कन्याभ्रूण हत्या की रोकथाम जे लियें राजस्थान में उठे कदम

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आई.एन.वी.सी,,
जयपुर,,
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री भरतसिंह ने घटते लिंगानुपात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे गंभीर  सामाजिक समस्या बताया है। उन्होंने कहा कि बालिकाओं की संख्या  में यदि इसी दर से कमी होती रही तो सामाजिक रूप से असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाएगी।

श्री सिंह आज यहां झालाना स्थित चिकित्सा भवन में क्वक्वराज्य में गिरता लिंगानुपात ज् रणनीति और सुझावंं विषयक एक दिवसीय कार्यशाला में राज्य के जिला प्रमुखों को सबोधित कर रहे थे।

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने राज्य में गिरते बालिका लिंगानुपात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस समस्या के समाधान में समाज के सभी घटकों के सक्रिय सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात में कमी के मुद्दे पर समग्र रूप से विचार आवश्यक है। उन्होंने इसके लिए सोच में बदलाव, जनजागृति तथा सामाजिक चेतना जगाने पर बल दिया। श्री सिंह ने इस कार्य के लिए सामाजिक संगठनों, प्रबुद्ध नागरिकों तथा मीडिया के लोगों की रचनात्मक भागीदारी का आवांन भी किया।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कई प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात जैसी समस्या से निपटने तथा जागरूकता पैदा करने के लिए बैठकें जिला प्रमुखगण अपने जिलों में करें तथा इसके प्रति वातावरण निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दें।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हमने विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। परंतु कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां चिंतन की आवश्यकता है। उन्होंने बढ़ती जनसंया पर चिंता जताते हुए इसके नियंत्रण की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि राज्य की पंचायतराज संस्थाओं में भ्4 प्रतिशत भागीदारी महिला जनप्रतिनिधियों की है तथा राज्य के 18 जिला प्रमुख महिला जनप्रतिनिधि हैं। यह इस बात का परिचायक है कि महिलाओं में जागृति उत्पन्न हुई है।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री ए.ए. खान (दुरूüमियां) ने कहा कि हमारे देश में बालिकाओं की संया में निरंतर कमी दर्ज की गई है। जिसमें बाल लिंगानुपात बिगड़ता जा रहा है। यही गिरावट राजस्थान में भी देखी गई है। यह अत्यंत चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कन्या बचाओ अभियान के जरिए लिंग निधाüरण के विरुद्ध एवं जीवन में बेटी की महत्व बताते हुए जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही लिंग जांच में सक्षम तकनीक के दुरूपयोग को रोकने के लिए बनाए गए कानून क्वक्वगर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994ंं का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस अधिनियम के उल्लघंन के सबंध में शिकायतें प्राप्त करने हेतु विभाग में एक वेबसाईट भी शुरू की गई है।

उन्होंने सभी जिला प्रमुखों का आuान किया कि वे कन्या भू्रण हत्या की रोकथाम की दिशा में समाज को जागरूक बनाने में आगे आकर अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि लिंग निधाüरण रोकने तथा सबçंधत अधिनियम की जानकारी आमजन तक पहंुचाने एवं लिंग निधाüरण करवाने वाले आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही करवाने में सभी जनप्रतिनिधि, स्वयं सेवी संस्थाएं, समाज सेवी संगठन प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में जिला प्रमुखों के सहयोग से इस प्रकार की कार्यशालाओं के आयोजन करवाए जाएंगे, जिसमें जनप्रतिनिधियों के साथ सभी समाज के लोगों, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, मीडिया प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि सभी जिलों में जन जन तक कन्याभ्रूण हत्या की रोकथाम की सूचना पहुच  सके।

इस अवसर पर जिला प्रमुख बाड़मेर श्रीमती मदन कौन ने कहा कि लिंगानुपात जैसे संवदेनशील तथा महत्पूर्ण समस्या से निजात पाने के लिए हमें समाज की सोच को बदलना होगा। उन्होंने बालिकाओं को सुरक्षा प्रदान करने तथा दहेज प्रताडना जैसी सामाजिक बुराई से सती से निपटने की आवश्यकता जताई।

जिला प्रमुख नागौर श्रीमती बिंदु चौधरी ने सुझाव दिया कि गर्भ गिराने जैसे कृत्य की प्रभावी मॉनिटरिंग की जाए। जिला प्रमुख हनुमानगढ़ श्रीमती शोभा देवी ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों से निपटने में जन प्रतिनिधि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने बताया कि हनुमानगढ़ जिला प्रमुख कार्यालय द्वारा ऐसे सभी परिवारों को बधाई कार्ड भिजवाए जाते हैं जिनके घर में बालिका ने जन्म लिया है।

जिला प्रमुख सीकर श्रीमती रीटा सिंह ने इस कार्य को एक अभियान के रूप में लेने की आवश्यकता जताई तथा कहा कि स्वयं सेवी संस्थाएं इस कार्यक्रम को अच्छी तरह से कर सकती हैं। जिला प्रमुख कोटा श्री विद्याशंकर नंदवाना ने कहा कि लिंगानुपात जैसी समस्या पर अंकुश लगाने के लिए इच्छा शçक्त विकसित करनी होगी। उन्होंने सोनोग्राफी मशीन के चैकिंग दल को सुदृ़ढ़ बनाने की आवश्यकता जताई।

इस अवसर पर डूंगरपुर के जिला प्रमुख श्री भगवती लाल रोट, गंगानगर की जिला प्रमुख श्रीमती शांति देवी पूनिया, झुंझुनूं के जिला प्रमुख श्री हनुमान प्रसाद, जिला प्रमुख अलवर श्रीमती साफिया खान तथा जिला प्रमुख राजसमंद श्री किशनलाल गानेटी सहित सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा भी रचनात्मक सुझाव दिए गए।

प्रारभ में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री बी.एन. शर्मा ने राज्य में गिरता लिंगानुपात एक परिदृश्य पर आयोजित इस कार्यशाला के विषय में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अपना प्रस्तुतिकरण देते हुए राज्य में कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम एवं राज्य में गिरते लिंगानुपात की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की विस्तार पूर्वक जानकारी दी। श्री शर्मा ने आगामी 2 अक्टूबर  2011 से प्रदेश की राज्य की जनता की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए शुरू की जाने वाली मुयमंत्री निज्शुल्क दवा योजना के विषय में भी अपना प्रस्तुतिकरण देकर विस्तार से समझाया।

इस अवसर पर निदेशक (आर.सी.एच.) डॉ. एम.एल. जैन ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट के तहत सोनोग्राफी मशीनों से गर्भवती महिलाओं की लिंग निधाüरण के लिए की जाने वाली जांचों के विरुद्ध की जा रही कार्यवाहियों के विषय में उन्होंने  बताया कि राज्य में 170 सोनोग्राफी मशीनों का इस विषयमें रैडम चैकअप किया गया।

इस अवसर पर यूनीसेफ के श्री सुनील थामस ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। कार्यशाला का संचालन जनसपर्क अधिकारी श्री गोविंद पारीक ने किया।

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