कथा सुनने से जीवन की हर व्यथा मिट जाती है

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आई एन वी सी न्यूज़
रोहतक,

श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग महादेव मंदिर सेक्टर-4 में चल रही श्री राम कथा के सातवें दिन कथाव्यास श्री केशव कृष्ण शास्त्री जी ने मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम को समाज में आदर्श बताते हुए कहा कि वर्तमान युग में परिवार व समाज में उनके आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता है। इसी में मानव कल्याण संभव है। आदर्शों का अनुसरण करने व कथा श्रवण से सद्मार्ग पर चलने की शिक्षा मिलती है। कथाव्यास ने कहा कि प्रभु के जितने भी अवतार हुए उसमें श्रीराम व श्याम का ही विवाह पूरी तरह रीति रिवाज से हुआ। इस खास प्रसंग पर आयोजक मंडल ने उचित व्यवस्था की। श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर प्रभु की झांकी का दर्शन किया। पंडाल को विशेष रूप से सजाया गया। इस अवसर पर भगवान श्रीराम की बारात निकाली गई। महिलाओं ने पुष्प वर्षा कर श्रीराम बारात का स्वागत किया। इसके बाद श्रीराम-सीता का विवाह संपन्न हुआ। श्रीराम कथा के सातवे दिन राम विवाह प्रसंग पर प्रवचन दिया गया।

 इस बीच संगीतमय कथा पर श्रद्धालु घंटो झूम। कथा वाचक श्री केशव कृष्ण जी ने कहा कि कथा सुनने से जीवन की हर व्यथा मिट जाती है। उन्होंने बताया कि राम विवाह एक आदर्श विवाह है। तुलसीदास ने राजा दशरथ, राजा जनक, राम व सीता की तुलना करते हुए बताया है कि ऐसा समधी, ऐसा नगर, ऐसा दुल्हा, ऐसी दुल्हन की तीनों लोक में कोई बराबरी नहीं हो सकती।ब्यास जी ने कथा बताते हुए कहा कि राजा जनक अपनी बेटी के लिए स्वयंवर रचाया। उन्होनें एक प्रतिज्ञा रखी कि जो शिव पिनाक को खंडन करेगा वो सीता से नाता जोड़ेगा। उस धनुष को तोड़ने के लिए कई राजा व राजकुमार पहुंचे लेकिन सभी विफल रहें। ऐसे में राजा जनक ने सभा में कहा कि आज धरती वीरों से विहिन हो गया है, सभी अपने घर जाएं। इसके बाद लक्ष्मण को क्रोध आया और उन्होंने कहा कि अगर श्रीराम की आज्ञा हो तो धनुष क्या, पूरे ब्रह्मांड को गेंद की तरह उठा लूं। स्वामी ने कहा कि धनुष अहंकार का प्रतिक है व राम ज्ञान का प्रतिक। जब अहंकारी व्यक्ति को ज्ञान का स्पर्श होता है तब अहंकार का नाश हो जाता है। श्रीराम में वो अहंकार नहीं था और उन्होंने धनुष उठाया और उनका विवाह सीता से हुआ।

विश्व सनातन सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी पं. लोकेश शर्मा व महादेव सेवा संघ के संचालक व कथा संयोजक प्रदीप कौशिक ने बताया कि मंच संचालक सेवानिवृत्त प्राध्यापक राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि मनुष्य को आज निज स्वार्थ संकीर्णता से उपर उठकर सद्भाव, स्नेह, सेवा, ममता, करुणा व दया जैसे मानवीय अलंकरणो को अंगीकार करने की महती आवश्यकता है।

इस अवसर बतौर मुख्यअतिथि लोकसभा सांसद डॉ. अरविन्द शर्मा, श्रीमती रीटा शर्मा, भाजपा नेता राजकुमार शर्मा एवं पार्षद जयभगवान ठेकेदार, अति विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध हरियाणवी कलाकार मासूम शर्मा एवं विशिष्ट नवीन वत्स, विजय वशिष्ट सुनांरिया, एडवोकेट सतीश कौशिक, सन्नी मिनोचा, प्रवीण सरपंच बसंतपुर, हरिऔम तिवारी, रविन्द्र गिरावड़, एडवोकेट लोविना सिंगला, सुनीता जागलान, ममता कौशिक, राजसिंह पांचाल, राजबाला, सोनिया, रमन सिंह आदि उपस्थित रहे।
   

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