभ मिलेगा।  साथ ही यहां के प्लास्टिक उद्योग को भी इसका लाभ मिलेगा।

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