‘कन्या पूजन’ वाले देश में बलात्कार के ऐसे फरमान?

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indian rapist{ निर्मल रानी }
भारतवर्ष में नवरात्रि की समाप्ति पर कन्या पूजन किए जाने की परंपरा है। ज़ाहिर है ऐसा कर हमारा समाज यही संदेश देना चाहता है कि हमारे देश में कन्याओं को बेहद सम्मान दिया जाता है। कोई इन्हें देवी के नाम से पुकारता है तो कभी इन्हें जगतजननी का नाम दिया जाता है। परंतु क्या हमारे देश में हमारा समाज वास्तव में जैसा सार्वजनिक रूप से करता व कहता दिखाई देता है वैसा ही है या फिर ‘हाथी के दांत खाने के और दिखाने के कोई और हैं’?

हमारे देश में बलात्कार तथा महिला यौन उत्पीडऩ की अमानवीय कही जाने वाली विभिन्न प्रकार की इतनी घटनाएं होती रहती हैं कि अब भारतवर्ष इस विषय को लेकर पूरे विश्व में बदनामी का सबब बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भी भारत में होने वाली बलात्कार की घटनाओं की $खबरें प्रसारित होने लगी हैं। और हों भी क्यों ना? जब हमारे देश में अपने अनुयाईयों को धर्म का उपदेश देने वाला तथाकथित धर्मगुरु ही बलात्कार के आरोप में जेल की सला$खों के पीछे सड़ रहा हो? जब यहां का मंत्री अपनी पत्नी के सहयोग से किसी लडक़ी का बलात्कार करे, वह लडक़ी गर्भ धारण करे तथा बाद में उसे अपनी बदनामी का कारण समझते हुए उसकी हत्या कर दी जाए? जब भारतीय सेना,पुलिस यहां तक कि भारतीय न्याय व्यवस्था से जुड़े अत्यंत जि़म्मेदार लोग बलात्कार तथा महिला यौन उत्पीडऩ के मामले में दोषी पाए जाने लगें? यह सब ऐसी कड़वी सच्चाई है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता? निश्चित रूप से इस प्रकार की $खबरें व ऐसी घटनाएं महिलाओं के प्रति हीन भावना रखने वाले तथा महिलाओं को मात्र भोग की वस्तु समझने वाले, मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों के हौसले बढ़ाने का कारण बनती हैं।

हमारे देश में हज़ारों बार ऐसी $खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं कि अमुक पंचायत ने अथवा दबंगों या बाहुबलियों ने किसी महिला को निर्वस्त्र कर उसे नंगा घुमाया। ज़ाहिर है जिस महिला के साथ ऐसा किया गया होगा उसके बचपन में उसी महिला का इसी समाज ने कन्या पूजन भी किया होगा? तो क्या महिला विरोधी मानसिकता रखने वाले समाज की आंखों पर उस समय पर्दा पड़ जाता है जब वह महिलाओं को इस हद तक अपमानित करने पर उतारू हो जाते हैं? हद तो यह है कि ऐसा घिनौना व शैतानी काम करने वाले पुरुषों को उनके अपने घर की महिलाओं का भी समर्थन प्राप्त होता है। यदि ऐसी राक्षसी प्रवृति रखने वाले पुरुषों के परिवार की महिलाएं ही ऐसे पुरुषों का विरोध करें तो का$फी हद तक महिला यौन उत्पीडऩ की घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है। परंतु ऐसा नहीं होता बजाए इसके यह महिलाएं अपने परिवार के बलात्कारी या बलात्कार के षड्यंत्रकारी पुरुष की सरेआम पैरवी करते तथा उसे बेगुनाह साबित करने की कोशिश में लगी दिखाई देती हैं। ऐसे में यह कहने में क्या हर्ज है कि महिला स्वयं महिला की इज़्ज़त व आबरू की दुश्मन है?

गत् 7 जुलाई को झारखंड राज्य के बोकारो जि़ला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोमिया गांव के गुलगुलिया टोला में घटी इस ह्रदयविदारक घटना को ही देख लीजिए। इस गांव की 14 वर्षीय दलित लडक़ी के साथ उसी गांव के 24 वर्ष के एक युवक ने दिनदहाड़े पंचायत के मुखिया के $फरमान पर बलात्कार किया। अभियुक्त का आरोप है कि लडक़ी के भाई ने अभियुक्त की पत्नी से छेड़छाड़ की थी। अभियुक्त ने इस मामले की शिकायत पंचायत में की। और पंचायत के मुखिया भोपाल पासी ने यह $फैसला सुनाया कि छेड़छाड़ करने वाले लडक़े की 14 वर्षीय बहन के साथ बलात्कार कर उसके भाई के कर्मों का बदला उस मासूम बच्ची से लिया जाए। मुखिया द्वारा इस $फरमान के सुनाते ही वह युवक भरी पंचायत के सामने तथा गांव की महिलाओं,बुज़ुर्गों व बच्चोंं की मौजूदगी में उस 14 वर्षीय ‘देवी’ को पंचायत स्थल के पास ही की झाडिय़ों में ले गया तथा वहां उसने बलपूर्वक ‘देवी कन्या’ के साथ बलात्कार जैसा कुकर्म अंजाम दिया। यह और बात है कि बलात्कारी व ऐसा घिनौना $फरमान सुनाने वाले मुखिया तथा अभियुक्त की पत्नी से छेड़छाड़ करने के आरोपी सभी को गिर$फ्तार किया जा चुका है। परंतु अब तक इस राक्षसी घटना की गूंज पूरे विश्व में पहुंच चुकी है। दुनिया यह जान चुकी है कि महिलाओं व कन्याओं के प्रति हमारे समाज की सोच कैसी है।

जब कभी भी झारखंड जैसी उपरोक्त घटना या इस प्रकार की दूसरी घटनाओं के समाचार आते हैं तो ज़ेहन में यह बात ज़रूर पैदा होती है कि उस समय पंचायत में या ऐसे तु$गलकी $फरमान सुनाने वाली तु$गलकी अदालतों में मौजूद औरतें आ$िखर $खामोश खड़ी होकर राक्षसी प्रवृति के ऐसे बाहुबलियों के ऐसे नापाक मंसूबों को पूरा होते हुए $खुद कैसे देखती रहती हैं? वे ऐसे कृत्यों के $िखला$फ खुलकर उसी समय सामने क्यों नहीं आतीं? घटना की प्राथमिकी दर्ज होना,महिला आयोग का सक्रिय होना, अभियुक्तों का गिर$फ्तार होना, टीवी व समाचार पत्रों में ऐसी घटनाओं का ब्रेकिंग न्यूज़ बनना तथा आहत मन से हम जैसे $कलमकारों द्वारा घटना की निंदा करते हुए इस विषय पर अपनी सोच व $िफक्र के अनुसार क़लम चलाना आदि बातों से किसी भी यौन उत्पीडऩ की शिकार महिला की रत्ती भर भी भरपाई नहीं हो सकती। यहां तक कि दोषी व्यक्ति को फांसी के फंदे पर लटक जाने या उसे आजीवन जेल की सज़ा सुनाए जाने से भी नहीं। बल्कि $खबरें तो यह बताती हैं कि यौन उत्पीडऩ की शिकार महिला ऐसी घटना के बाद जब पुलिसिया त$फ्तीश अथवा अदालती ट्रायल के दौर से गुज़रती है या मीडिया का सामना करती है तो उससे किए जाने वाले सवाल तथा त$फ्तीश और अदालत में की जाने वाली जिरह उसे हर क्षण शर्मिंदा करती है। अभियुक्त के वकील अपने पेशे के अनुरूप अपने मुवक्किल अभियुक्त को ऐसे आरोपों से मुक्त कराने के उद्देश्य से पीडि़त लडक़ी से ऐसे तीखे व शर्मनाक सवाल पूछते हैं जिससे पीडि़त महिला अपने-आप को हर क्षण बेहद शर्मिंदा,बेइज़्ज़त व तकली$फज़दा महसूस करती है।

परंतु इसमें किया ही क्या जा सकता है? जहां हमारा क्रूर समाज बलात्कार व यौन उत्पीडऩ को मर्दों की शान समझता है वहीं हमारी अदालतें भी अभियुक्तों को अपने बचाव का पूरा मौ$का उपलब्ध कराती हैं। दिल्ली में हुए दामिनी बलात्कार कांड के बाद निश्चित रूप से अदालतों ने बलात्कारियों के विरुद्ध स$ख्ती दिखानी शुरु कर दी है। अब कहीं-कहीं ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई करने,$फास्ट ट्रैक कोर्ट में ऐसे मामले ले जाने तथा यथाशीघ कठोर से कठोर सज़ा दिए जाने की $खबरें सुनाई देने लगी हैं। परंतु अभी इस दिशा में और अधिक जागरूकता व सक्रियता दिखाने की ज़रूरत है। बोकारो जैसी घटना में बलात्कारी महज़ एक कर्ता है। जबकि इसमें असली अभियुक्त गांव का मुखिया भोपाल पासी है। ऐसे मुखियाओं को भी फांसी की सज़ा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में महिला विरोधी मानसिकता रखने वाला कोई दूसरा मुखिया ऐसे राक्षसी $फरमान सुनाने से बाज़ आए। इसके अतिरिक्त जहां कहीं भी कन्याओं अथवा महिलाओं के विरुद्ध इस प्रकार के $फैसले सुनाए जा रहे हों या ऐसी कार्रवाई किए जाने की संभावना हो वहां की स्थानीय महिलाओं को खुलकर ऐसे दुष्प्रयासों का विरोध करना चाहिए। यदि पंचायतों में इस प्रकार के तुग़लक़ी $फरमानों का विरोध स्थानीय महिलाओं द्वारा  किया जाने लगा तो भी किसी कन्या अथवा महिला की इज़्ज़त व आबरू को बचाने में का$फी सहायता मिलेगी। और कन्या पूजन वाले हमारे देश में बलात्कार के ऐसे $फरमानों में निश्चित रूप से का$फी कमी आने लगेगी।

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nirmal raniनिर्मल रानी

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer )
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134002 Haryana phone-09729229728
*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC

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